नए साल 2026 में देश के करोड़ों कर्मचारियों के लिए बड़ी खुशखबरी आने वाली है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) और श्रम मंत्रालय (Labour Ministry) फिर से उस प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं जिसमें Employee Pension Scheme (EPS-95) की बेसिक सैलरी लिमिट ₹15,000 से बढ़ाकर ₹25,000 करने की बात कही गई है। अगर यह फैसला मंजूर हो गया, तो देश के 6.5 करोड़ से अधिक EPFO सदस्यों को सीधा फायदा होगा।
सूत्रों के मुताबिक, यह कदम EPFO 3.0 के तहत लागू किया जा सकता है, जो भारत की सोशल सिक्योरिटी सिस्टम को डिजिटल और मजबूत बनाने की दिशा में एक बड़ा सुधार होगा।
💼 क्या है मौजूदा नियम?
फिलहाल EPS-95 के तहत पेंशन की गणना अधिकतम ₹15,000 की बेसिक सैलरी तक सीमित है। यानी, अगर आपकी सैलरी ₹30,000 या ₹40,000 भी है, तब भी EPS योगदान सिर्फ ₹15,000 तक ही गिना जाता है।
नियोक्ता (Employer) और कर्मचारी, दोनों EPF में 12% योगदान करते हैं, लेकिन नियोक्ता का 8.33% हिस्सा EPS फंड में जाता है।
👉 यानी हर महीने सिर्फ ₹1,250 (₹15,000 × 8.33%) EPS में जमा होता है।
📈 अगर लिमिट ₹25,000 हुई तो क्या बदलेगा?
अगर सरकार का प्रस्ताव मंजूर हो गया, तो EPS योगदान की गणना ₹25,000 की सैलरी पर होगी।
नए फॉर्मूले के अनुसार:
₹25,000 × 8.33% = ₹2,083 (Rounded off)
यानि हर महीने अब ₹1,250 की जगह ₹2,083 जमा होंगे — यानी पेंशन फंड में 66% की बढ़ोतरी।
💰 उदाहरण से समझिए – ₹30,000 सैलरी पर असर
| घटक | मौजूदा नियम | प्रस्तावित नियम (₹25,000 लिमिट) |
|---|---|---|
| बेसिक सैलरी | ₹30,000 | ₹30,000 |
| कर्मचारी का EPF योगदान (12%) | ₹3,600 | ₹3,600 |
| नियोक्ता का EPF योगदान (3.67%) | ₹1,101 | ₹1,101 |
| EPS में योगदान (8.33%) | ₹1,250 | ₹2,083 |
| कुल फंड योगदान | ₹4,850 | ₹5,683 |
👉 मतलब अब हर महीने ₹833 ज्यादा EPS में जमा होंगे, जिससे रिटायरमेंट पेंशन में भी बड़ा इजाफा होगा।
🔄 EPFO 3.0 क्या है?
EPFO 3.0 सरकार की नई पहल है, जिसके तहत पूरा EPFO सिस्टम डिजिटल और यूनिफाइड बनाया जाएगा।
इस योजना के तीन मुख्य लक्ष्य हैं:
- Social Security Expansion – ज्यादा कर्मचारियों को कवरेज देना
- Unified Compliance – PF, Pension और Insurance को एक प्लेटफॉर्म पर लाना
- Financial Empowerment – बेहतर रिटायरमेंट बेनिफिट्स के लिए योगदान सीमा बढ़ाना
EPS लिमिट को ₹25,000 करना इसी तीसरे फोकस एरिया का हिस्सा है।
👩💼 किन्हें मिलेगा फायदा?
इस बदलाव से देश के 6.5 करोड़ से अधिक EPFO सब्सक्राइबर्स को लाभ मिलेगा —
- निजी कंपनियों (Private Sector) के कर्मचारी
- छोटे उद्योगों के EPF सदस्य
- भविष्य के EPS-95 पेंशनर्स
हर महीने का योगदान बढ़ने से लंबी अवधि में मासिक पेंशन अमाउंट भी काफी बढ़ जाएगा।
📊 क्यों जरूरी है EPS लिमिट में बदलाव?
- पिछली बार 2014 में लिमिट ₹6,500 से बढ़ाकर ₹15,000 की गई थी।
- अब महंगाई दर और न्यूनतम वेतन दोनों बढ़ चुके हैं।
- न्यूनतम मजदूरी लगभग ₹18,000 तक तय है, ऐसे में पुरानी सीमा अप्रासंगिक हो चुकी है।
EPFO बोर्ड के कई सदस्य मानते हैं कि “सोशल सिक्योरिटी तभी मजबूत होगी जब योगदान सीमा बढ़ेगी।”
🏢 क्या नियोक्ताओं पर असर पड़ेगा?
हां, लेकिन असर सकारात्मक और प्रबंधनीय होगा। नियोक्ताओं को EPS में करीब ₹833 अतिरिक्त योगदान देना होगा, लेकिन इससे कर्मचारियों की जॉब स्थिरता और संतुष्टि बढ़ेगी।
⚖️ सुप्रीम कोर्ट और कानूनी पक्ष
EPS-95 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पहले कई याचिकाएँ दायर हुईं। अदालत ने कहा था कि सरकार अगर चाहे तो पेंशन सीमा में बदलाव कर सकती है — बशर्ते यह समानता और वित्तीय स्थिरता के सिद्धांतों पर आधारित हो।
लेबर मिनिस्ट्री अब इन्हीं दिशा-निर्देशों के अनुरूप बदलाव पर काम कर रही है।
📅 कब आ सकता है बड़ा फैसला?
संभावना है कि EPFO बोर्ड की अगली बैठक जनवरी 2026 में यह प्रस्ताव पेश किया जाएगा।
अगर मंजूरी मिल गई, तो यह बदलाव अप्रैल 2026 से लागू हो सकता है।
सरकार इसे EPFO 3.0 के हिस्से के रूप में पेश कर सकती है — जो कर्मचारियों की सोशल सिक्योरिटी अपग्रेड की दिशा में एक मील का पत्थर होगा।
🏁 निष्कर्ष
अगर आपकी बेसिक सैलरी ₹25,000 या उससे अधिक है, तो प्रस्ताव लागू होने के बाद आपकी EPS जमा राशि ₹1,250 से बढ़कर ₹2,083 हो जाएगी।
यह केवल योगदान में बढ़ोतरी नहीं, बल्कि रिटायरमेंट सुरक्षा में मजबूती का संकेत है।
2026 में यह सुधार कर्मचारियों के लिए एक नई उम्मीद और सुरक्षित भविष्य की दिशा में बड़ा कदम साबित हो सकता है।
🔍 FAQs: EPS (Employee Pension Scheme) से जुड़ी सामान्य जानकारियाँ
Q1. EPS क्या है?
EPS, EPFO की पेंशन योजना है जिसके तहत कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद मासिक पेंशन दी जाती है।
Q2. EPS में हर महीने कितना योगदान होता है?
नियोक्ता की ओर से बेसिक सैलरी का 8.33% हिस्सा EPS फंड में जमा किया जाता है।
Q3. EPS से पेंशन कब मिलती है?
10 साल की सेवा और 58 वर्ष की आयु पूरी होने पर मासिक पेंशन का अधिकार मिलता है।
Q4. EPS और EPF में क्या अंतर है?
EPF एक सेविंग स्कीम है जिसमें कर्मचारी और नियोक्ता दोनों योगदान करते हैं, जबकि EPS में सिर्फ नियोक्ता का हिस्सा जमा होता है।
Q5. क्या EPS की राशि बीच में निकाली जा सकती है?
अगर सदस्य ने 10 साल से कम सेवा की है, तो वह “Withdrawal Benefit” ले सकता है। लेकिन 10 साल से ज्यादा सेवा होने पर केवल पेंशन ही मिलती है।
