अरहर के साथ हल्दी की खेती से करें बंपर कमाई ,जानिए कैसे

हल्दी की खेती छायादार जगहों में भी आसानी से की जा सकती है हल्दी एक फेमस औषधीय और मसाला वाली फसल है इसलिए इसका मार्किट में बढ़िया भाव मिलता है अन्तर व्रती फसल के रूप में अरहर के साथ हल्दी की खेती करने से दोनों महंगी फसलों से कमाई होती है अरहर की खेती को फसल चक्र में शामिल करने से मिटटी का उपजाऊ बन बना रहता है क्योकिं दलहनी फसलों की जड़ें वायुमंडल से सीधे नाइट्रोजन सोखकर जमीन को प्राकृतिक उर्वरा प्रदान करती है
अरहर की खेती में MP देशका अग्रणी राज्य है अरहर की खेती की औसत पैदावार 10 -12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है लेकिन कृषि विज्ञान केंद्र सिवनी के वैज्ञानिकों ने अपने प्रक्षिशण अभियान के तहत किसानों को अरहर के साथ हल्दी की अन्तर व्रती खेती करने की उन्नत तकनीक सिखायीं ताकि अरहर के साथ हल्दी की अन्तर व्रती या सहफसली खेती करके किसान 16 -20 क्विंटल प्रति उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है
अरहर के पौधे तैयार करने के लिए 6×4 इंच के पॉलीथिन पैकेट में नीचे 3 -4 छेद करके 1 भाग मिटटी 1 भाग रेट और 1 भाग गोबर की सड़ी खाद का मिश्रण भरने के बाद में एक -एक बीज बोना चाही इससे 30 दिनों में ऐसे पौधे तैयार हो जाते है जिनकी खेतों में रोपाई की जाती है
अरहर के साथ हल्दी की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए बुआई के समय उचित मात्रा में उर्वरकों का इस्तेमाल करना चाहिए कृषि विशेषज्ञों की सलाह है की प्रति हेक्टेयर 200 क्विंटल गोबर की सड़ी खाद 80 किलोग्राम यूरिया 300 किग्रा सिंगल सुपर फॉस्फेट 70 किग्रा म्यूरेट ऑफ पोटाश 25 किग्रा जिंक सल्फेट 250 किग्रा नीम की खली का इस्तेमाल करना बहुत उपयोगी साबित होता है
1 मीटर की उभरी हुई क्यारी पर ड्रिप की 2 पंक्तियों में हल्दी की बुवाई करते है हल्दी के पौधों के लिए कतार से कतार और पौधे से पौधे की दुरी 30 सेंटीमीटर रखनी चाहिए अरहर 30 दिनों में विकसित पौधों की रोपाई के लिए कतार से कतार और पौधे से पौधे में 2 मीटर की दुरी होनी चाहिए
हल्दी की बुवाई के लिए इसके स्वस्थ प्रकन्दों का उपयोग करना चाहिए इन प्रकन्दों में डाइथेन M-45 के 3 % वाले घोल में 1 घंटे तक भोगकर रखना चाहिए फिर उपचारित प्रकन्दों को छायादार स्थान में सुखाकर बुआई के लिए उपयोग करना चाहिए अरहर के लिए 2 किग्रा बीज की जरूरत होती है बुआई से पहले अरहर के बीजों के उपचार के लिए वीटवैक्स पॉवर 2 ग्राम राइजोबियम कल्चर 10 ग्राम और ट्राइकोडर्मा5 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से इस्तेमाल किया जाना चाहिए
पौधों की रोपाई के 20 -25 दिनों बाद अरहर की शीर्ष कलिकाओं को तोड़ देना चाहिए और इसके 20 -25 दिन बाद शीर्ष कलिकाओं को तोड़ने अच्छी पैदावार मिलती है