पंच-केदार यात्रा उत्तराखंड के पांच प्रमुख शिव मंदिरों के दर्शन की एक प्रमुख तीर्थ यात्रा है। इस यात्रा में हिमालय के ऊंचे पर्वत शिखरों पर स्थित पांच शिव मंदिरों के दर्शन किए जाते हैं, आइए जानते हैं इनके बारे में।
उत्तराखंड राज्य में भगवान शिव को समर्पित पांच मंदिरों को पंच केदार के नाम से जाना जाता है। अपने प्राकृतिक मनोरम दृश्य और शांत वातावरण के कारण यह मंदिर हमेशा ही श्रद्धालु और पर्यटकों को यहां आने के लिए आकर्षित करते हैं। भगवान शिव के यह पंच केदार पवित्र मंदिर उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल क्षेत्र में स्थित है। इन पंच केदार मंदिरों के आस-पास हरे भरे घास के मैदान, पहाड़, बर्फ से ढकीं चोटियां आदि प्राकृतिक नज़ारे देखने को मिल जाते हैं जो यहां आने श्रद्धालु भक्त गण के मन को शान्ति का अनुभव प्रदान करते हैं।
हम आपको गढ़वाल क्षेत्र के इन्हीं पांच केदार मंदिरों की सम्पूर्ण यात्रा के बारे में जानकारी प्रदान करने जा रहे हैं। फ़िलहाल पंच केदार मंदिर पहुँचने के लिए कोई सड़क मार्ग की व्यवस्था नहीं है आपको यहाँ पैदल मार्ग से ही जाना होगा।
आपको बता दें की पंच केदार मंदिरों तक पहुँचने के लिए आपको कठिन पहाड़ी रास्तों की लम्बी ट्रैकिंग यात्रा करनी पड़ती है। इस यात्रा को पूरा करने में लगभग 15 से 16 दिनों का समय लगता है। यदि आप भी इस पंच केदार यात्रा (Panch Kedar Yatra) के बारे में जानने के इच्छुक हैं तो अंत तक जरूर पढ़ें।
कैसे करें Panch Kedar Yatra (पंच केदार यात्रा):
उत्तराखंड राज्य के पांच केदार मंदिर तुंगनाथ (Tungnath),रुद्रनाथ (Rudranath), मद्महेश्वर (Madhyameshwar), कल्पेश्वर (Kalpeshwar) और केदारनाथ (Kedarnath) सभी प्राचीन काल के मंदिर माने जाते हैं।
यदि आप पंच केदार यात्रा के तहत सभी शिव मंदिरों के दर्शन करने का मन बना चुके हैं तो हम आपको बताते हैं आप कैसे, किस समय मंदिरों के दर्शन हेतु जा सकते हैं। आइये जानते हैं –
1. तुंगनाथ महादेव मंदिर (Tungnath Mahadev Mandir):
- उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले के चोपता में स्थित तुंगनाथ एक प्राचीन शिव मंदिर है। यह मंदिर उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में आता है।
- अगर हम बात करें समुद्र तल से मंदिर की ऊंचाई की तो यह लगभग 3460 मीटर है। तुंगनाथ शिव मंदिर दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर माना जाता है।
- तुंगनाथ मंदिर में कपाट खोलने के बाद यहां शिव भगवान के पंच केदार रूप में से एक रूप की पूजा-अर्चना की जाती है।
- प्राचीन मान्यता है की तुंगनाथ शिव मंदिर का निर्माण महाभारत काल के समय पांडवों के द्वारा करवाया गया था। पांडव महाभारत काल में कुरुक्षेत्र में हुए युद्ध के नरसंहार को देखकर बहुत ही रुष्ट हो गए। अपने ऊपर से युद्ध में मारे गए लोगों के पाप का दोष हटाने के लिए भगवान शिव की तपस्या की। तुंगनाथ मंदिर में ही भगवान शिव ने पांडवों की तपस्या से प्रसन्न होकर दर्शन दिए। जिसके बाद पांडवों ने एक स्मृति के तौर पर हजारों वर्ष पुराना तुंगनाथ मंदिर का निर्माण करवाया।
- आपको हम यहाँ यह भी बताते चलें की तुंगनाथ मंदिर पर्वत की चोटी ठंडे एवं स्वच्छ जल की तीन धाराओं के स्रोत से घिरी हुई है। इन तीन धारों से मिलकर बहने वाली नदी को अक्षकामिनी के नाम से जाना जाता है।
- एक पौराणिक मान्यता यह भी है की देवी पार्वती ने भगवान शिव विवाह हेतु प्रसन्न करने के लिए यहीं तपस्या की थी।
- चोपता नामक स्थान प्राचीन शिव मंदिर लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
तुंगनाथ का प्राकृतिक सौंदर्य (Natural beauty):
- समुद्र तल से 14,000 फुट की ऊंचाई पर बसा तुंगनाथ शिव मंदिर उत्तराखंड राज्य के प्राकृतिक दर्शनीय स्थलों में से एक है। साल के दो महीने जनवरी और फरवरी में तुंगनाथ मंदिर बर्फ की चादर से ढका रहता है।
- जुलाई से लेकर सितम्बर मंदिर के आस पास का इलाका हरे-भरे मखमली घास के मैदानों (बुग्यालों) से घिरा रहता है।
- तुंगनाथ मंदिर घूमने आने वाले पर्यटक चोपता को उत्तराखंड का मिनी स्विटजरलैंड कहते हैं।
कैसे पहुँच सकते हैं तुंगनाथ मंदिर:
- दोस्तों आप मई से नवंबर माह के बीच तुंगनाथ शिव मंदिर घूमने जा सकते हैं। मंदिर घूमने जाने हेतु यह उपयुक्त मौसम रहता है।
- तुंगनाथ शिव मंदिर आप दो मार्गों से होकर जा सकते हैं। यह दोनों ही सड़क मार्ग हैं। आगे हम आपको दोनों ही रास्तों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करने जा रहे हैं।
- पहला रास्ता: ऋषिकेश से गोपेश्वर होकर जाता है। गोपेश्वर की ऋषिकेश की दूरी लगभग 212 किलोमीटर है जिसे तय करने में आपको लगभग 7-8 घंटे का समय लग जाता है। इसके गोपेश्वर से आगे लगभग 40 किलोमीटर की सड़क यात्रा करके आप चोपता पहुँच जाते हैं। चोपता आने के लिए बस , टैक्सी , कार ,जीप, मैक्स आदि आपको आसानी से मिल जाती है।
- दुसरा रास्ता: चोपता तुंगनाथ शिव मंदिर जाने का दुसरा रास्ता ऋषिकेश से ऊखीमठ होकर जाता है। यह रास्ता पहले वाले रास्ते से थोड़ा छोटा है। आपको बताते चलें की ऋषिकेश से ऊखीमठ की दूरी लगभग 178 किलोमीटर है। इसके बाद आपको ऊखीमठ से चोपता जाने के लिए लगभग 24 किलोमीटर की सड़क यात्रा करके जाना होता है।
तुंगनाथ में रुकने हेतु व्यवस्था:
- तुंगनाथ शिव मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु और घूमने आने वाले पर्यटकों के रुकने हेतु आपको गढ़वाल मंडल विकास निगम के द्वारा बनाये गए विश्राम गृह , प्राइवेट होटल , लॉज , धर्मशाला आदि देखने को मिल जाते हैं।
2. केदारनाथ मंदिर (Kedarnath Temple):
- उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ शिव मंदिर हजारों वर्षों पुराना शिव मंदिर है। आपको यह भी बता दें की केदारनाथ मंदिर को बाबा केदार के नाम से भी जाना जाता है।
- केदारनाथ शिव धाम मंदिर को पंच केदार मंदिरों में से एक माना जाता है। कत्यूरी शैली में बने केदारनाथ (Kedarnath) मंदिर को प्राकृतिक चट्टानों से तोड़कर लाये गए पत्थरों से बनाया गया है।
- दोस्तों आपकी जानकारी के लिए बता दें की केदारनाथ शिव मंदिर में पूजा करने वाले पुजारियों , पंडितों को रावल कहा जाता है जो दक्षिण भारत से आते हैं।
- केदारनाथ मंदिर के निर्माण के विषय में इतिहास कार विद्वानों का मानना है की पांडव वश में पांडवों के पौत्र महाराजा जन्मेजय के द्वारा करवाया गया था। लेकिन बाद में आदि गुरु शंकराचार्य ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था।
- आपको बता दें कि केदारनाथ मंदिर के पृष्ठभाग (Backside) में आदि गुरु शंकराचार्य की समाधि स्थापित है।
- संस्कृत के प्रसिद्ध विद्वान राहुल सांकृत्यायन ने अपनी रचना में मंदिर के निर्माण काल का समय 10वीं से 12वीं शताब्दी के बीच बताया है।
- केदारनाथ शिव मंदिर के गर्भ गृह में स्थित प्राचीन स्वयंभू शिवलिंग प्राकृतिक रूप से उत्पन्न शिवलिंग है।
- आपकी जानकारी के लिए बता दें की केदारनाथ मंदिर को देश के बारह ज्योर्तिलिंग मंदिरों में से एक माना जाता है।
- यदि हम बात करें मंदिर की ऊंचाई के बारे में तो केदारनाथ शिव मंदिर समुद्र तल से 3,562 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
- हर साल ऊखीमठ में स्थित ओंकारेश्वर मंदिर के पुजारियों द्वारा केदारनाथ मंदिर के कपाट के खुलने का समय हिन्दू पांचांग की गणना के अनुसार तय किया जाता है।
- मंदिर के कपाट खुलने का अधिकतर समय मार्च या अप्रैल महीने में आने वाली अक्षय तृतीया या महाशिवरात्रि के दिन माना जाता है। इसी तरह मंदिर के कपाट बंद होने का समय नवंबर माह में आने वाली दिवाली एक बाद भाई दूज के समय किये जाते हैं।
- कपाट बंद होने के साथ ही केदारनाथ मंदिर में भगवान शिव की पंचमुखी प्रतिमा को डोली में बिठाकर ऊखीमठ ले जाया जाता है। जहाँ भगवान पुरे शीत काल के समय विश्राम अवस्था में विराजमान रहते हैं।
- दिसंबर से लेकर मार्च तक शीतकाल के समय केदारनाथ मंदिर के कपाट दर्शन हेतु भक्तों के लिए बंद कर दिए जाते हैं।
केदारनाथ मंदिर के दर्शन का समय :
- मंदिर में दर्शन के लिए लोगों को निर्धारित शुल्क जमा कर रसीद कटानी होती है। जिसके बाद पूजा-आरती हो जाने पर लोगों को भोग लगा प्रसाद वितरित कर दिया जाता है।
- मंदिर में पूजा और दर्शन हेतु दर्शनार्थियों के लिए केदारनाथ मंदिर के कपाट प्रातः 6 बजे खोले जाते हैं।
- इसके बाद दिन के समय दोपहर में 3 से लेकर 5 बजे तक भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है।
- शाम 5 बजे के बाद एक बार फिर से मंदिर के कपाट लोगों के दर्शन हेतु खोल दिए जाते हैं।
- इसके बाद शाम की आरती के समय लगभग 7:30 बजे भगवान शिव की पंचमुखी मूर्ति का श्रृंगार किया जाता है। आपको बता दें की शाम की आरती रात के 8:30 बजे तक की जाती है। अगले दिन इसी क्रम को पुनः दोहराया जाता है।
3. मद्महेश्वर मंदिर (Madhyameshwar Temple):
- पंच केदार मंदिर में से एक मद्महेश्वर एक प्राचीन धाम शिव मंदिर है जो की उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले के ऊखीमठ विकासखंड के मानसूना स्थान पर स्थित है।
- गढ़वाल क्षेत्र में स्थित यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 3,289 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। मंदिर के आस -पास के इलाके हिमालयी पहाड़ियों से घिरे होने के कारण यह स्थल अत्यधिक रमणीय और खूबसूरत हो जाता है।
- मद्महेश्वर मंदिर से लगभग 3 से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक छोटा सा मंदिर है जिसे बूढ़ा मद्महेश्वर मंदिर कहा जाता है। इस मंदिर के आस-पास हरे भरे घास के मैदान (बुग्याल) देखने को मिलते हैं /
- बूढ़ा मद्महेश्वर मंदिर से आपको हिमालय पर्वत श्रेणी के मन्दानी पर्वत, केदारनाथ आदि के भव्य दर्शन होते हैं।
- आपको बता दें की मद्महेश्वर मंदिर के कपाट दर्शन हेतु सिर्फ छः महीनों के लिए खोले जाते हैं। बाकी बचे सर्दियों के समय मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।
दर्शन हेतु कैसे पहुंचे मद्महेश्वर मंदिर:
- यदि आप मद्महेश्वर मंदिर दर्शन के लिए आना चाहते हैं तो आप अप्रैल से अक्टूबर माह के बीच आ सकते हैं। इस समय का मौसम घूमने और दर्शन के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।
- मद्महेश्वर मंदिर आने के लिए एक मार्ग है सड़क मार्ग जो की ऊखीमठ से होकर जाता है। मंदिर आने के लिए आपको ऊखीमठ से रांसी गाँव तक पहुंचना होता है। आपको बता दें की मंदिर तक आने वाली सड़क का आखिरी गाँव रांसी है जिसके बाद आपको थोड़ी पैदल यात्रा कर चढ़ाई करनी होती है जो लगभग रांसी गाँव से मंदिर तक 23 किलोमीटर है।
- ट्रैकिंग पसंद करने वालों के लिए मद्महेश्वर की पैदल यात्रा किसी रोमांच से कम नहीं।
- मंदिर के जाने वाले पैदल मार्ग में आपको गोंदहार, खम्बा चट्टी, आदि स्थान देखने को मिलते हैं। मार्ग में पड़ने वाले गाँव के प्राकृतिक मनोरम दृश्य आपके मन को शांति का अनुभव प्रदान करते हैं।
- पैदल मार्ग पर जाने के लिए आप स्थानीय लोगों के द्वारा घोड़े, खच्चर आदि की मदद ले सकते हैं।
- गाँव में आपको स्थानीय लोगों के द्वारा बनाये गए स्थानीय व्यंजन का स्वाद चखने को मिल जाएगा।
4. कल्पेश्वर शिव मंदिर (Kalpeshwar Shiv Temple):
- उत्तराखंड के पवित्र स्थलों में से एक कल्पेश्वर महादेव मंदिर पांच केदार मंदिर में से एक है।
- भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर में शिव की जटा की पूजा की जाती है। कल्पेश्वर महादेव मंदिर को भक्त एक और नाम ‘अनादिनाथ कल्पेश्वर महादेव’ से भी जानते हैं।
- इतिहास के अनुसार कल्पेश्वर मंदिर का निर्माण महाभारत काल के समय पांडवों के द्वारा किया गया था। मंदिर के निर्माण में प्राकृतिक पत्थरों का उपयोग किया गया है।
- मंदिर में जाने के लिए आपको कल्पेश्वर मंदिर के पास में स्थित एक प्राकृतिक छोटी सी गुफा से होकर जाना पड़ता है। मंदिर की गुफा रास्ता लगभग 1 किलोमीटर से भी अधिक है।
- यदि हम बात करें मंदिर से समुद्र तल से ऊंचाई की तो कल्पेश्वर (Kalpeshwar) शिव मंदिर की समुद्र तल (See level) से ऊंचाई लगभग 2,134 मीटर है।
- मंदिर के पास आपको कलेवरकुंड के नाम से प्रसिद्ध स्वच्छ पानी के स्त्रोत का कुंड मिल जाएगा। आपको बता दें की कुंड का जल साल के बारह महीनों हमेशा ही स्वच्छ रहता है।
- मंदिर के दर्शन करने वाले दर्शनार्थियों का मानना है की कुंड में स्नान और कुंड का जल ग्रहण करने से व्यक्ति सभी पाप धूल जाते हैं और वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है।
- साधू संत लोग कुंड से जल लेकर मंदिर में भगवान शिव को अर्घ्य देते हैं अर्थात जल चढ़ाते हैं।
5. रुद्रनाथ पंच केदार मंदिर (Rudranath Panch Kedar Temple):
- उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित रुद्रप्रयाग मंदिर हिन्दू धर्म के आराध्य भगवान शिव को समर्पित मंदिर है।
- रुद्रनाथ मंदिर के आस-पास का नजारा भव्य प्राकृतिक सुंदरता की छटा से परिपूर्ण है।
- आपकी जानकारी के लिए बता दें की भगवान शिव के रूद्र रूप में विराजित रुद्रनाथ मंदिर में भगवान शिव के मुख (face) की पूजा की जाती है।
- इसी तरह बाकी बचा भगवान शिव के शरीर की पूजा देश के बाहर नेपाल के काठमांडू में स्थित पशुपतिनाथ में की जाती है।
- पंच केदार मंदिर में रुद्रनाथ (Rudranath) मंदिर पर्यटकों के बीच बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है।
- रुद्रनाथ मंदिर के सामने आपको बर्फ से ढकी नंदा देवी पर्वत की चोटियां देखने को मिल जाती है।
- समुद्र तल से रुद्रनाथ मंदिर की ऊंचाई लगभग 2,290 मीटर है।
दर्शन हेतु कैसे पहुंचे रुद्रनाथ मंदिर:
- रुद्रनाथ मंदिर आने के लिए आपको उत्तराखंड की योग नगरी कही जाने वाली ऋषिकेश आना होगा। यहाँ से सड़क मार्ग से जाने के लिए आपको बस , टैक्सी , मैक्स आदि आसानी से मिल जाते हैं।
- आपको बता दें की ऋषिकेश से चमोली जिले की दूरी लगभग 212 किलोमीटर है।
- यदि आप हवाई मार्ग से रुद्रनाथ मंदिर आना चाहते हैं तो देहरादून के जॉली ग्रांट के हवाई अड्डे से चलने वाली सीधी उड़ानों की सुविधा ले सकते हैं।
रुद्रनाथ मंदिर में रुकने की व्यवस्था:
- मंदिर आते समय आप गोपेश्वर के पास अनेकों टूरिस्ट गेस्ट हाउस , होटल , प्राइवेट लॉज आदि में रुक सकते हैं।
- आपको बताते चलें की गोपेश्वर से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित प्रसिद्ध होटल रुद्रा एंड रेस्टुरेंट आपको रहने और खाने-पीने की अच्छी व्यवस्था देखने को मिल जाती है।
- गोपेश्वर से मंदिर जाने के लिए आपको लगभग 22 किलोमीटर की लम्बी कठिन चढ़ाई की पैदल यात्रा करनी होती है। यदि आप ट्रैकिंग करने में असमर्थ हैं तो पैदल यात्रा में आपको घोड़े , खच्चर आदि की सहायता आसानी से मिल जाती है
पंच केदार यात्रा से जुड़े Frequently Asked Question (FAQs):
केदारनाथ मंदिर का निर्माण किसने करवाया ?
केदारनाथ मंदिर का निर्माण पांडव वंश के राजा जन्मेजय ने करवाया था।
मद्महेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन हेतु उपयुक्त क्या है ?
मद्महेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन हेतु सही समय अप्रैल से लेकर नवंबर माह के बीच।
रुद्रनाथ मंदिर की समुद्र तल से ऊंचाई कितनी है
रुद्रनाथ मंदिर की समुद्र तल से ऊंचाई लगभग 2,290 मीटर है।
कल्पेश्वर महादेव मंदिर को और किस नाम से जाना जाता है ?
कल्पेश्वर महादेव मंदिर को अनादिनाथ कल्पेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है।
हेलिकॉप्टर (Helicopter) से केदारनाथ मंदिर दर्शन के लिए कैसे जाएँ ?
देहरादून से रेगुलर तौर पर केदारनाथ मंदिर जाने के लिए हेलीकॉप्टर उड़ाने चलती रहती हैं। हेलीकॉप्टर राउंड ट्रिप के लिए एक बार का किराया लगभग 6 से 8 हजार रूपये प्रति व्यक्ति है।
उत्तराखंड का सबसे ऊँचा शिव मंदिर कौन सा है ?
तुंगनाथ महादेव मंदिर को भारत और उत्तराखंड का सबसे ऊंचा शिव मंदिर माना जाता है।