Prayagraj MahaKumbh 5 Best Places: महाकुंभ मेले के दौरान प्रयागराज में कुछ ऐसे स्थान हैं जहां आपको एक बार अवश्य घूमना चाहिए। यह स्थान भी अपने आप में खास महत्व रखता है। तो आइए उन स्थानों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
Prayagraj MahaKumbh 5 Best Places: साल 2025 में प्रयागराज में महाकुंभ मेले का कार्यक्रम होगा। इस अविश्वसनीय आध्यात्मिक आयोजन में पूरे विश्व भर के लाखों भक्त और यात्री आएंगे। इस दिन करोड़ों भक्त पवित्र नदी में स्नान करेंगे। इसके साथ ही महाकुंभ मेले का भ्रमण भी करेंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कुंभ मेले के आसपास कई ऐसे पर्यटन स्थल हैं जिसे शायद ही आप जानते होंगे। तो आज इस खबर में जानेंगे कि प्रयागराज महाकुंभ में घूमने के लिए 5 सर्वश्रेष्ठ स्थान क्या है। इसके साथ ही जानेंगे कि कुंभ मेला क्या है और कुंभ मेला का महत्व क्या है।
कुंभ मेला क्या है (Kumbh Mela Kya Hai)
महाकुंभ मेला सनातन धर्म का एक विशाल मेला और त्योहार है, जो प्रत्येक 12 सा की अवधि में आयोजित किया जाता है। कुंभ मेला चार जगहों के बीच ही घूमता है। इन चारों जगहों ( हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक और उज्जैन ) में सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण प्रयागराज माना गया है। कुंभ मेले में लाखों-करोड़ों श्रद्धालु स्नान करने के लिए आते हैं। मान्यता है कि जो जातक कुंभ में स्नान करता है उसके सारे पाप दूर हो जाते हैं। साथ ही उन्हें मोक्ष की भी प्राप्ति होती है।
प्रयागराज महाकुंभ मेला (Prayagraj Maha Kumbh Mela)
प्रयागराज महाकुंभ का आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व असाधारण है। यहां लोगों को सिर्फ पवित्र स्नान ही नहीं आकर्षित करता है बल्कि शहर की ऐतिहासिक और धार्मिक जगहें भी आकर्षित करती हैं।
प्रयागराज पवित्र संगम (Prayagraj Pavitra Sangam)
प्रयागराज महाकुंभ मेले के दौरान सबसे पवित्र स्थान संगम होता है। यहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का मिलन होता है। मान्यता है कि कुंभ मेले के दौरान पवित्र नदी में स्नान करने का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है। पवित्र नदी में स्नान करने से जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जाती है।
प्रयागराज अकबर किला (Prayagraj Akbar Fort )
महाकुंभ मेला जाने के बाद यदि आप बोर होंगे तो प्रयागराज में स्थिति अकबर द्वारा निर्मित किला का दीदार कर सकते हैं। इस किले को अकबर ने 1583 ई. में एक अद्भुत नमूना तैयार करवाया था। इस किले में कई छुपे हुए ऐतिहासिक रत्न है। इस किले में सरस्वती कूप भी शामिल है। मान्यता है कि सरस्वती कूप से ही सरस्वती नदी का स्त्रोत माना जाता है।
अक्षयवट प्रयागराज (Akshayvat Prayagraj)
प्रयागराज में स्थिति किले के भीतर एक अक्षय वट यानी बरगद का पवित्र पेड़ है। इस पेड़ के बारे में मान्यता है कि यह अविनाशी और शाश्वत है। अक्षयवट का आध्यात्मिक महत्व बहुत ही ज्यादा है। लोगों का मानना है कि यह वृक्ष सृजन, संरक्षण और विनाश के चक्रों का साक्षी रहा है।
पातालपुरी मंदिर भूमिगत तीर्थस्थान (Patalpuri Temple Prayagraj)
प्रयागराज के किले के भीतर पातालपुरी में एक भूमिगत मंदिर है। इस मंदिर में श्रद्धालु आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं। भूमिगत मंदिर में छिपा हुआ रत्न मेले की हलचल से दूर एक शांत अनुभव प्रदान करता है।
लेटे हुए हनुमान जी मंदिर प्रयागराज (Lete Hue Hanuman Ji Mandir Prayagraj)
देश के सबसे अनोखे और अलग मंदिरों में से एक प्रयागराज में हनुमान मंदिर में बजरंग बली की लेटी हुई मूर्ति है। यहां पर भक्तों की हजारों भीड़ देखने को मिलते हैं। भक्तों की भीड़ प्राचीन मंदिर की रहस्यमय सुंदरता को दर्शाता है।