अब यहाँ के तोतो को भी लगी नशे की लत,खेतो से उड़ा ले जाते है अफीम ...किसानो को नुकसान !

 
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इन दिनों मंदसौर में अफीम की फसल पककर तैयार हो गयी है।अच्छे मुनाफे की उम्मीद में किसान अफीम के डोडो की लुआई चिराई कर रहे है।इस काम में तोतो ने खलल डालना शुरू कर दिया है।कभी चोर लुटेरों और नशेबाज से अफीम की फसल को खतरा रहता था ,लेकिन अब यहाँ के तोते अफीम खाकर नशेड़ी होते जा रहे है।इन तोतो के कारन से किसानो की चिंताए बढ़ती जा रही है ,क्युकी किसोनो को अफीम  की फसल से औसत उपज सरकार को देनी होती है।अगर किसान ऐसा करने में असमर्थ रहते है तो सरकार अफीम की खेती का कॉन्ट्रेक्ट कैंसिल कर देती है। मंदसौर के किसान ने तोतो और नीलगायों से फसल को बचाने के जालीदार बाद लगायी हुई है।सख्त निगरानी के बावजूद भी ये तोते जाली तोड़कर सुबह शाम अफीम की दावत करने खेत में पहुंच जाते है।वन विभाग से लेकर कृषि विभाग तक के अधिकारी तोतो की चालबाजी को देखकर अचरज में पड़े हए है। 

मंदसौर में तैयार है अफीम की फसल 

मार्च के महीने में अफीम की फसल अपनी पिक पर होती है।किसान भी अपना औसत पाने के लिए अफीम के डोडो की लुआई चिराई करने लगते है।इस काम में तोते सबसे ज्यादा मज़ूबत पैदा कर रहे है।किसानो ने जानकारी दी की तोतो को अफीम की लत लग गयी है। 

दोपहर में खेत को कोई खतरा नहीं है,लेकिन सुबह और शाम के समय ये तोते अफीम के डोडे काटकर ले जाते है।इन्हे रोकने के लिए किसान ने जाली लगायी थी।फसल के आसपास कपड़े बांधे और रात के लिए एलईडी लाइट भी लगायी है। लेकिन ये तोते नशे के इतने आदि हो गए है की अब जाली तोड़कर खेत में घुस जाते है।तोते के इसी आतंक के चलते किसानो की उपज कम होती जा रही है और औसत हासिल करने पर भी संकट हो रहा है।अब किसानो के साथ उनका पूरा परिवार अपनी रोजीरोटी बचाने के लिए पुरे दिन खेतो में ही बैठा रहता है। 

हिंसक हो रहे है तोते और नीलगाय 

मंदसौर के किसानो ने जानकारी दी की पहले तोते सिर्फ खेतो से अफीम चुराते थे,लेकिन इसकी रोकधाम के लिए किये गए उपायों के बाद ये हिंसक होते जा रे है।ऐसा ही निल गाय के साथ है।ये अफीम चट करने के बाद हिंसा पर उत्तर आते है।इतना ही नहीं किसान अपनी समस्या लेकर कृषि और वन विभाग के पास जा रहे है ,लेकिन अधिकारी भी इस परेशानी का समाधान नहीं निकल पा रहे है। 

रोजी रोटी की चिंता में किसान 

भारत में अफीम की खेती करने के लिए सरकार से इजाजत लेनी होती है।अफीम उगाने के लिए सरकार हर साल किसनओ को 10 - 20 आरी पत्ते देती है।बदले में किसानो को औसत उपज सरकार को देनी होता है।अगर किसान औसत उत्पादन नहीं दे पाते है तो अफीम की खेती का लाइसेंस रद किया जाता है।साथ ही क़ानूनी करवाई भी झेलनी पड़ जाती है।मंदसौर अफीम की खेती का बह है।यहाँ के 19,000 किसान केंद्रीय वि मंत्रालय की लॉसिंग और सीपीएस पद्धति के तहत अफीम उगाते है।