Strawberry farming: इस फसल की खेती से हो जाएंगे मालामाल जानिए इस फसल की पूरी जानकारी

पारंपरिक फसलों की खेती में लगातार कम हो रहे फायदे और खराब मौसम के कारण अब फलों और सब्जियों की खेती की तरफ मुहं करने लगे है पिछले कुछ समय से इंडिया में स्ट्रॉबेरी की खेती करने का चलन काफी तेजी से बढ़ा है
स्ट्रॉबेरी इंडिया की एक महत्वपूर्ण फल फसल है यह पुरे देश में बहुत बिकती है स्ट्रॉबेरी को खाने से कई फायदे होते है इसकी खेती हिमाचल प्रदेश UP महाराष्ट्र हरियाणा दिल्ली पंजाब और राजस्थान के कई हिस्सों में होती है
स्ट्रॉबेरी विटामिन C और आयरन से भरपूर है कुछ किस्में उच्च स्वाद और चमकीले लाल रंग वाले ओलंपस और शुक्सान आइसक्रीम हुड बनाने के लिए उपयुक्त है स्ट्राबेरी को पर्वतीय क्षेत्रों में उगने का सबसे सही समय सितंबर -अक्टूबर का महीना है अगर पौधे को समय से पहले लगा दिया जाता है तो इसकी उपज में कमी आ जाती है
स्ट्रॉबेरी की खेती से झांसी की रहने वाली महिला किसान गुरलीन चावला ने अपनी और अपने परिवार की किस्मत को बदल दिया महिला ने अपने पिता के साथ छत पर स्ट्रॉबेरी की खेती की थी इसमें सफल होने के बाद 2020 लॉकडाउन में उन्होंने 1.5 एकड़ में इस फसल की खेती की शुरुआत की इसमें उन्होंने 6 लाख की लागत से 30 लाख का फायदा हुआ
गुरलीन ने स्ट्राबेरी के 1800 हजार पौधे लगाए थे उनके गोबर और जैविक झाड़ पौधों के नीचे पॉलीथिन बिछाने और अपनी की पाइप लाइन आदि में 6 लाख तक खर्च हुए लेकिन जब फसल तैयार हुई तो उन्होंने देखा की एक दिन में 5 से 6 किलो तक स्ट्रॉबेरी मिली जिनकी मार्केट में कीमत 300 से 600 रूपये तक है
स्ट्रॉबेरी की फसल मार्च अप्रैल तक चलती है इसके पौधों को लगाने की दुरी कम से कम 30 सेंटीमीटर होनी चाहिए फलों को उनके वजन ,आकार और रंग के आधार पर बांटा जाता है फलों को कोल्ड स्टोरेज में 32 डिग्री सेल्सियस पर 10 दिनों तक स्टोर किया जा सकता है लंबी दुरी के बाजार के लिए ग्रेड के अनुसार पैकिंग की जाती है अच्छी गुणवत्ता के फलों को कुशनिंग सामग्री के रूप में पेपर कटिंग के साथ गत्ते के डिब्बों में पैक किया जाता है फलों को टोकरियों में पैक कर दिया जाता है इनको मार्केट में बेचने के बाद दुगुना फायदा हो सकता है