गर्मियों में लीची की फसल की कैसे करें सुरक्षा जानिए पूरी जानकारी

 
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लीची एक बहुत ही टेस्टी और ठंडक देने वाले फलों में से एक फल है इसका उत्पादन जम्मू कश्मीर UP MP में होता है लेकिन अब इसकी बढ़ती मांग की देखते हुए अब बिहार झारखंड उड़ीसा पंजाब हरियाणा असम त्रिपुरा आदि राज्यों में इसकी खेती होने लगी है गर्मियों में लीची के पेड़ के फल आने शुरू हो जाते है ऐसे में किसानों को चाहिए की समय पर ही कीटों और रोगों की रोकथाम के उपाय करकर फसल को बचाएं इस फसल के अप्रैल से मई तक फल आते है 

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लीची में झुलसा रोग का प्रकोप

गर्मियों में अधिक तापमान के कारण लीची में झुलसा रोग का प्रकोप होने की संभावना अधिक रहती है इससे लीची की फसल काफी ज्यादा प्रभावित होती है इस रोग के कारण लीची की पत्तियां और कोपलें उच्च तापमान के कारण झुलसने लगती है इससे पतियों के सिरों पर भूरे धब्बे होने लगते है 

लीची में झुलसा रोग के प्रमुख लक्षण

यह रोग लीची में कवक की कई प्रजातियों से हो सकता है इस रोग से पौधों की नई पत्तियां और कोपलें झुलस जाती है लीची में झुलसा रोग की शुरुआत पती के सिरे पर ऊतकों के मृत होने से भूरे धब्बे के रूप में होती है जिसका फैलाव धीरे -धीरे पूरी पत्ती पर हो जाता है 

लीची की फसल को झुलसा रोग से बचाने के उपाय

लीची की फसल को झुलसा रोग से बचने के लिए किसान मैन्कोजेब या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 2 ग्रामप्रति लीटर पानी के घोल का छिड़काव करना चाहिए रोग का प्रभाव अधिक होने के कारण इसकी रोकथाम के लिए कार्बेन्डाजिम 50 % WP या क्लोरोथैलोनिल 75 % WP 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल का छिड़काव करना चाहिए

लीची में श्याम वर्ण रोग के प्रमुख लक्षण

यह रोग कोलेटोट्रीकम ग्लियोस्पोराइडिस नाम के कवक के संक्रमण से होता है इस रोग के प्रभाव से फलों के छिलकों पर छोटे -छोटे गहरे भूरे रंग के धब्बे दिखाई पड़ते है जो बाद में बड़े होने के साथ ही काला रंग में बदल जाते है रोग के बढ़ने के साथ ही इसका फैलाव छिलकों के आधे हिस्से तक हो सकता है

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लीची में फल विगलन रोग 

लीची में फल विगलन रोग के कारण फल मुलायम होकर सड़ने लगते है अगर समय रहते अगर बचाव नहीं किया जाए तो किसान को भारी नुकसान हो सकता है 

फल विगलन रोग के लक्षण 

लीची में ये रोग कई प्रकार के कवकों के कारण होता है जिनमें से एस्परजिलस स्पीसीज, कोलेटोटाइकम ग्लिओस्पोराइडिस, अल्टरनेरिया अल्टरनाटा आदि कवक इसके प्रमुख कारक है यह रोग तब होता है जब फसल परिपक्व अवस्था में होने लगता है इस रोग की शुरुआत में लीची का छिलका मुलायम हो जाता है और फल खराब होने लगते है परिवहन और भंडारण से समय भी इस फल का प्रकोप अधिक होता है

फल वीगन रोग से लीची को बचाने के उपाय 

लीची के फल विगलन रोग बचाव के लिए इसकी फल तुड़ाई के 15 से 20 दिन पहले पौधों पर कार्बेन्डाजिम 50 WP 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए फलों को तोड़ने के दौरान फलों को यांत्रिक क्षति होने से बचाना चाहिए 

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लीची को नुकसान से बचाने के उपाय 

लीची में फूल खिलने से लेकर फल में दाने बन जाने तक कोई भी रासायनिक दवाओं का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योकि इससे मधुमक्खियों का भर्मण प्रभावित होता है जो लीची में प्रागण के लिए बहुत जरुरी है 
रासायनिक कीटनाशकों का छिड़काव अपराह्न के समय में करना ज्यादा अच्छा रहता है सुबह और शाम छिड़काव करने से बचना चाहिए 
रोकथाम के लिए रासायनिक कीटनाशकों के प्रयोग के संबंध में ध्यान रखना चाहिए की कीटनाशक दवाओं का प्रयोग बार -बार न करें