अगर आप खरीफ फसलों की कटाई के बाद मटर की खेती कर रहे है, तो यहां जानिए 60 से 65 दिनों में बढ़िया उत्पादन देने वाली मटर की उन्नत किस्मों (Pea Varieties) के बारे में…
Pea Varieties | हरी मटर भारत में सबसे लोकप्रिय सब्जियों में एक है। यह बहुत ही पौष्टिक रहती है। इसमें पाचक प्रोटीन प्रचुर मात्रा में (7.2 ग्राम / 100 ग्राम) रहता है।
साथ ही इसमें शर्करा 72 ग्राम, विटामिन सी 9.0 मि.ग्रा. तथा फास्फोरस 139 मि.ग्रा. भी रहता है। मटर का उपयोग दाल के रूप में भी किया जाता है।
अभी खरीफ फसलों की कटाई के बाद कई किसान भाई तीसरी फसल के रूप में मटर की फसल लगाते है।
ऐसे में अगर आप भी मटर की खेती कर रहे है तो यह जानकारी आपके लिए ही है, यहां हम आपको बताएंगे मटर की उन्नत किस्मों Pea Varieties के बारे। जिन्हें लगाकर आप बढ़िया मुनाफा कमा सकते है। तो चलिए शुरू करते है…
Pea Varieties | मटर की खेती की जानकारी
भूमि :- अच्छे विकास वाली भुरभुरी दोमट मिट्टी मटर की खेती के लिए उत्तम मानी जाती है।
बुआई समय :- बुवाई उद्देश्य अनुसार अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में करें।
बीज की मात्रा :- शीघ्र पकने वाली किस्मों के लिए 100-120 किग्रा एवं मध्यम व देर से पकने वाली किस्मों के लिए 80 से 90 किग्रा बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता है।
बीज उपचार :- बीज को थायरम 3 ग्राम प्रति किलो या बाविस्टीन 2 ग्राम प्रति किलो की दर से उपचारित कर लें एवं इसके बाद 3 ग्राम प्रति किलोग्राम राइजोबियम से भी उपचारित करें।
बीज बोने की दूरी :- शीघ्र तैयार होने वाली किस्मों Pea Varieties के लिये पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 सेमी एवं पौधे से पौधे की दूरी 5-6 सेमी रखें।
मध्यम एवं देर से पकने वाली किस्मों में, 45 सेमी पंक्ति से पंक्ति तथा पौधे से पौधे की दूरी 8-10 सेमी रखें। खेत में पलेवा देकर बतर आने पर 5-7 सेमी गहराई पर बोनी करें।
खाद एवं उर्वरक :- अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद 20 टन प्रति हे. की दर से खेत की तैयारी के समय में अच्छी तरह से मिला दें। 40 किग्रा यूरिया, 375 सिंग सुपर फास्फेट किग्रा एवं 50 म्यूरेट ऑफ पोटाश बुवाई के समय दें। : Pea Varieties
60 से 65 दिनों में बंपर उत्पादन देने वाली मटर की किस्में | Pea Varieties
1. पूसा प्रगति किस्म : फलियों की लंबाई 9-10 सेमी एवं प्रति फली 8-10 दाने पाये जाते है। पहली तुड़ाई 60-65 दिन में हो जाती है एवं पाउडरी मिल्डयु प्रतिरोधी किस्म है। इसकी उपज 70 क्विंटल हरी फलिया प्रति हेक्टेयर है।
2. पीएलएम – 3 किस्म : फलियों की लम्बाई 8-10 सेमी एवं फलियों में 8 – 10 दाने पाये जाते है। पहली तुड़ाई 60-65 दिन में हो जाती है। इसकी उपज 90 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हरी फलियां है।
3. जवाहर मटर 3 किस्म : यह किस्म टी – 19 एवं अर्लीबेजर के क्रास से विकसित की गई है। इसमें फलियों की लम्बाई 6-7 सेमी एवं फली में दाने 7 तक होते है। इसकी उपज 75 क्विंटल प्रति हे. हरी फलियां है।
4. जवाहर मटर 4 किस्म : यह किस्म बीज की बुवाई से 75 दिन में तैयार हो जाती है। फलियों की लम्बाई 7 सेमी एवं फलियों में 6 दाने पाये जाते है। इसमें प्रोटीन की मात्रा 28.7 प्रतिशत तक होती है। : Pea Varieties
5. जवाहर मटर- 1 किस्म : यह जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई है। यह बहुत ही पौष्टिक रहती है। इसकी तुड़ाई 70-80 दिन में आरंभ हो जाती है।
इसकी उपज 90-120 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हरी फली है। फली में दानों की संख्या 8 से 9 एवं प्रोटीन प्रतिशत 24.6 प्रतिशत तक होता है।
6. जवाहर मटर-2 किस्म : यह ज.ने.कृ.वि.वि. जबलपुर द्वारा विकसित प्रजाति है। इस किस्म का छिलका मोटा होने के कारण भण्डारण एवं दूरस्थ स्थानों में भेजने के लिए उत्तम है। इसमें प्रोटीन 24.67 प्रतिशत होता है। इसकी उपज 135 से 150 क्विंटल प्रति हे. हरी फलियां है।
7. आजाद पी – 1 किस्म : इस किस्म में फलियों की लम्बाई 8 सेमी तथा वजन 8 ग्राम तक होता है।
8. अर्किल किस्म : इस प्रजाति की फलियां तलवार नुमा 8-10 सेमी लम्बी एवं औसतन 5-6 दाने युक्त होती है। फसल बुवाई के 60-65 दिन में पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है।
यह किस्म पाउडरी मिल्ड्यू के लिए सहनशील है। इसकी औसत उपज 70-80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हरी फलियां है। : Pea Varieties
9. मटर अगेती किस्म : इस किस्म में फलियां बुवाई के 45-50 दिन में तुड़ाई योग्य हो जाती है। फली में दाने 5-6 एवं इसकी उपज 45-55 क्विंटल प्रति हे. है। मटर के बाद गेहूं की फसल लेने के लिए अच्छी किस्म है।
मध्यम समय में तैयार होने वाली किस्म
1. आजाद मटर- 3 किस्म : यह किस्म कानपुर कृषि विवि में विकसित की गई है। इसके पौधे मध्यम आकार के पत्तियां बड़ी एवं सीधी होती है। फलियों की तुड़ाई 65-70 दिन में की जा सकती है। फलियों में दानों की संख्या 7-11 तक होती है। हरी फलियों की उपज 65-70 क्विंटल प्रति हे. है। : Pea Varieties
2. बोर्नविले किस्म : इस किस्म में पुष्प सफेद, लम्बे एवं घने होते है । प्रथम तुड़ाई 80 से 85 दिन में होती है। फलियों में दाने 7-8 एवं मीठे होते है। औसतन उपज 90-100 क्विं प्रति हेक्टर हरी फलियां है।
खरपतवार नियंत्रण के लिए सलाह
खेतों में पलेवा करके खेत को तैयार करने में काफी संख्या में खरपतवार खत्म हो जाते हैं। रसायनिक विधि से खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई के 48 घंटे के भीतर पेंडीमिथालीन नामक दवा 3.3 किग्रा / हे. की दर से 1000 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।