Murrah Buffalo: मुर्रा भैंस की नस्ल को दुनिया की सबसे अधिक दूध देने वाली भैंसों में गिना जाता है. इसका मुख्य कारण इसकी उच्च दूध उत्पादन क्षमता है, जो इसे विशेष बनाती है. इसकी खासियतों के कारण यह नस्ल वैश्विक स्तर पर भी काफी मांग में रहती है.
हरियाणा में जानी मानी नस्ल
भारत में हरियाणा के विभिन्न जिलों में मुर्रा भैंसों का पालन किया जाता है. हरियाणा की भौगोलिक स्थिति और जलवायु इस नस्ल के लिए अनुकूल मानी जाती है, जिससे यहां इस नस्ल की भैंसें अधिक पाई जाती हैं.
काला सोना भैंस का दूसरा नाम
हरियाणा के विभिन्न जिलों में पाई जाने वाली मुर्रा भैंस को स्थानीय भाषा में ‘काला सोना’ भी कहा जाता है. इसे यह नाम इसकी उत्पादन क्षमता और आर्थिक महत्व के कारण दिया गया है.
वैश्विक पहुंच
मुर्रा भैंस की नस्ल न केवल भारत में, बल्कि बुल्गारिया, अफगानिस्तान, इटली, मिस्त्र जैसे देशों में भी पाली जाती है. इसकी वैश्विक मांग इसकी उत्कृष्ट गुणवत्ता के कारण है.
दूध उत्पादन
मुर्रा भैंस, दूध उत्पादन के मामले में विश्व स्तर पर सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है. यह एक साल में लगभग 2 से 3 हजार लीटर दूध देने में सक्षम है, जिसमें 6.5 से 7 प्रतिशत तक फैट होता है.
शरीर का आकार और विशेषताएं
मुर्रा भैंस के शरीर का आकार अन्य नस्लों की भैंसों की तुलना में काफी बड़ा होता है. इसके सींग जलेबी के आकार के होते हैं, जो इसे एक विशिष्ट पहचान प्रदान करते हैं.
ब्रीडिंग और प्रजनन
मुर्रा भैंस 2 से 3 साल की उम्र में ही ब्रीडिंग के लिए तैयार हो जाती है, जिससे इसकी प्रजनन क्षमता को बढ़ावा मिलता है. इस तरह की विशेषताएं इसे किसानों के लिए और भी अधिक लाभकारी बनाती हैं.