RBI बेंको ने जारी की गाइडलाइन,लोन नहीं भरने वालो को मिले यह अधिकार

अक्सर लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए लोन लेते है ,लेकिन कई बार कुछ परिस्थतिया ऐसे होती है की इंसान के लिए लोन चुकाना मुश्किल हो जाता है।ऐसे में लोन वाले को गिरवी रखे गए एसेट को गवाना पड़ता है,क्युकी बैंक को इस परिस्थति में गिरवी रखी प्रॉपर्टी को कानूनन जब्त करने का हक़ है।ऐसे में कई बार शरण लेने वाले को ये दर लगता है की कागि रिकवरी एजेंट्स उनके साथ बदसलूकी नहीं कर दे ,जिससे की उनकी छवि समाज में धूमिल हो जाए। also read : हैदराबाद के खिलाफ मैदान में उतरेगी लखनऊ, जानिए संभावित प्लेइंग इलेवन, पिच कंडीशन और वेदर रिपोर्ट
अगर आपके सामने भी ऐसी परिस्थिया है तो आपको अपने कुछ मानवीय अधिकारों के बारे में पता होना चाहिए।ध्यान रखे की बैंक अगर आपको डिफॉलटर घोषित कर दे तो भी बैंक आपके साथ बदसुलूकी नहीं कर सकता है क्युकी लोन डिफ़ॉल्ट होना सिविल मैंने है।अपराधी केस नहीं।
रिकवरी एजेंट की बदसलूकी पर यहाँ करे शिकायत
लोन नहीं चुकाने पर कर्जदाता अपना लोन वसूलने के लिए रिकवरी एजेंटो के सेवाए ले सकते है।ये अपनी हद पार नहीं कर सकते है।उन्हें ग्राहकों को धमकाने या बदसलूकी करने का अधिकार नहीं है।रिकवरी एजेंट्स ग्राहक के घर सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे के बिच जा सकते है। अगर रिकवरी एजेंट्स ग्राहकों से किसी तरह की बदसलूकी करते है तो ग्राहक इसकी शिकायत बैंक में कर सकते है।बैंक से सुनवाई नहीं होने पर बैंकिंग ऑब्ड्समेँ का दरवाजा खटखटया जा सकता है।
बैंक को नोटिस भेजना जरुरी
बैंक यु ही आपके एसेट को अपने कब्जे में नहीं ले सकता है।जब उधर लेने वाला 90 दिनों तक लोन क़िस्त नहीं चुकता है तब कहते को तन नॉन परफोर्मिंग एसेट में डाला जाता है।इस तरह के मामले में कर्ज देने वाले को डिफॉलटर को 60 दिन का नोटिस जारी करना पड़ता है
नीलामी होने से नहीं रोक पाए तो
अगर एसेट को नीलामी को नौबत को आप रोक नहीं पाए तो नीलामी की प्रक्रिया पर नजर रखे क्युकी आपके पास लोन की वसूली के बाद बची अतिरिक्त रकम को पाने का अधिकार होता है।बैंक को वो बच हुई रकम लेनदार को लोटनी ही होती है।