भारत का रेशम कीट पालन में चीन के बाद दूसरा स्थान, इससे किसान कमा सकते है लाखो का मुनाफा

 
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आजकल खेती में नए नए शोध हो रहे है कृषि विभागों और अन्य संस्थाओं के द्वारा किसानो को ऐसी फसलों के लिए प्रेरित किया जाता है जो उन्हें अधिक से अधिक मुनाफा दे पिछले कुछ सालो से एक उद्योग बन चूका है भारत के खेतो में मिटटी सोना उगलती है अब न केवल किसान और धन की खेती करते है बल्कि अपनी आय बढ़ाने के लिए किसान पशुपालन, मछली पालन, मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट सहित कई तरह के काम करने लगे है जिनसे उन्हें म लागत में अच्छा मुनाफा मिलता है आज हम आपको किसानो के सिल्क प्रोडक्शन के लिए रेशम कीट पालन के बारे में जानकारी देने जा रहे है      

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आज हम आपको रेशम कीट कि खेती के बारे में बताने जा रहे है इन कीटों का उत्पाद प्राकर्तिक तरीके से किया जाता है इसके लिए मल्बरी यानि कि शहतूत के वृक्ष लगाए जाते है एक एकड़ भूमि में एक बार में आप 500 किलोग्राम रेशम का उत्पादन कर सकते है मादा कीट 200 से 300 अंडे देती है 10 दिन तक इनके मुँह से लार्वा बाहर आता है जो अपने मुँह से तरह प्रोटीन का स्राव करता है वायु के सम्पर्क में आने से यह कठोर होकर धागे के रूप ले लेते है ये कीड़े चारों तरह एक गोल घेरे का रूप ले लेते है इसे ककून के नाम से जाना जाता है गर्म पानी में डालने पर यह कीड़ा मर जाता है और ककून का प्रयोग रेशम बनाने के लिए किया जाता है इन कीड़ो को शहतूत कि पत्तियों पर पाला जाता है      

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रेशम कीट पालन से जुड़े है 60 लाख से अधिक किसान '
आपको बता दे भारत में रेशम कीट पालन से लाखो परिवार जुड़े हुए है और इन परिवारों कि आर्थिक स्थिति काफी ज्यादा अच्छी हो चुकी है रेशम कीट पालन को खेती कि श्रेणी में ही माना जाता है चीन के बाद रेशम उत्पादन में भारत का दूसरा स्थान आता है भारत में हर तरह का रेशन उत्पादित किया जाता है भारत में करीब 60 लाख से अधिक लोग रेशम के व्यवसाय से जुड़े हुए है