बकरी पालन कर ये किसान कैसे कमा रहा है लाखों करोड़ों रूपये ,पढ़ें इसकी सफलता की कहानी

 
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चुनौतियां तभी आती है जब आप सफलता पाने की राहों में कुछ क्रांति कर रहे होते है कुछ इसी ही मिसाल महाराष्ट्र के पुणे जिले के बारामती गांव के बालू पांडुरंग मोटे ने प्रस्तुत की है जो एक बकरी पालक और किसान है यह शैली अहर्षस्त्र समूह के ब्रांड के मालिक है 

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बालू एक किसान फैमली से है और इन्होने इस क्षेत्र में स्नातक की पढ़ाई भी की है कृषि क्षेत्र में पहले से ही बैकग्राउंड होने की वजह से इनके पास अपनी बकरियां और खेत है जो इनको विरासत से मिली हुई है 
इन्होने अपनी शुरुआत पारंपरिक खेती से की थी लेकिन बकरी पालन की तरफ ज्यादा ध्यान दिया करते थे क्योकिं बकरी पालन से अधिक लाभ मिलता था बालू ने अपने बकरी फार्म के प्रबंधन में अपनी क्षमता में सुधार करने के लिए नई तकनीकों और तरीकों को सीखा और फिर उसको अपने फार्म में काम में लेना शुरू किया बालू का कहना है की बकरियों का पालन महंगा है लेकिन उनको अपने निवेश पर अच्छा रिटर्न मिलता है 
बालू को बकरी पालन के लिए पानी की व्यवस्था करने में काफी परेशानी आई थी लेकिन अच्छी आय के साथ वह बकरियों के लिए पानी की व्यवस्था करने में सफल रहे बाजार में बकरी के मांस और दूदू को अधिक मांग होती है इससे फायदा अधिक होता है 
बालू ने जून 2015 में बकरी पालन शुरू किया और आज उनके पास 200 भेड़ और 25 बकरियां है इस व्यवसाय में बड़े पैमाने पर जाने में काफी मुश्किलें आई लेकिन धीरे -धीरे बालू इसको सफलता में बदलते गए शुरुआत में तो इनको नुकसान भी हुआ क्योकिं उन्हें ज्यादा इन्वेस्टमेंट करना पड़ा था लेकिन आज के समय में यह एक सफल बकरी पालक किसान है 

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इन्होने बकरियों के लिए 76 मीटर लंबा क्षेत्र बनाया हुआ है जहां सभी बकरियां हरी घास और अन्य चारा खाती है इन जानवरों को मक्का पशु चारा विभिन्न घास सूखा चारा आदि खिलाया जाता है बालू कहते है की आप एक्सपीरियंस के साथ सीखते है और आपकी बकरियों और उनके दूध की गुणवत्ता इस बात पर निर्भर करेगी की आप उनको खिलते है 
बालू ने आगे बताया क सफलता की कोई कहानी देखकर या पढ़कर बकरियां न पालें क्योकिं बकरी पलना इतना आसान नहीं है जितना लगता है इस व्यवसाय को सावधानीपूर्वक स्किम और बुद्धिमान के साथ करना होता है 
यह अपने ज्ञान और अन्य उपयोगी जानकारी को बकरी पालक किसानों के साथ शेयर करते है ताकि उनको सही जानकारी मिलती रहे इन्होने अपना खुद का एक WhatsApp और टेलीग्राम ग्रुप भी बनाया हुआ है जिसका नाम शेली  अहर्षस्त्र है इसके द्वारा वह 5000 से 7000 किसानों का मार्गदर्शन करते है