MP News: मध्य प्रदेश में 25 फरवरी से एमपी बोर्ड की परीक्षाएं शुरू होने जा रही हैं। इसमें 20 लाख बच्चे हिस्सा लेंगे, लेकिन इस परीक्षा को पूरी पारदर्शिता के साथ कराना स्कूल शिक्षा विभाग के लिए बड़ी चुनौती है। परीक्षा के दौरान कितनी भी सुरक्षा बरती जाए, नकल और पेपर लीक जैसी घटनाएं हो ही जाती हैं।
हालांकि बोर्ड परीक्षा में पूरी पारदर्शिता और सुरक्षा के लिए स्कूल शिक्षा विभाग परीक्षा केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरे लगाता है और कक्षा में प्रवेश से पहले फिजिकल चेकिंग करता है, फिर भी इसका कोई असर नहीं होता। अब इस बार स्कूल शिक्षा विभाग ने बोर्ड परीक्षा के दौरान नकल रोकने के लिए गांधीगिरी का सहारा लेने की योजना बनाई है।
परीक्षा केंद्र के बाहर होगा लोहे का बक्सा
आपको बता दे कि 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा 25 फरवरी से और 10वीं कक्षा की परीक्षा 27 फरवरी से शुरू हो रही है। इस बार 10वीं की बोर्ड परीक्षा में 12 लाख छात्र शामिल हो रहे हैं, जबकि 12वीं की परीक्षा में 8 लाख छात्र शामिल हो रहे हैं।
इस बार परीक्षा को नकल मुक्त बनाने के लिए एमपी बोर्ड ने परीक्षा केंद्र के बाहर लोहे का बक्सा रखकर बच्चों की काउंसलिंग करने की योजना बनाई है। माध्यमिक शिक्षा मंडल के सचिव केडी त्रिपाठी ने बताया कि “परीक्षा हॉल में पहुंचने से पहले विद्यार्थियों की काउंसलिंग की जाएगी, उन्हें नकल से होने वाले नुकसान के बारे में बताया जाएगा।
साथ ही उन्हें नकल करते पकड़े जाने पर कार्रवाई का डर भी दिखाया जाएगा, ताकि बच्चे नकल से जुड़ी वस्तुएं लेकर परीक्षा देने न आएं। उन्हें समझाया जाएगा कि अगर आप नकल की सामग्री को बाहर डिब्बे में डाल देंगे तो कोई नुकसान नहीं होगा।
लेकिन अगर कक्षा में नकल करते पकड़े गए तो खैर नहीं।” परीक्षा केंद्रों पर भी होगी सघन निगरानी माध्यमिक शिक्षा मंडल ने इस बार 10वीं और 12वीं की परीक्षा के लिए 3 हजार 887 परीक्षा केंद्र बनाए हैं। इनमें भी सघन निगरानी के लिए पर्याप्त इंतजाम किए जा रहे हैं। इनमें 500 से ज्यादा संवेदनशील और अतिसंवेदनशील केंद्र हैं।
ग्वालियर-चंबल संभाग के हर जिले में इन केंद्रों ने सबसे ज्यादा खतरा पैदा किया है। जबकि मुरैना में सबसे ज्यादा 44 अतिसंवेदनशील केंद्र हैं और 10 केंद्र संवेदनशील हैं। हालांकि इस बार भिंड में अतिसंवेदनशील स्थिति कम हुई है। यहां केवल चार परीक्षा केंद्रों को ही अतिसंवेदनशील की श्रेणी में रखा गया है, लेकिन बोर्ड के पास जो रिपोर्ट है, उसके अनुसार पिछले एक दशक में सामूहिक नकल के सबसे ज्यादा मामले भी इन्हीं जिलों से सामने आए हैं।