RBI Loan Rules: देश के करोड़ों कर्जदारों को राहत देते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक बड़ा फैसला लिया है। अब अगर कोई व्यक्ति EMI (मासिक किस्त) समय पर नहीं चुका पाता है, तो बैंक और NBFCs (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां) उस पर केवल जुर्माना (Penal Charges) लगा सकेंगी, लेकिन उस जुर्माने पर ब्याज (Interest) नहीं वसूल सकेंगी।
अब तक कैसे होता था EMI पर जुर्माना और ब्याज ?
अब तक की व्यवस्था में, जब कोई ग्राहक EMI समय पर नहीं चुका पाता था, तो:
- उस पर एक जुर्माना राशि (Penalty) लगाई जाती थी
- फिर उस जुर्माना राशि पर भी अतिरिक्त ब्याज जोड़ा जाता था
- इससे कर्जदार पर दोहरी मार पड़ती थी – EMI के अलावा पेनल्टी और उस पर ब्याज भी
यह व्यवस्था अनुचित और बोझिल मानी जा रही थी, खासकर छोटे कर्ज लेने वालों के लिए।
RBI की नई गाइडलाइन सिर्फ पेनल्टी उस पर कोई ब्याज नहीं
RBI ने अपने नए निर्देशों में साफ कहा है कि:
- अगर कोई कर्जदार EMI समय पर नहीं चुका पाता है, तो बैंक उसे केवल पेनल्टी चार्ज कर सकते हैं
- लेकिन उस पेनल्टी पर अलग से कोई ब्याज नहीं जोड़ा जा सकेगा
- यह निर्देश 1 अप्रैल 2025 से लागू हो जाएगा
यह बदलाव खासकर उन लोगों के लिए राहत लेकर आया है जो होम लोन, पर्सनल लोन, ऑटो लोन या एजुकेशन लोन जैसे नियमित भुगतान वाले कर्जों से जुड़े हुए हैं।
किन पर लागू नहीं होंगे ये नियम ?
RBI ने स्पष्ट किया है कि ये नियम कुछ खास लोन उत्पादों पर लागू नहीं होंगे, जैसे:
- क्रेडिट कार्ड भुगतान
- एक्सटर्नल कमर्शियल बॉरोइंग (ECB)
- बिजनेस क्रेडिट / कॉर्पोरेट लोन
इन क्षेत्रों में जोखिम और कर्ज की संरचना अलग होती है, इसलिए नियमों की प्रकृति भी भिन्न होती है।
RBI ने बैंकों को दी सलाह अनुशासन बनाएं लाभ का साधन न बनाएं
आरबीआई ने बैंकों और NBFCs को सख्त शब्दों में यह भी कहा है कि:
- पेनल्टी चार्ज उचित और पारदर्शी होना चाहिए
- यह किसी उत्पाद या ग्राहक वर्ग के खिलाफ पक्षपातपूर्ण नहीं होना चाहिए
- पूंजीकरण (Capitalization) नहीं किया जाएगा, यानी पेनल्टी को मूल कर्ज में जोड़कर उस पर और ब्याज नहीं लिया जाएगा
केंद्रीय बैंक का कहना है कि पेनल्टी का उद्देश्य अनुशासन लाना है, न कि बैंक के लिए अतिरिक्त राजस्व कमाना।
उदाहरण से समझें नई व्यवस्था
मान लीजिए कि एक व्यक्ति की ₹10,000 की EMI है, और वह समय पर भुगतान नहीं करता।
पहले क्या होता था ?
- ₹500 की पेनल्टी लगती
- उस ₹500 पर भी 18% सालाना के हिसाब से ब्याज जुड़ता
- अगली EMI में कुल भुगतान ₹10,000 + ₹500 + ₹ ब्याज = ज्यादा होता
अब क्या होगा ?
- केवल ₹500 की पेनल्टी लगेगी
- उस ₹500 पर ब्याज नहीं लिया जाएगा
- अगली EMI में ग्राहक को सिर्फ ₹10,500 ही देना होगा
इस फैसले से कर्जदारों को क्या फायदा होगा ?
✅ दोहरी सजा से राहत: अब EMI पर देरी करने पर केवल एक बार पेनल्टी लगेगी, उस पर ब्याज नहीं।
✅ बैंक की मनमानी पर रोक: अब कोई बैंक इस जुर्माने को एक कमाई के साधन के रूप में इस्तेमाल नहीं कर सकेगा।
✅ पारदर्शिता बढ़ेगी: ग्राहकों को यह पता रहेगा कि उनसे कौन सी राशि किस आधार पर वसूली जा रही है।
✅ साधारण और कमजोर वर्ग को मदद: खासकर मध्यम और निम्न वर्ग के उन लोगों को राहत मिलेगी जो समय-समय पर किसी कारणवश EMI लेट कर देते हैं।
बैंक और NBFC को करना होगा सिस्टम अपडेट
इस नियम के लागू होते ही सभी बैंकों और एनबीएफसी को अपने लोन मैनेजमेंट सिस्टम (LMS) और ऑटो कैलकुलेशन प्रोसेस में बदलाव करना होगा।
- सभी EMI चार्ज मॉड्यूल में पेनल्टी पर ब्याज हटाना होगा
- ग्राहकों को स्पष्ट रूप से जानकारी दी जाएगी कि जुर्माना किस आधार पर लगा
- ट्रांसपेरेंट रिपोर्टिंग की जिम्मेदारी बैंक की होगी
क्या यह बदलाव स्थायी रहेगा ?
RBI ने साफ कहा है कि यह नियम कर्जदाताओं के हितों की रक्षा के लिए लाया गया है और इसे स्थायी रूप से लागू किया जाएगा। हालांकि, इसमें सुधार या संशोधन भविष्य की परिस्थितियों को देखते हुए किया जा सकता है।
कर्जदारों को राहत बैंकों को अनुशासन की सीख
RBI का यह फैसला भारत के करोड़ों कर्जदारों के लिए एक सकारात्मक पहल है। यह न केवल बैंकों की मनमानी पर नियंत्रण लाता है, बल्कि कर्ज प्रणाली में पारदर्शिता और जिम्मेदारी को भी बढ़ावा देता है।