गर्मियों का मौसम शुरू हो गया है।इस मौसम में दुधारू पशुओ को हरा चारा खिलाना बेहद जरुरी है।इससे पशु की दूध देने की क्षमता बनी रहती है।इस मौसम में हरा चारा पशुओ के लिए वरदान से कम नहीं है।हरे चारे के रूप में किसान लोबिया,मक्का,ज्वार आदि की फसल की खेती करके अपने पशुओ के लिए हरे चारे की व्यवस्था कर सकते है।हरा चारा पशुओ के लिए पौष्टिक होता है।इसके साथ ही पशुओ की दूध देने की क्षमता अच्छी रहती है।अगर गर्मियों में पशुओ को आहार में हरे चारे की मात्रा ज्यादा और सूखे चारा की मात्रा कम रखी जाये तो इससे बेहतर परिणाम होता है।
लोम्बिया की चारा किस्मे
लोबिया एक प्रोटीन युक्त पौष्टिक हरा चारा होता है। इसमें 17 से 48 प्रतिशत तक प्रोटीन की मात्रा मौजूद होती है।ऐसे में यह पशुओ के लिए काफी लाभदायक होता है और दूध की मात्रा बढ़ने में मदद करता है।इसके खेती मार्च से अप्रेल महीने तक की जा सकती है।इसकी कई उन्नत किस्मे है जिनमे रशियन जॉइंट,कोहिनूर आदि अच्छी मानी जाती है।लोबिया की पत्तियों को पशु बड़े चाव से खाते है।
चारा ज्वर किस्मे
ज्वारा की कटाई वाली किस्मे की बुवाई करके पशुओ के लिए सालभर तक के लिए व्यवस्था की जा सकती है।जायद में ज्वर की ऐसी किस्मो की खेती की जानी चाहिए।जिसमे एन.सी .एन की मात्रा बहुत कम हो और इनको चारे के लिए कई बार काटा जा सकता है।ऐसी ज्वर की किस्मो में एस एस जी 988-898,पि सी 23 और एम् पि श्री आदि शामिल है।ज्वार की हरे चारे के रूप में इसकी पहली कटाई बुवाई से 50 से 60 दिन बाद की जा सकती है।इसके बाद 25 से 30 दिन बाद इसकी कटाई की जा सकती है।