इस फसल की खेती से मालामाल हो गए बुंदेलखंड के किसान तन्ने से लेकर पत्तिया तक बिकती है जानिए इसके बारे में

UP के हमीरपुर बुंदेलखंड की सुखी बंजर जमीन पर कभी हरियाली की पौध लहराती थी लेकिन पानी की कमी के कारण लोगों का खेती किसानी से मोह भंग हो गया इसी बीच चिल्ली गांव के रघुवीर सिंह ने साल 2015 में कम पानी वाली रोजैल की खेती की शुरुआत की रघुवीर सिंह आज एक एकड़ में 2 लाख रुपए की कमाई कर रहे है
हमीरपुर जिले के चिल्ली गांव के रहने वाले किसान रघुवीर सिंह संस्कृत भाषा के अध्यापक है उन्होंने बताया की हमारे बुंदेलखंड में पहले फसलों की लागत निकालनी मुश्किल हो जाती थी इसके बाद जब उन्होंने उद्यान विभाग के द्वारा औषधीय फसलों के बारे में जानकारी मिली तो उन्होंने लंबे समय से चली आ राहु मुंग उड़द तिलहन की खेती को छोड़ कर रोजैल की खेती करना शुरू कर दिया बुंदेलखंड में जहां मार्किट का बहुत आभाव रहता था वो मार्किट अब स्वयं हमारे द्वार चल कर के हमारे उत्पादन को खरीद रहा है जहां खेती से लागत निकलना मुश्किल था वहां लाखों रूपये की साल में आय हो रही है
रोजैल की खेती बहुत ही आसान है इस फसल की बुवाई जुलाई के प्रथम सप्ताह में की जाती है इसको किसी भी प्रकार की मिटटी में उगाया जा सकता है रघुवीर सिंह रोजैल की खेती के साथ 90 से 95 दिन वाली उर्द की सहफसली की खेती भी करते है उनका कहना है की रोजैल का पौधा बड़ा होता है तब तक उर्द की कटाई हो जाती हे वहीं एक से दो कुंतल का उत्पादन हो जाता हे 5 महीने में रोजैल का 4 से 6 क्विंटल उत्पादन हो जाता हे इस फसल की खासियत हे की इसका तना पत्तिया और बीज सब कुछ इस्तेमाल में लाए जाते है
जहां पानी की कमी के चलते हमारे जिले के युवा खेती बाड़ी को छोड़कर शहरों की तरफ पलायन करने लगे थे वहीं जब मैंने आधुनिक विधि से नई -नई खेती करना शुरू किया तो हमारे खेत पर अन्य युवा भी देखने आते है और कृषि से संबंधित सलाह लेते है इसके बाद हम युवा किसानों ने मिलकर किसान उत्पादक संघठन बनाया जिसमें किसानों को विभिन्न प्रकार की खेतों से संबंधित निशुल्क प्रशिक्षण भी दिया जाता है