मकान मालिक सालाना सिर्फ इतना ही बढ़ा सकता है किराया, जानें कानूनी हदें वरना जेल हो जाएगी! हरियाणा नियम + आपके हक, अभी पढ़ें बचाव के टिप्स।
हर किरायेदार को पता होना चाहिए कि मकान मालिक बिना वजह हर साल किराया दोगुना नहीं कर सकता। कानून साफ तौर पर सालाना बढ़ोतरी की ऊपरी सीमा तय करता है, ताकि किरायेदारों का शोषण न हो। ये नियम आपको मजबूत हथियार देते हैं मनमानी के खिलाफ लड़ने के लिए।
सालाना किराया बढ़ोतरी की सही हद
भारत भर में ज्यादातर जगहों पर मकान मालिक एक साल में महज 5 से 10 प्रतिशत तक ही किराया बढ़ा सकते हैं। ये बढ़ोतरी रेंट एग्रीमेंट में पहले से तय होनी चाहिए, वरना अमान्य मानी जाती है। अगर एग्रीमेंट चुप है तो पुराना किराया ही लागू रहता है, जब तक दोनों पक्ष सहमत न हों।
किरायेदारों को मिलने वाले कानूनी हक
कानून किरायेदारों को कई मजबूत सुरक्षा कवच देता है।
- किराया बढ़ाने से पहले कम से कम 1-3 महीने का लिखित नोटिस देना पड़ता है।
- सुरक्षा जमा रिहायशी मकान के लिए सिर्फ 2 महीने का और दुकान के लिए 6 महीने तक ही ले सकते हैं।
- बिना वजह बेदखली नहीं हो सकती, सिर्फ किराया न चुकाने या मकान खराब करने पर कोर्ट का आदेश जरूरी।
नया टेनेंसी कानून क्या बदलाव लाया
केंद्र का नया मॉडल कानून किराया मामलों को तेज हल करने के लिए बना है। इसमें साल में सिर्फ एक बार बढ़ोतरी की इजाजत है, वो भी आपसी सहमति से। सभी एग्रीमेंट ऑनलाइन रजिस्टर करने पड़ते हैं, जिससे झगड़े कम हों। विवाद होने पर खास अथॉरिटी फैसला सुनाती है।
हरियाणा के स्थानीय नियम क्या कहते हैं
हरियाणा में पुराना रेंट कंट्रोल कानून लागू है, जो उचित किराया तय करने का तरीका बताता है। मकान मालिक टैक्स बढ़ने जितना ही किराया बढ़ा सकता है, या रखरखाव पर 8 प्रतिशत तक। बिना सरकारी मंजूरी के ज्यादा बढ़ोतरी पर किरायेदार आसानी से रोक लगा सकता है। नारनौंड जैसे इलाकों में ये नियम सख्ती से फॉलो होते हैं।
मनमानी रोकने के आसान उपाय
अगर मकान मालिक नियम तोड़े तो घबराएं नहीं—लिखित शिकायत स्थानीय रेंट कोर्ट में करें। हमेशा एग्रीमेंट पर साइन करने से पहले सभी शर्तें पढ़ लें। ये छोटे कदम आपकी जेब और सुकून की रक्षा करेंगे।
