गुरूवार से आयोध्या में भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में अधिवास का दौर शुरू हो चुका है। अधिवास के दौरान रामलला की अचल प्रतिमा को रामलला के गर्भगृह में प्रवेश कराया गया है इस दौरान 4 घंटे की पूजा और अनुष्ठान के बाद रामलला को उनके गर्भगृह पर निर्मित सिंहासन पर विराजमान कराया गया। यही पर प्राण प्रतिष्ठा से संबंधित पूजा को संपन्न कराया जाएगा। इसके साथ ही रामलला की एक रजत प्रतिमा भी स्थापित की गयी है जिसकी पूजा अर्चना की जा रही है।
रामलला की मूर्ति हुई स्थापित
प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के लिए भगवान रामलला के आसन के नीचे स्वर्ण का श्री राम यंत्र लगाया गया और उस पर कमल दल पर भगवान रामलला की 5 वर्षीय बालक की खड़ी प्रतिमा को स्थापित किया गया है। यह वही प्रतिमा है जिसे मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाया है। श्री राम जन्मभूमि क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य उडुपी पीठाधीश्वर विश्व तीर्थ प्रपन्नाचार्य ने बताया कि जहां आज रामलला की स्थापना की गई उसे प्रतिमा के नीचे कर्म पीठ की प्रतिष्ठा की गई है। इसके अलावा नवरत्न तथा पवित्र स्थलों की रज भी वहां पर स्थापित की गई है।
शुरू हुए 12 अधिवास
विश्व तीर्थ प्रपन्नाचार्य जी महाराज का कहना है कि भगवन श्रीराम के जन्म स्थल पर लगाए गए स्थाम्बो में पवित्र नदियों के जल को भी डाला गया है भगवान श्रीराम के सिहांसन के नवरत्नों को भी स्थापित किया गया है। जिसमें स्वर्ण, चांदी, माणिक, पन्ना, गोमेद, हीरा नीलम जैसे धातु को भी धमिल किया है भगवान श्रीराम कि मूर्ति आप अपने जन्म स्थान पर पहुंच गयी है आयोध्या में भगवान रामलला की मूर्ति स्थापना से संबंधित आगे के धार्मिक अनुष्ठान को संपन्न कराया जाएगा। भगवान रामलला का आज से 12 तरह का अधिवास भी शुरू हुआ है जो 21 जनवरी तक चलेगा।