Marathwadi Buffalo : डेयरी बिजनेस में मुनाफे का सौदा साबित होती भैंस की यह नस्ल, जानिए मुख्य विशेषता

 
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दूध की बढ़ती हुई मांग को देखते हुए किसानों का रुझान डेयरी बिजेनस की तरफ बढ़ता जा रहा है खासतौर से ग्रामीण इलाकों में यह बिजनेस भली भांति से फल फूल रहा है जिसके जरिए किसान काफी अच्छा खासा लाभ कमा रहे है ग्रामीण इलाकों में यह व्यवसाय आय का सबसे बेहतरीन सोर्स माना जाता है इसके साथ ही शहरी इलाकों में भी लोगों का रुझान बढ़ता जा रहा है शहरी इलाकों में अब इस व्यवसाय को शुरू कर रहे है ऐसे में अगर आप भी पशुपालन से जुड़कर इस व्यवसाय की शुरुआत करने के बारे में सोच रहे है तो यह खबर आपके लिए बेहद काम में आने वाली है आज हम आपको भैंस की एक ऐसी नस्ल के बारे में बता रहे है जो डेयरी के बिजेनस में काफी लाभकृ साबित होती है तो आइए जान लेते है भैंस की इस नस्ल के बारे में जानते है। 

बड़े और घुमावदार होते हैं सींग
मराठवाड़ी भैंस की उत्पत्ति महाराष्ट्र राज्य के मराठवाड़ा क्षेत्र में हुई है। यह एक प्राचीन स्वदेशी नस्ल है, जो मुख्य रूप से महाराष्ट्र के बीड, परभणी, जालना, नांदेड़, लातूर और उस्मानाबाद जिलों में पाई जाती हैं। इन इलाकों में यह भैंस खूब फल फूलती है। भैंस के नामों की बात करें तो इसे 'एलीचपुरी और दुधाणा थाडी' के नाम से भी जाना जाता है। भैंस की यह नस्ल एक ब्यांत में 1120 से 1200 लीटर तक दूध देती है. मराठवाड़ी भैंस की पहचान आप इसके सींगों से भी कर सकते हैं, जो बड़े और घुमावदार होते हैं। ऐसे में अगर आप भी इस भैंस को कमाई का एक साधन बनाना चाहते हैं तो सबसे पहले इसकी पहचान, कीमत और खासियतें जान लेते है। 

मराठवाड़ी भैंस की पहचान और विशेषताएं
मराठवाड़ी नस्ल की भैंस मुख्यतौर पर महाराष्ट्र के इलाकों में पाई जाती है। 
यह भैंस की ये नस्ल भूरे और गहने काले रंग की होती हैं। 
भैंस की इस नस्ल का सिर चौड़ा होता है और उनकी गर्दन छोटी होती है। ये आकार में मध्यम कद की होती हैं। 
यह नस्ल स्थानीय जलवायु परिस्थितियों के लिए बहुत अच्छी तरह से अनुकूलित है।  यह खराब चारे पर भी पनप सकती है। 
भैंस की ये नस्ल अपने सीगों के लिए भी जाना जाती है, जो बड़े और घुमावदार होते हैं। 
मराठवाड़ी भैंस के औसत शरीर का वजन 320 से 400 किलोग्राम के बीच होता है। 
यह नसल एक ब्यांत में 1200 किलो तक दूध देने की क्षमता रखती है। 

खाने में क्या देवे 
आम तौर पर इन्हें फलीदार चारे एवं तूड़ी भोजन के रूप में पसंद है। इनके भोजन में ऐसे तत्वों को शामिल करें जिनमें उर्जा, प्रोटीन, कैलशियम, फासफोरस और विटामिन ए आदि की भरपूर में प्राप्त हो। आप इन्हें दाने, तेल बीजों की खल एवं धातु वाले भोजन दे सकते हैं. इन्हें मक्की/गेहूं/जौं/जई/बाजरा के चारे की खूराक भी दी जा सकती है। also read : 
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