इस विदेशी सब्जी की भारत में बढ़ रही है डिमांड से किसानों को हुआ गजब का फायदा, जानिए इसके लिए उपयुक्त भौगोलिक दशाए

भारत में इस समय विदेशी व्यंजनों का प्रचलन काफी ज्यादा बढ़ गया है। इन व्यंजनों में कई तरह की विदेशी सब्जियों का इस्तेमाल किया जाता है। इन्ही सब्जियों में से एक लेट्यूस भी शामिल है जो कि एक पत्तेदार सब्जी होती है। बाजार में इसकी अच्छी खासी डिमांड है। यह सब्जी सलाद, बर्गर, पिज्जा जैसे कई व्यंजन बनाने में काम आती है। इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है और इसमें मौजूद अमीनो एसिड सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। इसलिए लोग इसे खाना ज्यादा पसंद करते है। इसके साथ ही किसानो को भी इसकी खेती से जबरदस्त फायदा हो रहा है। तो आइये जानते है इसकी खेती से मिलने वाले लाभ के बारे में
लेट्यूस की खेती के लिए जलवायु
जलवायु- लेट्यूस 12-15 डिग्री सेल्सियस के मासिक औसत तापमान के साथ ठंड बढ़ते मौसम में अच्छी तरह से बढ़ता है, उच्च तापमान पत्तियों में कड़वा स्वाद का कारण बन सकता है साथ ही टिप जलने और सड़ने का कारण हो सकता है, यदि मिट्टी का तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से ऊपर है तो बीज ठीक से अंकुरित नहीं होता.है। इसलिए बुवाई के समय का तापमान 25°-30° सेल्सियस और कटाई के समय का तापमान 20°-28° सेल्सियस होना चाहिए, साथ ही 100-150 सेमी बारिश की जरूरत होगी।
मिट्टी
लेट्यूस की खेती कई तरह की मिट्टी में हो सकती है पर रेतली दोमट और दानेदार दोमट मिट्टी में अच्छा परिणाम मिलता है। जिसका pH मान 6-6.8 तक होना चाहिए। ज्यादा पानी रोकने वाली और अम्लीय मिट्टी अच्छी नहीं होती है। वहीं मिट्टी में जैविक पदार्थ, नाइट्रोजन और पोटैशियम होने से परिणाम अच्छा परिणाम मिलता है।
बुवाई का समय
लेट्यूस की बुवाई के लिए मध्य सितंबर से मध्य नवंबर का महीने सही माना जाता है. इस दौरान नर्सरी तैयार कर लेना चाहिए।
बुवाई
लेट्यूस को पौधा और बीज रोपण दोनों तरीकों से बोया जा सकता है। बीज को रोपने के लिए पंक्ति से पंक्ति के बीच 45 सेंमी और पौधे से पौधे के बीच 30 सेंमी की दूरी होनी चाहिए, बोये गए बीजों के बीच 15-20 सेंमी की दूरी होनी चाहिए। वहीं बुवाई के 3-4 दिन में बीज अंकुरित हो जायेगा, जब बीज रोपा 4-6 सप्ताह का हो जाये तो इन्हे खेत में रोप सकते हैं।
सिंचाई
उच्च उपज हासिल करने और अच्छी गुणवत्ता वाली फसल के लिए बार-बार और हल्की सिंचाई अच्छी मानी जाती है। सिंचाई की विधि-फरो, ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई विधि का उपयोग की जा सकती है, फसल के लिए 8-10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई अच्छी होती है।
कटाई
लेट्यूस के पौध लगाने के लगभग 50-55 दिन बाद पहली कटाई कर सकते हैं, बिलकुल बीच वाली पत्तियों को छोड़कर बाहर की पत्तियां काट सकते हैं। कुछ दिन बाद और पत्तियाँ आ जाएंगी, फसल की कटाई सुबह के समय करनी चाहिए क्योंकि पत्ते ताजे रहेंगे। वहीं कटाई के बाद पत्तों को उनके आकार के अनुसार छंटाई करना चाहिए उसके बाद लेट्यूस को बक्सों और डिब्बों में पैक करते हैं। also read : देश के अलग अलग हिस्सों में चल रहे है किसानो की फसलों और सब्जियों के अलग अलग भाव, यहाँ जानिए ताजा रेट