Property Dispute: भारत में ज़मीन से जुड़े विवादों के लिए स्पष्ट कानूनी प्रावधान मौजूद हैं. इन प्रावधानों का मकसद आपकी संपत्ति की रक्षा और अधिकारों की पुष्टि करना है. कई लोग जानकारी के अभाव में अपनी जमीन छोड़ देते हैं. जबकि कानून उनकी पूरी मदद कर सकता है.
कब्जा और अतिक्रमण में क्या अंतर है?
कब्जा वैध और अवैध दोनों तरह का हो सकता है. अगर आप किसी से संपत्ति खरीदते हैं और रजिस्ट्री कराते हैं, तो यह वैध कब्जा कहलाता है. वहीं अतिक्रमण हमेशा अवैध होता है, जैसे—पड़ोसी का आपकी जमीन पर दीवार बनाना या कुछ हिस्सा घेर लेना.
अवैध कब्जा गंभीर अपराध, जानिए IPC की धाराएं
भारतीय दंड संहिता की धारा 441 में अवैध कब्जे को ‘आगंतुक अपराध’ माना गया है. वहीं धारा 447 के तहत दोषी को तीन महीने की जेल या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है. यह अपराध सिर्फ दीवानी नहीं बल्कि आपराधिक श्रेणी में भी आता है.
जमीन पर अवैध कब्जा हो जाए तो अपनाएं ये कानूनी तरीका
अगर किसी ने आपकी जमीन पर कब्जा कर लिया है, तो खुद से कोई गैरकानूनी कदम न उठाएं. सबसे पहले स्थानीय राजस्व अधिकारी या तहसीलदार को शिकायत दें. इसके बाद पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कराएं. अंतिम विकल्प के तौर पर आप न्यायालय में याचिका दाखिल कर सकते हैं.
अवैध कब्जे से नुकसान हुआ है? मिल सकता है मुआवजा
अगर कब्जे के दौरान संपत्ति को कोई नुकसान हुआ है, तो आप सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC) के आदेश 39, नियम 1, 2 और 3 के तहत अदालत में मुआवजे की मांग कर सकते हैं. अदालत संपत्ति के वर्तमान बाजार मूल्य के अनुसार राहत देने का आदेश दे सकती है.
संपत्ति की रक्षा कैसे करें? ये उपाय ज़रूरी हैं
- कोर्ट में केस होने की स्थिति में सभी कागजात और फोटो सबूत तैयार रखें.
- सभी ज़रूरी दस्तावेज सुरक्षित रखें जैसे रजिस्ट्री, खसरा-खतौनी, टैक्स रसीदें आदि.
- संपत्ति पर नियमित निगरानी रखें और अगर वो दूरस्थ इलाके में हो तो कोई स्थानीय विश्वसनीय व्यक्ति ज़रूर नियुक्त करें.
- कोई संदिग्ध गतिविधि नजर आए तो तुरंत प्रशासन को सूचित करें.