अपराजिता के फूलों से बनती है चाय ,इसकी खेती कर करें बंपर कमाई

देश में किसानों के बीच औषधीय फसलों की खेती तेजी से फेमस हो रही है सरकार भी एरोमा मिशन के तहत इन फसलों की खेती को बढ़ावा दे रही है अपराजिता भी कुछ इसी तरह की फसल है इसे तितली मटर भी कहते है इनकी गिनती दलहनी और चारे वाली फसलों में भी होती है
इसके मटर और फलियां जहां भोजन बनाने में काम आती है वहीं इसके फूलों से ब्लू टी यानि नीली चाय बनाई जाती है इस नीली चाय को डायबिटीज जैसी बीमारियों के खिलाफ लाभकारी है इस पौधे के बाकी बचे भाग को आप पशु चारे के रूप पर इस्तेमाल कर सकते है यानि एक फसल तीन काम और तीन गुना ज्यादा फायदा
अपराजिता की फसल गर्मी से लेकर सूखे जैसी स्थितियों में भी बढ़िया तरिके से विकास करती है मिट्टी और जलवायु का इस पर कोई खास असर नहीं पड़ता है इसकी खेती से पहले बीजों का उपचार कर लेना चाहिए एक्सपर्ट के अनुसार बुवाई 20 से 25 × 08 या 10 सेमि की दुरी एवं ढाई से तीन सेमी की गहराई पर करनी चाहिए
इसकी फलियों की तुड़ाई समय पर कर लें वरना इसकी फलियां जमीन पर गिरकर खराब हो जाती है कृषि एक्सपर्ट के अनुसार अगर आप एक हेक्टेयर में इसकी खेती करते है तो आराम से 1 3 टन सूखा चारा और 100 से 150 किलो बीज प्रति हेक्टेयर का उत्पादन हासिल कर सकते है वहीं सिंचाई वाले इलाके में इसके उत्पादन में 8 से 10 टन सूखा चारा और 500 से 600 किलो बीजों का उत्पादन किया जा सकता है
कई देशों में इसके फूलों और उत्पाद का निर्यात भी किया जाता है ऐसे में किसान इसकी खेती से अच्छा मुनाफा हासिल कर सकता है बता दें की इंडिया के अलावा इसकी खेती अमेरिका अफ्रीका ऑस्ट्रेलिया और चीन जैसे देशों में बड़े पैमाने पर की जाती है