राजस्थान के एक किसान ने एक लीटर पानी में उगाए 15 हजार पौधे, पद्‌मश्री पुरस्कार से किया गया सम्मानित

 
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आज के समय में देश में भूमिगत जल का स्टार लगातार कम होता जा रहा है। इसके साथ ही बारिश की अनियमिता की वजह से भी किसान काफी ज्यादा परेशान रहते है। सूखे की वजह से भी किसानो को जबरदस्त नुकसान होता है। इस बार छत्तीसगढ़ में सूखे के कारण किसानों की फसलों को भारी नुकसान हुआ। ऐसे में आज आवश्यकता इस बात की है कि हम पानी का बहुत ही किफायती तरीके से इस्तेमाल करें। सरकार भी लगातार इस बात पर जोर दे रही है। इसके लिए सरकार ने लगातार कदम उठा रही है। 
ऐसे में राजस्थान के एक किसान सुंदरम वर्मा ने जल संरक्षण का अपना मिशन बनाते हुए महज एक लीटर पानी से हजारों पौधे उगाये है। उनके इस कार्य के लिए उन्हें सरकार की तरफ से कृषि के क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य के लिए पद्‌मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से राजस्थान के किसान सुंडाराम वर्मा की सफलता की कहानी बताएंगे। तो आइये जानते है। 

किसान ने इस तकनीक का किया था इस्तेमाल 
कृषि के क्षेत्र में आए दिन नई नई तकनीकों को इस्तेमाल करके किसान अपनी आमदनी बढ़ा रहे है। इनमे से कई किसान ऐसे में भी है जो अपने आप से बनाई गयी तकनीक का इस्तेमाल कर रहे है। और जबरदस्त लाभ कमा रहे है। इन्ही में से एक सुंदरम वर्मा भी है जिन्होंने स्वयं की तकनीक का इस्तेमाल करके एक लीटर पानी में हजारों पौधे उगाये है। उन्होंने एक लीटर पानी में खेती की एक तकनीक तैयार की है। इस तकनीक को उन्होंने ड्राई फार्मिंग नाम दिया है। ड्राई फार्मिंग का अर्थ है सूखी खेती।स तकनीक का इस्तेमाल करके किसान सुंडाराम वर्मा ने राजस्थान के अर्द्ध मरूस्थली क्षेत्र में हजारों पौधे लगाए हैं। इसे ड्राई फार्मिंग नाम दिया गया है। सुंडाराम वर्मा की इस तकनीक का इस्तेमाल करके समय, श्रम, पैसा और पानी सब कुछ बचाया जा सकता है।

क्या है ड्राई फार्मिंग की तकनीक 
जैसा की आप सभी जानते है कि राजस्थान में पानी की मात्रा में कमी होती है। और यहाँ बारिश की कमी वजह से यहाँ का भूजल स्टार भी गिरा हुआ है। ऐसे में सुंडाराम की ये तकनीक किसानो के वरदान का काम करने वाली है। आपको बता दे, राजस्थान में औसत बारिश करीब 50 सेमी होती है। इस बारिश का पानी सीधा जमीन में जाता है। यदि इस पानी को बचा लिया जाए तो सिंचाई के लिए अतिरिक्त पानी की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इस बात को सोचकर सुंडाराम ने करब 50 हजार पौधे अपनी जमीन में लगाए है। इनमे से 80 % पौधे जीवित है। 

खेती में योगदान के लिए मिला पद्म श्री सम्मान
खेती में पानी की बचत करने पर किसान सुंडाराम वर्मा को सरकार की ओर से इसके लिए सम्मानित किया गया है। भारत सरकार ने उनके इस काम के लिए उन्हें पद्‌मश्री पुरस्कार से उन्हें सम्मानित किया है। इसके अलावा उन्हें कई अन्य पुरस्कार भी मिल चुके हैं। इनमें कनाडा के इंटरनेशनल डेवलपमेंट रिसर्च सेंटर,1997 में सुंडाराम वर्मा को राष्ट्रीय किसान पुरस्कार, द इंटरनेशनल क्रॉप साइंस, नई दिल्ली और कई अन्य अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय उन्हें मिल चुका है। वहीं उन्हें कई बार राज्य पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है।

ड्राई फार्मिंग तकनीक का ऐसे किया इस्तेमाल
कृषि में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए दिल्ली में एक सम्मानित ट्रेनिंग कार्यक्रम के लिए उन्हें चुना गया था। हां सुंडाराम वर्मा ने पहली बार ड्राई फार्मिंग के बारे में जाना। उन्हें पता चला कि बारिश के पानी को इकट्ठा करके ही बाद में खेती में इस्तेमाल किया जाना सबसे अच्छा उपाय है,लेकिन राजस्थान के गांव में तो मानसून का पानी उसी सीजन की फसल के काफी नहीं पड़ रहा है। इस वजह से सुंडाराम वर्मा ने पेड़ो पर ड्राई लैंड फार्मिंग का नुस्खा आजमाया और वे अपने इस प्रयास में सफल रहे। इस तरह से किसान कृषि के क्षेत्र में अपनी खास पहचान बना रहे है। 

क्या है ड्राई फार्मिंग तकनीक
शुष्क भूमि कृषि या बारानी खेती एक ऐसी खेती होती है जिसमे खेती की सिंचाई किए बिना ही खेती की जा सकती है। ये खेती उन इलाको के लिए काफी अच्छी होती है। जहां पर बारिश की कमी होती है और वहां की भूमि भी शुष्कः होती है। जैसे- राजस्थान और गुजरात यहां दोंनों ही जगह कम बारिश देखी जाती है। इस प्राकर की खेती में उपलब्ध सीमित नमी को संचित करके बिना सिंचाई के ही फसलें उगाईं जाती हैं। वर्षा की कमी के कारण मिट्टी की नमी को बनाए रखने तथा उसे बढ़ाने का निरतंर प्रयास किया जाता है। इसके लिए गहरी जुताई की जाती है और वाष्पीकरण को रोकने का प्रयास किया जाता है। इस प्रकार की खेती में अल्प नमी में और कम समय में पैदा होने वाली फसलों को उगाया जाता है।also read : 
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