Mustard Oil Price : आने वाले त्योहारी सीज़न में खाने के तेल की कीमतें आपकी जेब पर भारी पड़ सकती हैं। जून के महंगाई आंकड़ों के मुताबिक, दालों और सब्जियों के दाम भले ही कम हुए हों, लेकिन खाद्य तेलों (edible oils) की महंगाई दर में इतने प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है… आइए नीचे खबर में जान लेते है कि और कितनी बढ़ोतरी हो सकती है-
आने वाले त्योहारी सीज़न में खाने के तेल की कीमतें आपकी जेब पर भारी पड़ सकती हैं। जून के महंगाई आंकड़ों के मुताबिक, दालों और सब्जियों के दाम भले ही कम हुए हों, लेकिन खाद्य तेलों (edible oils) की महंगाई दर 17.75 प्रतिशत रही है, जो कि डबल डिजिट की बढ़ोतरी है। विशेषज्ञों का मानना है कि त्योहारों की शुरुआत के साथ यह कीमतें और भी बढ़ सकती हैं, जिससे आपका बजट बिगड़ सकता है।
सरकार के ड्यूटी घटाने का भी असर नहीं खाने की कीमतों पर पड़ता नहीं दिखाई दे रहा है। सरसों तेल के दाम 27 फीसदी और सूरजमुखी तेल की कीमतों में 31 प्रतिशत का उछाल आया है। सरसों तेल का दाम 178 रुपये प्रति लीटर हुआ है। जबकि 1 साल पहले सरसों के तेल की कीमत 140 रुपये प्रति लीटर थी।
सरसों की तरह की अन्य खाद्य तेलों की कीमतों (prices of edible oils) में बीते 1 साल में इजाफा देखने को मिला है। वनस्पति तेल की कीमत 1 साल पहले 124 रुपये प्रति लीटर थी जो अब बढ़कर 157 रुपये प्रति लीटर के भाव पर पहुंच गई है ।
पिछले एक साल में, प्रमुख खाद्य तेलों की कीमतों में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है. सूरजमुखी तेल 122 रुपये प्रति लीटर से बढ़कर 160 रुपये प्रति लीटर हो गया है। इसी तरह, पाम तेल 99 रुपये प्रति लीटर से बढ़कर 130 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गया है, और सोया तेल की कीमत (soya oil price) भी 120 रुपये प्रति लीटर से बढ़कर 146 रुपये प्रति लीटर हो गई है। यह वृद्धि उपभोक्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण वित्तीय बोझ बन गई है।
जून में कैसे रहे थे महंगाई आंकड़ें-
बताते चले कि जून महीने में रिटेल खाद्य महंगाई (retail food inflation) 74 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई है। यह अप्रैल 2019 के बाद पहली बार डिफ्लेशन के जोन में प्रवेश कर गई है। खाने-पीने की चीजों की कीमतों में गिरावट में सबसे ज्यादा योगदान देने वाली चीज़ों में सब्ज़ियां शामिल हैं। सब्ज़ियां पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 19 प्रतिशत सस्ती होगी है। लेकिन खाद्य तेलों की महंगाई में डबल डिजिट (Double digit) की बढ़ोतरी देखने को मिली है। जून में खाने के तेल की महंगाई दर 17.75 फीसदी पर आई है।
सरकार ने इन तेलों पर घटाई थी ड्यूटी-
केंद्र सरकार ने महंगाई से राहत देने के लिए कुछ महीने पहले कच्चे खाद्य तेलों (सूरजमुखी, सोयाबीन, पाम तेल) पर बेसिक कस्टम ड्यूटी (BCD) 20% से घटाकर 10% कर दी थी। इस बड़े फैसले से कच्चे और रिफाइंड खाद्य तेलों के बीच आयात शुल्क का अंतर 8.75% से बढ़कर 19.25% हो गया, जिसका उद्देश्य आम आदमी के लिए खाद्य तेलों की कीमतें कम करना था।
यह बदलाव पिछले साल सितंबर 2024 में शुल्क वृद्धि और अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ती कीमतों के कारण देश में खाने के तेल की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए किया गया था। सरकार का मकसद तेल की कीमतें कम कर उपभोक्ताओं को राहत देना था।