हिंदू सनातन धर्म में व्रत पूजन का विशेष महत्व है। इसमें एकादशी की खास मान्यता है ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं।भीं ने इस एकादशी का व्रत किया था और मूर्छित होगए थे। इसे भीम सैनी एकादशी भी कहते हैं। इस दिन बिना जल के उपवास रहने से साल की सारी एकादशी का पूर्ण फल प्राप्त हो जाता है।
हिंदू धर्म में मान्यता निर्जला एकादशी व्रत करने से धर्म ,अर्थ और काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थ की प्राप्ति भी होती है
हिंदू धर्म में मान्यता निर्जला एकादशी व्रत करने से धर्म ,अर्थ और काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थ की प्राप्ति भी होती है।अच्छे स्वास्थ्य और जीवन की मनोकामना के साथ किया जाता है। इस बार निर्जला एकादशी का व्रत 19 मई को है। हिंदू पंचांग के अनुसार बैशाख शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि का आरम्भ 18 मई को सुबह 11:22 से शुरू होगा। एकादशी तिथि का समापन 19 मई 2024 को दोपहर 1:50 मिनट पर होगा। उदय तिथि मुताबिक निर्जला एकादशी 2024 को रखा जाएगा। पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 19 मई को सुबह 7:10 से दोपहर 12:18 तक रहेगा । निर्जला एकादशी का पारण 20 मई को सुबह 5:28 से सुबह 8:12 के बीच किया जाएगा।
व्रत रखने के लिए सुबह स्नान करके सूर्य देवता को अध्र्य दे
व्रत रखने के लिए सुबह स्नान करके सूर्य देवता को अध्र्य दे। इसके बाद पीले वस्त्र धारण करके विष्णु भगवान की पूजा करें। उन्हें पीले फूल पंचामृत और तुलसी तुलसी दल अर्पित करें। इसके बाद ही श्री हरी और मां लक्ष्मी के मंत्र का जाप करें। किसी निर्धन व्यक्ति को जल , अन्न-वस्त्र या जूते छाते का दान करें। वैसे तो निर्जल उपवास रखा जाता है। लेकिन आवश्यकता होने पर जलीय आहार और फलाहार लिया जा सकता है।
प्रातः काल समय अपने गुरु या भगवान विष्णु उपासना करे
इस दिन केवल जल और फल ग्रहण करके उपवास है कि प्रातः काल समय अपने गुरु या भगवान विष्णु उपासना करे। रात में जागरण करके श्री हरि की उपासना अवश्य करें। इस दिन ज्यादा से ज्यादा समय मंत्र और जप ध्यान में लगाए। जल और जल पके त्र का दान करना विशेष शुभ कार्य होगा। अगले दिनप्रात स्नान करके सूर्य को जल अध्र्य दे इसके बाद निर्धनों का वस्त्र और जल का दान करें। फिर नींबू पानी व्रत का पारण करें। पहले हल्का भोजन ही करें औरतो उत्तम होगा।