Property purchase and sale rule : प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त को लेकर भारत के हर राज्य में सरकार ने अलग अलग नियम तय किए हुए हैं। इन नियमों के तहत ही प्रॉपर्टी की खरीद ब्रिकी होती है। अगर आप प्रॉपर्टी खरीदने या बेचने जा रहे हैं तो ये खबर आपके लिए अहम है। दरअसल, हाल ही में केंद्र सरकार ने 100 साल पुराने प्रॉपर्टी के नियमों में बदलाव किया है। जान लें अब कैसे होगा प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन –
केंद्र सरकार द्वारा भारत के सभी राज्यों में प्रॉपर्टी की खरीद बिक्री को लेकर नियम बनाए हुए हैं। इन नियमों के तहत प्रॉपर्टी की खरीद फरोख्त होती है। राज्य सरकार प्रॉपर्टी नियमों (property and land registry rules) में पारदर्शिता लाने और कमियों को दूर करने के लिए समय समय पर इनमें बदलाव करती रहती है। अब केंद्र सरकार ने 100 साल से ज्यादा पुराने प्रॉपर्टी नियमों को चेंज कर दिया है। ऐसे में प्रॉपर्टी खरीदन या बेचने की तैयारी कर रहे हैं तो इस नियम के बारे में जरूर जान लें।
केंद्र सरकार ने प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन नियमों में किया बदलाव –
बता दें कि केंद्र सरकार ने संपत्ति के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन (Online property and land registry rules) को अनिवार्य बनाने और दस्तावेजों के डिजिटल संरक्षण को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण रूप रेखा तैयार की है। यह प्रस्तावित कानून 117 साल पुराने रजिस्ट्रेशन अधिनियम (Registration Act) की जगह लेगा। ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्गत भूमि संसाधन विभाग ने इस लिखत दस्तावेज को जनता से राय लेने के लिए तैयार किया है ताकि यह पता लगया जा सके कि यह नियम सही है।
इस वजह से नियमों में संशोधन –
मौजूदा समय में रजिस्ट्रेशन अधिनियम (Registration Act) पूरे देश में लागू है। केंद्र सरकार प्रॉपर्टी नियमों में बदलाव कर सकती है। वहीं, इस नियम में संशोधन का अधिकार राज्य सरकार के पास भी होता है। इसके लिए राज्य सरकारों को केंद्र से परमिशन लेनी होती है।
बता दें कि अब सरकार ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को अनुमति दी है। इससे पहले कई राज्यों इस नियम को अपडेट कर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र ने एक व्यापक कानून लाने का निर्णय लिया है, जो पूरे देश में समान रूप से लागू हो सके। मसौदा विधेयक के तहत अब एग्रीमेंट टू सेल (Agreement to Sell), पावर ऑफ अटॉर्नी, सेल सर्टिफिकेट और इक्विटेबल मॉर्गेज जैसे दस्तावेजों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया जाएगा।
वेरिफिकेशन के लिए आधार कार्ड होगा जरूर –
सरकार ने प्रॉपर्टी रजिट्रेशन (Property Registration Rule) के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया है। प्रॉपर्टी से जुडे वेरिफिकेशन के लिए आधार एक महत्वूपर्ण डॉक्यूमेंट है। इसके लिए नागरिकों की सहमति जरूरी होगी। जो लोग अपना आधार नंबर साझा नहीं करना चाहते उनके लिए वैकल्पिक सत्यापन की व्यवस्था भी की जाएगी।
यह कदम धोखाधड़ी और फर्जीवाड़ा कम करने के लिए उठाया गया है। इसके साथ ही, सरकार इलेक्ट्रॉनिक रजिस्ट्रेशन प्रमाणपत्र (Electronic Registration Certificate) और रिकॉर्ड के डिजिटल रख रखाव की भी अनुमति देने जा रही है। अब दस्तावेजों की ई-प्रस्तुति और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया ऑनलाइन माध्यम से निकाली जा सकेगी।
भूमि संसाधन विभाग (Department of Land Resources) ने रिपोर्ट जारी करते हुए बताया है कि तकनीक के बढ़ते हुए इस युग में ज्यादा चीजें ऑनलाइन हो गई है। वहीं, बदलते सामाजिक-आर्थिक व्यवहार और पंजीकृत दस्तावेजों पर बढ़ती निर्भरता ने एक आधुनिक और भविष्य उन्मुख रजिस्ट्रेशन प्रणाली की आवश्यकता को रेखांकित किया है। विभाग ने इस मसौदे पर आम जनता से भी राय मांगी है।