अब मैदानी इलाको में अखरोट की खेती करने से होगा लाखो का मुनाफा

 
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हमारे देश के किसान पारंपरिक खेती के साथ साथ अपनी आय बढ़ाने के लिए व्यावसायिक खेती की तरफ रुख कर रहे है। ऐसे में किसान अखरोट की खेती करके अच्छा फायदा कमा सकते है।अखरोट में प्रोटीन,वसा,कार्बोहाइड्रेड ,कैल्शियम ,पोटेशियम ,ज्यादा मात्रा में पाया जाता है।अपने गुणों के कारण बाजार में अखरोट की मांग काफी ज्यादा रहती है।अखरोट की खेती मुख्य रूप से पहाड़ी एरिया में की जाती है। ये वर्तमान समय में अखरोट की खेती जम्मू कश्मीर,उत्तर प्रदेश,हिमाचल प्रदेश,उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में होती है।लेकिन अब इसकी खेती देश के अन्य राज्यों में भी होने लगी है।वही अगर सही तरीके से और उन्नत किस्मो का चयन करके अखरोट की खेती की जाए तो इससे बेहद लाभ होता है। इससे किसानो को लाखो की कमाई होती है। 

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अखरोट की खेती करने के लिए न तो ज्यादा गर्म जलवायु वाले क्षेत्र अच्छे होते है न ज्यादा ठंडी जलवायु वाले।जिन इलाको में ज्यादा गर्मी होती है। वह इसके फल और पौधे खराब हो जाते है ,ज्यादा ठंड होने पर व पाला पड़ने पर अखरोट के पोधो का विकास रुक जाता है।अखरोट की खेती करने के लिए 20 से 25 डिग्री तक का तापमान आयुक्त होता है।जब अखरोट के फल बढ़ रहे है तो ठंडी जलवायु उपयुक्त होती है। 

अखरोट की खेती करने के लिए उचित जल निकासी वाल भरभरी दोमट मिटटी अच्छी होती है। इसकीखेति के लिए रेतीली व सख्त मिटटी उपयुक्त नहीं होती है।मिटटी बंजर नहीं होनी चाहिए।अखरोट की खेती करने के लिए दिसंबर से मार्च का महीना उपयुक्त होता है। कुछ जगहों पर अखरोट की खेती बारिश के मौसम में भी की जाती है।लेकिन दिसंबर में इसकी खेती करना उपयुक्त माना जाता है।दिसंबर में इसका पौधा लगाने के बाद पोधो को काफी ज्यादा समय तक सही मौसम मिलता है जिससे पौधा अच्छे तरीके से विकास करता है।

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अखरोट की खेती में पोधो को खेत में गद्दे तैयार करके लगाया जाता है। खेत में गद्दे को तैयार करने से पहले खेत की टेक्टर की मदद से मिटटी पलटने वाले हल की मदद से गहरी जुताई कर कुछ दिनों के लिए खुला छोड़ दिया जाता है। इसके बाद खेत की मिटटी भुरभरी करने के लिए खेत में रोटावेटर बना दे।अब ज़मीन को समतल करने के बाद खेत में उचित दुरी रखते हुए दो फिट चौड़े और एक से देश फिट गहरे गद्दे तैयार करे। 

अखरोट की पीड़ा रोपाई से करीब एक साल पहले मई जून माह में नरसरी तैयार की जाती है। इसके बाद अखरोट का पौधा तैयार करने के लिए ग्राफ्टिंग विधि का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा बीज से तैयार पौधे 20 से 25 साल बाद उपज देना शुरू करते है। जबकि ग्राफ्टिंग से तैयार पौधे कुछ साल बाद ही उपज देने लग जाते है। 

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अखरोट का पौधा 4 साल की आयु पूरी करने के बाद से फल देना शुरू करता है ,जो अगले 25 से 30 साल तक उत्पादन देता है। एक पौधा सालाना 45 से 55 किलो तक की पैदावार देता है।अखरोट एक महंगा ड्राईफ्रूट है।अखरोट का बाजार मूल्य 500 से 700 रूपये प्रति किलो तक का रहता है। इस अनुसार अखरोट के 20 से 25 पेड़ लगाकर ही किसान 5 से 6 लाख रूपये तक की कमाई आसानी से कर सकते है।