Mustard Oil Price Hike: भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव और पहलगाम हमले के बाद खाद्य तेल के बाजार में हलचल देखी गई. राजस्थान के श्रीगंगानगर में सरसों तेल के दाम अचानक बढ़ गए. 7 मई तक जो सरसों तेल ₹140 प्रति लीटर बिक रहा था. वह 10 रुपये की बढ़ोतरी के साथ ₹150 प्रति लीटर पर पहुंच गया.
व्यापारियों ने बताया क्यों बढ़े दाम
स्थानीय व्यापारियों के अनुसार बॉर्डर पर तनाव के माहौल ने तेल की आपूर्ति को प्रभावित किया. व्यापारियों ने बताया कि भारत में ज्यादातर खाद्य तेल आयात के जरिए आता है और सीमा पर जैसे ही टकराव शुरू हुआ. तेल आयात की प्रक्रिया धीमी हो गई. इसके चलते बाजार में यह धारणा बनी कि आने वाले दिनों में तेल की आपूर्ति कम हो सकती है. जिस कारण व्यापारियों ने मौजूदा स्टॉक पर ही दाम बढ़ा दिए.
सीमावर्ती इलाकों में बढ़ी डिमांड से कीमतों को मिली और तेजी
तनावपूर्ण माहौल के चलते सीमावर्ती इलाकों में खाद्य सामग्रियों की मांग बढ़ गई. इससे सरसों तेल ही नहीं. बल्कि अन्य वस्तुओं के दाम भी रातों-रात बढ़ गए. स्थानीय व्यापारी राजकुमार ने बताया कि लोगों ने स्टॉक जमा करने के उद्देश्य से भारी खरीदारी शुरू कर दी. जिससे बाजार में तेजी का माहौल बन गया.
अब स्थिति सामान्य, कीमतों में राहत की उम्मीद
व्यापारियों का मानना है कि अब जबकि सीजफायर हो चुका है और प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम संदेश दिया है, साथ ही प्रशासन ने कई पाबंदियां हटा दी हैं, तो जल्द ही सरसों तेल की कीमतों में गिरावट देखने को मिल सकती है. यानी अगर हालात सामान्य बने रहते हैं, तो फिर से ₹140 के स्तर पर दाम लौट सकते हैं.
गेहूं मंडी पर नहीं पड़ा तनाव का असर
भारत-पाक तनाव का धानमंडी या गेहूं की खरीदी पर कोई खास असर नहीं पड़ा. अनूपगढ़ की नई धानमंडी में गेहूं का सीजन अब अंतिम चरण में है और वहां बीते सप्ताह 12 से 15 हजार बैग प्रतिदिन की तरह पहुंचते रहे. एफसीआई और मंडी व्यापारी प्रशासन की गाइडलाइन का पालन करते हुए सामान्य रूप से काम करते रहे हैं.
समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद जारी
हालांकि गेहूं का सीजन अब धीरे-धीरे खत्म हो रहा है, लेकिन सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर खरीद 30 जून तक जारी रहेगी. इसका मतलब है कि किसानों को अभी भी निर्धारित मूल्य पर गेहूं बेचने का मौका मिल रहा है.