जैविक खेती से मिली सफलता ,दो बार जीता राष्ट्रपति पुरुस्कार जानिए इस महिला की सफलता की कहानी

 
santosh

आज देश में कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं रहा जहां महिलाओं की भागीदारी न हो कृषि क्षेत्र में जहां हमेशा ये माना जाता रहा है की खेतीबाड़ी या बागवानी का काम अधिक मेहनत का होता है जिसे आदमी ही कर सकते है कुछ महिला किसानों ने अपने बल पर कृषि क्षेत्र में सफलता हासिल कर इस मिथक को तोड़ दिया है पहले के जमाने की महिलाऐं घर के कामों के अलावा खेती के कामों में भी पुरुषो का हाथ बटोरती थी लेकिन पूर्ण रूप से अपने बल पर खेती का काम करने वाली महिलाओं की संख्या पुरुषों की तुलना में कम है आज हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में बताने जा रहे है जिसने कृषि क्षेत्र में अपनी अलग ही पहचान बनाई है 

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यह महिला राजस्थान राज्य से है इनका नाम संतोष पचार है जो सीकर जिले के झिगर बड़ी गांव में रहती है संतोष के पास स्वयं की 30 बीघा खेती की जमीन है संतोष ने अपनी मेहनत के बल पर अपनी एक अलग पहचान बनाई है संतोष को 2013 और 2017 में राष्ट्रपति पुरुस्कार भी मिल चूका है संतोष 8 वीं तक पढ़ी लिखी है ज्यादा पढ़ी लिखी न होने के वाबजूद संतोष ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है 
संतोष ने लगभग 2002 में उन्नत जैविक खेती करना शुरू किया था सबसे पहले संतोष ने गाजर की खेती की शुरुआत की थी जिसका उत्पादन लंबे पतले और टेढ़े हुआ था अपनी फसल को ऐसा देख संतोष को एहसास हुआ की उनके द्वारा बाजार से लिए गए बीज खराब किस्म के है उन्होंने अपनी फसल की किस्म को अच्छा बनाने के लिए खुद बीजों को तैयार करना शुरू कर दिया संतोष की बीज बनाने की तकनीक दूसरों से हटकर थी संतोष की मेहनत रंग लाई फसल का उत्पादन सही होने लगा संतोष के इस तरिके से गाजर की मिठास को करीब 5 %और उत्पादन क्षमता को भी करीब 2 से 3 गुना तक बढ़ा दिया 

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महिला किसान संतोष यहां नहीं रुकी उन्होंने खेती के साथ बागवानी में भी हाथ आजमाया और सफलता प्राप्त की संतोष के पति को अनार का बाग लगाने का विचार मन में आया उन्होंने जब ये विचार अपनी वाइफ संतोष को बताया तो वह इसके लिए तुरंत तैयार हो गई उन्होंने अपने खेत में अनार का बाग़ लगा लिया 3 साल बाद अनार के पेड़ों से फल प्राप्त होने लगे अनार की खेती  से संतोष को काफी लाभ हुआ आज संतोष बागवानी करके 25 से 30 लाख रूपये कमा रही है 
संतोष ने गाय के गोबर से गैस संयंत्र स्थापित करने में भी सफलता पाई है इनके इस काम से गांव के लगभग 20 घरों को लाभ पहुंचा है आज संतोष महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन गई है वह गांव की महिलाओं को खेती के नए -नए तरीको की जानकारी देती है