विश्व में कई प्रकार के प्रसिद्ध स्थान है उनमे से ही कई मंदिर पूरी दुनिया में बहुत प्रसिद्ध है जिनसे लोगो की बहुत श्रद्धा भाव और मान्यता जुडी है।
इसी तरह नेपाल में भी के बहुत प्रसिद्ध मंदिर है जिस मंदिर का नाम पशुपतिनाथ मंदिर है यह मंदिर विश्व में बहुत प्रसिद्ध मंदिर की श्रेणी में आता है। आपको बता दे नेपाल का प्राचीन इतिहास सनातन संस्कृति की धरोहर माना जाता है। पहले से ही हिन्दू मान्यताओं में यह स्थान बहुत चर्चित रहा है।
आपको बता दे विश्व में दो पशुपतिनाथ मंदिर है पहला नेपाल के काठमांडू में तथा दूसरा भारत के मंदसौर में स्थित है यह भारत में भी बहुत प्रसिद्ध मंदिर से एक है। दोनों ही मंदिर दुनिया में प्रसिद्ध है और दोनों मंदिरों में समान आकृति वाली समान मूर्ति स्थित है।
नेपाल का पशुपति नाथ मंदिर काठमांडू में बागमती के किनारे स्थित है तथा यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल है। यह मंदिर देखने में बहुत भव्य है तथा इस मंदिर में देश-विदेश के पर्यटक एवं श्रद्धालु मंदिर के दर्शन करने आते है।
आज हम आपको इस लेख में पशुपतिनाथ मंदिर का इतिहास महत्व और कहानी | Pashupatinath Temple facts history in hindi के विषय में आपके साथ पूरी जानकारी साझा करेंगे।
पशुपतिनाथ मंदिर का इतिहास महत्व और कहानी
नेपाल की राजधानी काठमांडू से लगभग 3 किलोमीटर दूर देवपाटन गांव में भगवान शिव के अवतार का Pashupatinath Temple स्थित है। और यह जो मंदिर है वह बागमती नदी के किनारे छोर पर स्थित है। इस मंदिर से करोड़ो लोगो की आस्था जुड़ी हुई है।
पशुपतिनाथ मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करने के लिए देश-विदेश के लाखों लोग आते है ताकि उनकी मनोकामना पूर्ण हो सके। इस मंदिर में श्रद्धालुओं की बहुत भीड़ लगी रहती है। Pashupatinath Temple दुनिया में बहुत प्रख्यात मंदिर है।
Pashupatinath का अर्थ क्या है?
भगवान शिव को भक्तों द्वारा अनेको नाम द्वारा पुकारा जाता है या कहा जाता है जैसे- भोले, शंकर,रूद्र तथा महाकाल आदि नामों से शिवजी को जाना जाता है तथा इसी प्रकार शिव को Pashupatinath भी कहा जाता है।
Pashupatinath पशु तथा जीव दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है पशु का अर्थ जीव जंतु तथा प्राणी होता है तथा पति का अर्थ मालिक या स्वामी होता है दोनों को मिलाकर पशुपति नाथ बन जाता है। पशुपतिनाथ का मतलब जीवो का स्वामी होता है।
Pashupatinath मूर्ति का महत्व
Pashupatinath मंदिर में भगवान शिव की पांच मुखों वाली अर्थात पंचमुखी मूर्ति स्थित है। Pashupatinath मंदिर में पंचमुखी मूर्ति में हर एक मुख विशेष महत्व रखता है तथा मूर्ति से इन पांचों मुखों की अलग-अलग अवधारणा जुड़ी हुई है।
जो मुख पश्चिम दिशा की ओर स्थित है उसे सद्ज्योत कहते है और जो मुख पूर्व दिशा की ओर स्थित है उसे तत्पुरुष कहकर बुलाया जाता है। विशेष रूप से मंदिर में सद्ज्योत मुख की ही विशेष प्रकार से पूजा की जाती है।
जो मुख उत्तर दिशा की ओर स्थित है उसे वामदेव या अर्धनारी ईश्वर कहा जाता है एवं जो मुख दक्षिण दिशा की ओर स्थित है उसे अघोरा नाम से बुलाया जाता है। ऊपर की और दिखने वाले मुख को ईशान मुख कहा जाता है और इसे उत्तम कहकर भी सम्बोधित किया जाता है। Pashupatinath मंदिर में जो स्थित ज्योतिर्लिंग है उसका निर्माण पारस पत्थर से किया गया है।
पशुपतिनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर में इन पंचमुखों को विद्या का बुनियादी आधार भी कहा जाता है। बुनियादी आधार तो कहा जाता है परन्तु इनको वेदो का आधार भी कहा जाता है।
वेद पुराणों की रचना से पहले इस लिंग की स्थापना हो गयी थी लोगो द्वारा यह मन जाता है मंदिर से बहुत पुरानी अवधारणाएं जुडी हुई है परन्तु इन कथाओं में से कई लोक कथाएं बहुत प्रख्यात मंदिर है और उनको मान्यता भी प्राप्त है।
पशुपतिनाथ मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथाएं
नेपाल के काठमांडू में स्थित Pashupatinath मंदिर पूरे विश्व में अपनी पौराणिक कथा को लेकर काफी प्रसिद्ध है। इस मंदिर में अलग-अलग मान्यता के आधार पर पौराणिक कथाएं प्रसिद्ध है।
पहली कथा- पांडवों से जुड़ी पौराणिक कथा
पशुपतिनाथ मंदिर की जो पहली कथा है वह पांडवों के जीवन ने जुड़ी हुई है। जब पांडवों द्वारा कुरुक्षेत्र में अपने भाई बंधुओं का युद्ध किया गया था और वह बहुत दुःख का सामना कर रहे थे उनके द्वारा पूरे कौरवों का विनाश किया गया था।
पांडवों पर गोत्र हत्या का पाप लग गया और इस पाप से मुक्ति पाने के लिए पांडव भगवान शिव की खोज करने के लिए चल पड़े ताकि उनके सर से ये पाप हट सके।
परन्तु शिवजी को यह मंजूर नहीं हुआ की इतना कठोर पाप करके इनको आसानी से पाप से मुक्ति मिल जाये ये उन्हें ठीक नहीं लगा और वे उनसे छुपने के लिए केदारनाथ जैसे दुर्गम जगहों पर चुप गए परन्तु पांडव उनको ढूंढते-ढूंढते उसी जगह पर पहुंच गए परन्तु शिवजी ने उनसे छुपने के लिए भैंस का रूप धारण कर लिया।
भगवान शिव ने भैंस का रूप धारण करके वे भैसों के झुण्ड में भागकर चले गए जिससे पांडवों को पता ना चले। परन्तु भीम ने विशाल रूप धारण कर लिया और उन्होंने अपने दोनों पैरों को फैला लिया और वहां पर खड़े हो गए जितने भी भैंस थे वे भीम के पैरों के मध्य से निकलते हुए भाग गए परन्तु शिव ने ऐसा नहीं किया
और इस वजह से पांडवों को वो अंतर पता चल गया लेकिन देखते ही देखते भगवान शिव धरती में समाने लग गए और गयाब होने लग गए तभी भीम ने अपनी पूरी शक्ति लगाकर भैस की पूछ को पकड़ लिया परन्तु शिवजी पशु के रूप में जमींन पर कई टुकड़ों में बट गए। और शरीर अलग-अलग जगहों पर जा पहुंचे।
उनका मस्तक का हिस्सा पशुपतिनाथ कहलाया तथा उत्तराखंड में स्थित केदारनाथ मंदिर पीठ वाला हिस्सा कहलाया तथा अनेक स्थानों पर उत्पति हुई जिनको पंचकेदार कहा जाता है। इतनी बड़ी घटना होने के बाद और पांडवों के बहुत प्रयास करने के बाद भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न हुए और पांडवों के गोत्र पाप को हटा दिया जिससे वे मुक्त हो गए।
दूसरी पौराणिक कथा
दूसरी पौराणिक कथा को सबसे प्रसिद्ध कथा माना जाता है। भगवान शिव नेपाल के स्थान पर छुपने गए और उन्होंने चिंकारे का रूप ले लिया। कुछ लोगो द्वारा ऐसा माना जाता है की भगवान शिव ने चिंकारे का रूप अपनी नींद पूरी करने के लिए था। लेकिन भगवान शिव और ब्रह्मा को पता चल गया की भगवान शिव कहा छुपे है और वो उनको लाने के लिए उसी स्थान पर चले गए परन्तु भगवान शिव ने उनसे छिपते हुए नदी में जाकर कूद गए।
ऐसा बोला जाता है की जब भगवान शिव भाग रहे थे तो भागते हुए सिर के बल गिरे और उनके सिंग के चार टुकड़े हो कर जा गिरे। तभी से पशुपतिनाथ मंदिर में सिंग के चार टुकड़े गिरे तब से इन चार मुख की उत्पति हो गयी और यह इस पूरी घटना पर आधारित है।
मंदिर का निर्माण कैसे हुआ?
वेदों की रचना से पूर्व इस मंदिर का निर्माण बताया जाता है। इस का भी पूरा तथ्य सत्य नहीं है क्योंकि यदि मंदिर का निर्माण हुआ होगा तो उस समय के प्रामाणिक दस्तावेज नहीं है।
कई लोग ऐसा मानते है पशु प्रेक्ष राजा सोमवेद के राजवंश थे उनके द्वारा इस मंदिर का निर्माण कराया गया है। वैसे बोला जाता है की मंदिर का निर्माण पशु प्रेक्ष ने तीसरी सदी ईसा पूर्व कराया था परन्तु 13 वीं सदी के इसके उपलब्ध प्रमाण देखने को मिलते है।
पशुपतिनाथ मंदिर का जो आज रूप देखने को मिल रहा है उसका जो स्वरूप है वह नेपाल नरेश मल्ल ने 1697 में बनाया गया था मतलब उन्होंने इस रूप को प्रदान किया था।
पशुपतिनाथ मंदिर का तब से लेकर अब तक बहुत बार छतिग्रस्त हुआ है इसमें बहुत बार नष्ट भी हुआ परन्तु अलग-अलग नरेशों द्वारा इस मंदिर की मरम्मते कराई गयी।
वर्ष 2015 अप्रैल में भयंकर भूकंप आया था जिसकी वजह से मंदिर पर भी बहुत असर पड़ा मंदिर की जो इमारते थी वह छतिग्रस्त हो गयी थी परन्तु जो इसका प्रमुख मंदिर था उसको कोई नुक्सान नहीं पंहुचा।
पशुपतिनाथ मंदिर की रोचक बातें तथा विशेषताएं
- पशुपतिनाथ को चार वेदों की रचना का आधार माना जाता है।
- पशुपतिनाथ मंदिर में सद्ज्योत मुख की मुख्य रूप से पूजा होती है।
- मंदिर में चतुर्मुखी लिंग मूर्ति के जो चारों मुख है उनका एक हाथ में कुण्डल तथा एक हाथ में रुद्राक्ष की माला है।
- पशुपतिनाथ मंदिर में मूर्ति की जो पूजा की जाती है वह पूजा भारतीय दक्षिण ब्राह्मणों द्वारा की जाती है।
- इस मंदिर में मुख्य त्योहारों पर पशुओं को बलि दी जाती है ऐसा माना जाता है की जो व्यक्ति होता है वह पशु योनि से हमेशा के लिए स्वतंत्र हो जाता है।
- ऐसा कहा जाता है की जो भी व्यक्ति इस मंदिर की तीर्थ यात्रा कर मंदिर के दर्शन श्रद्धा भाव से करता है उसे योनि मुक्ति मिल जाती है मतलब वह कभी भी योनि से जन्म नहीं लेगा।
पशुपतिनाथ मंदिर का इतिहास से सम्बंधित प्रश्न/उत्तर
Pashupatinath Temple कहां स्थित है?
नेपाल की राजधानी काठमांडू से लगभग 3 किलोमीटर दूर देवपाटन गांव में भगवान शिव के अवतार का Pashupatinath Temple स्थित है। और यह जो मंदिर है वह बागमती नदी के किनारे छोर पर स्थित है। इस मंदिर से करोड़ो लोगो की आस्था जुड़ी हुई है।
Pashupatinath का अर्थ क्या है?
भगवान शिव को भक्तों द्वारा अनेको नाम द्वारा पुकारा जाता है या कहा जाता है जैसे- भोले, शंकर,रूद्र तथा महाकाल आदि नामों से शिवजी को जाना जाता है तथा इसी प्रकार शिव को Pashupatinath भी कहा जाता है।
भारत में पशुपति नाथ मंदिर कहाँ है?
भारत में पशुपति नाथ मंदिर मंदसौर में स्थित है।
Pashupatinath मूर्ति का क्या महत्व है?
Pashupatinath मंदिर में भगवान शिव की पांच मुखों वाली अर्थात पंचमुखी मूर्ति स्थित है। Pashupatinath मंदिर में पंचमुखी मूर्ति में हर एक मुख विशेष महत्व रखता है तथा मूर्ति से इन पांचों मुखों की अलग-अलग अवधारणा जुड़ी हुई है।