सनातन धर्म में भगवान विष्णु को धरती का पालन हार कहा जाता है। हिंदू से पंचांग में साल की सभी 24 एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है। बैशाख माह में आने वाली एकादशी को मोहिनी एकादशी कहते हैं। इस साल 20 मई सोमवार को मोहिनी एकादशी का व्रत और पूजा की जा रही है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार का अपनाकर दानवो को मोहित कर लिया था और समुद्र मंथन से निकला अमृत उनसे लेकर देवताओं को दिया था जिसे देवता अम्र हो गए थे ।
इसी दिन राहु -केतु का जन्म हुआ
कहा जाता है इसी दिन राहु -केतु का जन्म हुआ इसलिए जानते हैं राहु केतु जी का जन्म मोहिनी एकादशी से क्या संबंध है। ज्योति शास्त्र में राहु -केतु को पापी छाया ग्रह कहा गया है। मान्यता है कि इनकी वजह से ही हर बार सूर्य चंद्रमा को ग्रहण लगता है। राहु केतु पहले अलग-अलग ग्रह नहीं थे। दोनों एक ही शरीर से जन्मे राक्षश ग्रह है। जब समुद्र मंथन हो रहा था देवता और दान समुद्र मंथन से निकले अमृत को पाने के लिए लड़ रहे थे।
बाहुबल की वजह से अमृत कलश दानवो के पास चला गया
ऐसे में बाहुबल की वजह से अमृत कलश दानवो के पास चला गया। तब देवताओं की प्रार्थना पर भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया और दानवो को अपने रूप के मोह में बांध लिया। मोहिनी के मोह से दानव मोहित हो गए और उन्हें अमृत से भरा कलश भगवान विष्णु को दे दिया।।
भगवान विष्णु ने क्रोध में आकर स्वर्भानु का सिर धड़ से अलग कर दिया।
भगवान विष्णु ने देवताओं को कलश दे दिया। देवता पंक्ति में बैठकर अमृत का पान रहे थे। ऐसे में एक राक्षश स्वरभानु ने भेष बदलकर इस पंक्ति में था और धोखा देकर उसने अमृत का पान कर लिया। लेकिन उस वक्त सूर्य चंद्रमा ने उसे पहचान लिया और भगवान विष्णु की सच्ची बताई। भगवान विष्णु ने क्रोध में आकर स्वर्भानु का सिर धड़ से अलग कर दिया। क्योंकि स्वर्भानु अमृत का पान कर चुका था इसलिए इसका वध नहीं हो पाया। उसका शरीरदो हिस्सों में बंट गया।
राहु – केतु मजबूत स्थिति में होते हैं उनकी जिंदगी में परेशानियां कम होती है
उसका सिर राहु कहलाया और धड़ केतु कहलाया। क्योंकि सूर्य चंद्रमा ने सूर्यभानु को देखकर उसकी सच्चाई भगवान विष्णु को बता दी थी। इसलिए राहु -केतु सूर्य और चंद्रमा से दुश्मनी रखते हैं। दोनों उसके लिए समय-समय पर सूर्य चंद्रमा का ग्रहण का कारण बनते हैं। सर्प की आकृति वाले राहु और केतु के चलते सूर्य और चंद्रमा पर ग्रहण लगता है। राहु केतु अमृत पान के चलते मर नहीं सकते है यह हमेशा सूर्य और चंद्रमा को ग्रहण लगाते रहेंगे। राहु -केतु भी जातक पर ज्योतिषीय असर डालते है। कहा जाता है जिनकी कुंडली में राहु – केतु मजबूत स्थिति में होते हैं उनकी जिंदगी में परेशानियां कम होती है।