गाभिन भेस की ऐसे करे देखभाल,नहीं होगा कोई नुकसान

पशुपालक को भेस पालन में बहुत ध्यान देने की जरूरत होती है।गर्भवस्था के समय ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत होती है।अगर थोड़ी सी लापरवाही हो ,तो पशुपालक को काफी नुकसान हो सकता है।पशुपालन व्यवसाय के लिए भेस को हर 12 से 14 महीने बाद बयाना चाहिए। इसके साथ ही लगभग 10 महीने तक दूध भी देना चाहिए।लेकिंन दो ब्यात के बिच में 14 से 16 महीनो का अंतर् होता है।यह पशुओ के दिए जाने वाले आहार और रख रखाव पर निर्भर होता है।गर्भकाल के आखिरी 3 महीने में अतिरिक्त पोषक तत्वो की जरूरत होती है ,क्युकी इस समय भेस का वजन 30 किलो तक बढ़ जाता है।तो चलिए जानते है की आप गाभिन भेस का खास ख्याल किस तरह रख सकते है।
गर्भकाल के आखिरी ३ महीनो में देखभाल
भेस को दौड़ने या ज्यादा चलने से बचाना चाहिए। गर्भति भेस को बाकी पशुओ से लड़ने से बचाए। आहार में 3 किलोग्राम अतिरिक्त दाना देना जरुरी होता है।पानी पिलाते रहे।गर्मियों में भेस को 2 बार नहलाए। also read : बेमौसम बरसता के कारण रबी की फसलों का होगा भारी नुकसान,किसान हुए परेशान
परसव काल में भेस की देखभाल
प्रसव के समय पशु के आस पास किसी तरह का शोर नहीं होना चाहिए।जल थैली दिखने के एक घंटे बाद तक अगर बच्चा बाहर नहीं आए तो पशु चिकित्स्क की मदद लेना चाहिए। बच्चे को साफ और नरम कपड़े से रगड़ पर पोछ दे।जब तक जेर नहीं गिर जाये तब तक भेस को खाने को कुछ नहीं दे। भेस को एक दो दिन तक गुड़ और जो का दलिया खिलाना चाहिए।
गर्भकाल के आखिरी माह में प्रबधन
भेस को प्रसव तक 2 से 3 किलोग्राम दाना प्रतिदिन दीजिए।ब्याने के 20 से 30 दिन पहले भेस को दस्तावर आहार कैसे गेहू का चोकर,अलसी की खल आदि दाने में खिलाये।पहली बार ब्याने वाली भेस के शरीर पर हाथ फेरते रहना चाहिए।