किसानों कम निवेश में कर सकते हैं हैं काले धान की खेती, कुछ दिनों में देता सोने जैसा मुनाफा

 
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डायबिटीज के मरीजों के लिए एक अच्छी खबर आ रही हैं अब वे बिना किसी डर के चावल खा सकते हैं डाइबिटीज के रोगियों के लिए एक वरदान साबित होने वाला हैं इसके सेवन शुगर का बढ़ने का खतरा नहीं होगा इससे शुगर के मरीजों के लिए वरदान साबित होता हैं इसके खाने से शुगर बढ़ने का खतरा नहीं होगा इससे दवा किया जा रहा हैं काला धान का बाजार में मूल्य 400 से 800 रूपये प्रति किलोग्राम हैं 400 से 800 रुपए प्रति किलोग्राम बिकने वाले इस धान की खेती में किसानो को अच्छा मुनाफा होने वाला हैं इसकी खेती में कीटनाशकों और उर्वरक का उपयोग नहीं होता हैं जिस वजह से खेती काफी कम लागत आती हैं इसके चावल में रसायनो का खतरा भी नहीं होती यही कारण हैं की कालाधन की पैदावार सामान्य धान की तुलना में कम होने के बावजूद भी किसानो को इससे अच्छा मुनाफा होता हैं 

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कालाधन में भरपूर मात्रा में होते हैं गुण 
कालाधान डाइबिटीज के मरीजों के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद होता हैं इसका नियमित रूप से सेवन करने से दवाइयों से छुटकारा दिलाता हैं बल्कि कुछ समय बाद वह सामन्य लोगो की तरह से जीने लगते हैं काला धान म एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं और इसमें में भरपूर मात्रा में एंटीकैंसर गुण मौजूद होते हैं जो बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं काला धान में विटामिन इ,बी , कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन और जिनक भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं इससे ब्लड का शुद्धिकरण खोता हैं और साथ ही इस चावल में चर्बी भी कम होती हैं 

सामन्य चावल से महंगा 
आपको बता दे काला धान सामन्य चावल से काफी महंगा बिकता हैं बाजार में इस चावल के भाव 300 से 500 रूपये प्रतिकिलो हैं और इस चवल की विदेशो में काफी मांग बढ़ रही हैं हालाँकि इस चावल की पैदावार सामन्य चवल की तुलना में कम होती हैं लेकिन इस चवल से जबरदस्त मुनाफा होता हैं आपको बता दे भारत में हर साल 37 मिलियन तन होनी वाली खेती में 100 से 150 मिलियन चावल की पैदावार होती हैं भारत में चवल की अच्छी पैदावार के साथ साथ बड़े स्तर पर इसका निर्यात भी होता हैं 

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कितने बीज की होती हैं जरूरत 
काले धान की खेती करने के लिए एक एकड़ में जमीन में लगभग 3 किलो बीज लगता हैं किसान काले धान के बीजो को बाजार से या फिर अपने जिले के सरकारी नर्सरी या कृषि विज्ञान केंद्र से खरीद सकता हैं यदि को कृषि विश्विधालय हो तो वहां से भी किसान बीज प्राप्त कर सकता हैं