Spices Cultivation : यहाँ देखे, मसलों की खेती के लिए कौन सी योजनाएं है लाभकारी, जिससे अच्छा मुनाफा के साथ में मिलती है ट्रेनिंग

भारतीय मसलों विदेशों में खूब इस्तेमाल किया जाता है। साल भर में मसालों का निर्यात भी बढ़ता जा रहा है अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय मसालों की मांग में इजाफा देखा गया है। इस काम में केंद्र और राज्य सरकार की योजनाएं मददगार साबित हो रही है। इन योजनाओं का असर है कि अलग-अलग मिट्टी और जलवायु में कुल 65 तरह के मसाले उगाए जा रहे हैं। जिनमें से 21 मसालों की कमर्शियल फार्मिंग हो रही है।
इन मसलों में काली मिर्च लेकर लाल मिर्च, अदरक, हल्दी, लहसुन, इलायची, धनिया, जीरा, मेथी, अजवाइन, सोयाबीन, जायफल, लौंग, दालचीनी, हल्दी, केसर, वनीला, करी पत्ता और पुदीना शामिल है।
मसालों की खेती के लिए कृषि योजनाएं.
यदि कोई किसान में मसलों की खेती करने की योजना बना रहा है तो सरकार की तरफ से किसानों को ट्रेनिंग सब्सिडी और अनुदान मुहैया करवाया जा रहा है। इनमें से कुछ योजनाएं पूरे देश में लागू होगी तो कुछ राज्य स्तर पर चलाई जा रही है। इनमें एकीकृत बागवानी विकास योजना, राष्ट्रीय कर्षि विकास योजना, परंपरागत कृषि विकास योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना शामिल है। इसके अलावा मध्य प्रदेश की राज्य सरकारों ने मसाला क्षेत्र में विस्तार के लिए योजना चला रही है।
मसालों की खेती के लिए सब्सिडी
राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत आवेदन करने पर सभी नियम और शर्तों और योग्यताओं को परख कर किसानों को मसाले की खेती के लिए आर्थिक मदद दी जाती है। अलग-अलग इलाकों में मसालों की खेती के लिए 40% सब्सिडी यानी 5500 रूपये प्रति लीटर का अनुदान मुहैया करवाया जा रहा है।
मसालों का अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसानों को सिंचाई के लिए अनुदान मिलता है। किसान सहायता प्रधानमंत्री कृषि योजना के तहत को मारा और बूंद बूंद सिंचाई के लिए अनुदान कर सकते हैं। वहीं मसाला कीट रोग प्रबंधन के लिए 30% यानी 12,100 प्रति हेक्टर अनुदान का प्रावधान प्रावधान है।
मसाला क्षेत्र विस्तार योजना
मसाला की खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार भी अपने स्तर पर योजनाएं चला रही है। जिनमें शामिल है मसाला क्षेत्र विस्तार योजना इस स्कीम के तहत मध्यप्रदेश उद्यानिकी विभाग कुछ चुनिंदा मसालों की खेती क्षेत्र विस्तार और उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों की आर्थिक मदद करता है।
इस स्कीम में मसालों के बीज और प्लास्टिक क्रेट्स खरीदने के लिए 50 से 70 फ़ीसदी सब्सिडी तक अनुदान का प्रावधान है। इसके अलावा जड़ और कंदमूल वाली फसले जैसे अदरक, लहसुन के लिए भी 50000 प्रति हेक्टर अनुदान का प्रावधान है। इस योजना के नियमानुसार एक किसान को अधिकतम 0.25 हेक्टयेर से 2 हेक्टेयर तक की गति के लिए अनुदान दिया जाता है।
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