RBI Action: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मई 2025 में सख्त कार्रवाई करते हुए एक बैंक और दो नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (NBFCs) का लाइसेंस रद्द कर दिया है. इन संस्थानों पर या तो ग्राहकों के हितों को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगा या फिर रेगुलेटरी नियमों के उल्लंघन का मामला सामने आया. 31 दिनों के भीतर RBI की तीन बड़ी कार्रवाईयों से फाइनेंशियल सेक्टर में हलचल मच गई है.
लखनऊ स्थित HCBL को-ऑपरेटिव बैंक पर ताला
RBI ने लखनऊ के HCBL को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड का बैंकिंग लाइसेंस रद्द कर दिया है. यह निर्णय बैंक की कमजोर वित्तीय स्थिति और ग्राहक जोखिम को देखते हुए लिया गया. केंद्रीय बैंक का कहना है कि इस बैंक का संचालन जमाकर्ताओं के हितों के लिए हानिकारक बन चुका था. RBI की कार्रवाई के बाद बैंक अब न तो कोई नया डिपॉजिट स्वीकार कर सकता है, और न ही पुराने ग्राहकों को पैसे लौटा सकता है. हालांकि ग्राहकों को DICGC (डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन) अधिनियम 1961 के तहत ₹5 लाख तक की बीमित राशि प्राप्त करने का अधिकार है.
बैंक की स्थिति बेहद खराब थी
RBI के अनुसार, बैंक के पास पर्याप्त पूंजी नहीं थी और उसकी कमाई की संभावनाएं भी खत्म हो चुकी थीं. ऐसे में इसके संचालन को जारी रखना जमाकर्ताओं की जमा राशि के लिए खतरा बनता जा रहा था. इसीलिए बैंक का लाइसेंस तुरंत प्रभाव से रद्द कर दिया गया.
दिल्ली और कानपुर की दो NBFCs के लाइसेंस भी रद्द
RBI ने एम/एस एनवाई लीजिंग प्राइवेट लिमिटेड (साउथ दिल्ली) और आरएल इनवेस्टमेंट एंड फाइनेंस कंपनी लिमिटेड (कानपुर) का Certificate of Registration (CoR) भी रद्द कर दिया है. इन कंपनियों पर RBI के नियमों के उल्लंघन का आरोप है.
ग्राहकों के हितों के खिलाफ काम कर रहीं थीं कंपनियां
एनवाई लीजिंग प्राइवेट लिमिटेड ने अपने लोन संचालन के लिए थर्ड पार्टी आउटसोर्सिंग की व्यवस्था अपनाई. लेकिन इस प्रक्रिया में ग्राहकों की सुरक्षा से जुड़े निर्देशों जैसे KYC जांच, लोन वितरण प्रक्रिया, वसूली और पुनर्भुगतान संबंधी दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया. इसी तरह आरएल इनवेस्टमेंट एंड फाइनेंस कंपनी पर भी नियामकीय नियमों की अनदेखी का आरोप है. अब इन कंपनियों को NBFC के तौर पर आगे कारोबार जारी रखने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
क्यों जरूरी है RBI की ऐसी कार्रवाई
ग्राहकों की सुरक्षा और बैंकिंग सिस्टम की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए RBI समय-समय पर निगरानी और सख्त कार्रवाई करता है. जिन संस्थानों की वित्तीय स्थिति डगमगाने लगती है या जो ग्राहक हितों की अनदेखी करते हैं. उन पर सख्त निर्णय लिया जाता है. इससे बाजार में भरोसा बना रहता है और जमाकर्ताओं की पूंजी को नुकसान से बचाया जा सकता है.
क्या करें अगर बैंक या NBFC का लाइसेंस रद्द हो जाए?
- ग्राहकों को सलाह दी जाती है कि वे आगे कोई नया निवेश करने से पहले RBI से रजिस्टर्ड संस्थानों की सूची जांचें.
- ग्राहक सबसे पहले बैंक की आधिकारिक वेबसाइट या RBI की वेबसाइट से जानकारी की पुष्टि करें.
- यदि बैंक का लाइसेंस रद्द हुआ है, तो DICGC के तहत ₹5 लाख तक का दावा कर सकते हैं.
- NBFC से जुड़े ग्राहकों को उचित समय पर लिखित नोटिस या ईमेल द्वारा सूचना दी जाती है.