नारियल की खेती से होगी बंपर कमाई जानिए कैसे बने लखपति

 
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साउथ इंडिया में नारियल की खेती की बहुत सहमियत है कई किसान फैमेली नारियल की खेती पर निर्भर है नारियल की खेती करने वाले किसान मार्केट में नारियल बेचकर कमाई करते है इसके अलावा नारियल के फूल से निकलने वाले रस को बेचकर शानदार मुनाफा कमाया जा सकता है 

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नारियल को मार्केट में बेचने के साथ -साथ किसान नारियल के फूल से निकलने वाले रस को बी बेच सकते है नारियल के फूल से निकलने वाला रस नीरा कहलाता है नीरा को बेचने की अनुमति हर किसान के पास नहीं होती है इसकी वजह है की नारियल के फूल से निकलने वाले रस को अगर ठंडे टेम्प्रेचर पर रखा जाता है तो नीरा कहलाता है लेकिन अगर नीरा को धुप लगती है तो ये नेचुरल एल्कोहल ताड़ी बन जाता है ताड़ी में 3 से 4 % एल्कोहल होता है 
नारियल के फूल से नीरा निकलने की अनुमति सभी किसानों के पास नहीं होती है इसके लिए किसानों को लाइसेंस लेना होता है लाइसेंस लेने के बाद भी किसान सभी पेड़ों से नीरा नहीं निकल सकते किसान जिस पेड़ से नीरा निकलते है उन पेड़ों को आबकारी विभाग द्वारा टैग किया जाता है इन पेड़ों पर किसानों को टैक्स भी भरना होता है 
कर्नाटक में नीरा निकलने और बेचने की अनुमति सिर्फ 3 कंपनियों के पास ही है इसी में से कर्नाटक के उडुपी जिले के सत्यनारायण उडूपा के पास नीरा निकलने की अनुमति है सत्यनारायण उडूपा ने अपने साथ करीब 1 हजार 28 किसानों को जोड़ रखा है सत्यनारायण उडूपा के साथ 2017 से बेंगुरु के मुरली से जुड़े मुरली CS की जॉब छोड़कर खेती किसानी में आए 

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सालभर में एक पेड़ से ढाई लाख रूपये तक का नीरा निकला जा सकता हे हर किसान को 20 लाख रुपते तक का नीरा निकलने की अनुमति होती हे किसानों को सिर्फ 8 पेड़ों से नीरा निकलने की अनुमति होती हैनारियल के एक फूल से 60 दिनों तक नीरा निकला जा सकता है 60 दिन बाद दूसरा फूल तैयार हो जाता है नारियल के एक फूल से औसतन 4 लीटर नीरा निकलता है 1 एकड़ में 70 नारयल के पेड़ लगाए जा सकते है 
नीरा को सैप चिल्लर की सहायता से इकट्ठा किया जाता है ट्रेपर पेड़ पर चढ़कर सैप चिल्लर सेट करते है सैप चिल्लर में निचे बर्फ होता है और उसके ऊपर पॉलीथिन लगी होती है पॉलीथिन में एक छोटा सा कट लगाकर नारियल के फूल को बांध देते है नारियल के फूल का रस धीरे -
धीरे टपककर पॉलीथिन में इकट्ठा हो जाता है 
एक ट्रेपर एक दिन में 15 से 16 पेड़ों पर चढ़ते है रस इकट्ठा होने के बाद सैप चिल्लर को पेड़ से निकल लिया जाता है उसके बाद पॉलीथिन को हटा देते है 
नीरा को बेचने से सिर्फ किसानों को ही फायदा नहीं होता बल्कि इसकी वजह से ग्रीन कॉलर जॉब्स पैदा हो रही है नीरस इकट्ठा करने के लिए किसानों के समूह को ढाई हजार ट्रूपर की जरूरत होती है 45 दिनों की ट्रेनिंग के दौरान ट्रेपर को 15 हजार रूपये दिए जाते है नीरा को बच्चे से लेकर बड़े कोई भी पी सकता है नीरा का स्वाद मीठा शहद जेड़ा होता है नीरा के सेवन से इम्युनिटी पावर बढ़ती है