नई दिल्ली जिला उपभोक्ता अदालत ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में चलती ट्रेन में चोरी की घटना पर रेलवे बोर्ड को हर्जाना अदा करने का निर्देश दिया है। अदालत के फैसले में बोर्ड को कुल 1.08 लाख रुपये की राशि यात्री को अदा करने के निर्देश दिए गए हैं।
सुरक्षात्मक जिम्मेदारी
अध्यक्ष इंद्रजीत सिंह और सदस्य रश्मि बंसल की पीठ ने पाया कि आरक्षित सीट से चोरी होने पर सुरक्षा की जिम्मेदारी रेलवे बोर्ड की है।
शिकायतकर्ता का आरोप
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि वातानुकूलित द्वितीय श्रेणी कोच में कोई बाहरी व्यक्ति सुरक्षाकर्मी और टीटी की अनुमति से प्रवेश कर उनका सामान चोरी कर ले जाता है।
शिकायत के अनुसार, वर्ष 2016 में शिकायतकर्ता जया कुमारी मालवा एक्सप्रेस से दिल्ली से इंदौर जा रही थीं। इस दौरान झांसी से ग्वालियर के बीच में उनका बैग चोरी हो गया। बैग में लैपटॉप, मोबाइल समेत करीब 80 हजार रुपये कीमत का सामान था।
उन्होंने तुरंत टीटी को शिकायत दर्ज कराई, इसके बावजूद शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। पीड़िता ने इंदौर स्टेशन पर उतर कर जीआरपी चौकी पर शिकायत दी, लेकिन जीआरपी कर्मियों ने शिकायत लेने से इंकार कर दिया। इस दौरान कोच में सवार कई अन्य यात्रियों का भी सामान चोरी हुआ था।
अदालत ने जांच में पाया कि रेलवे कर्मियों की लापरवाही से यात्रियों का सामान चोरी हुआ। अदालत ने रेलवे बोर्ड पर 80 हजार रुपये हर्जाना, 20 हजार रुपये शिकायतकर्ता को हुई तकलीफ के लिए जुर्माना और अन्य खर्चों के लिए कुल 8 हजार रुपये अतिरिक्त भुगतान का निर्देश दिया।
इंश्योरेंश और रेल अधिनियम में सुधार
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि रेलवे को यात्रियों के सामान का भी इंश्योरेंश कराने का विकल्प देना चाहिए और इंडियन रेलवे एक्ट में भी सुधार के तौर पर शामिल करना चाहिए।