इत्र बनाने के इस बिजनेस से होता है लाखो का मुनाफा,जानिए इसके बारे में

अक्सर लोग कही भी किसी पार्टी या किस खास जगह पर जाने की सोचती है तो अपने कपड़ो या बॉडी पर परफ्यूम या इत्र जरूर लगाते है। इससे लोगो का ध्यान आपसे आने वाली खुशबु की और आकर्षित हो जाता है।तो चलिए जानते है इत्र कैसे बनता है और बाजार में कितने तक का मिल जाता है।
क्या फर्क है गुलाब जल और गुलाब के इत्र में
अक्सर चेहरे पर लगाने के लिए गुलाब जल का इस्तेमाल किया जाता है।इससे चेहरे की चमक बढ़ती है।खाने पिने की बनी हुई चीजों में भी गुलाब जल का इस्तेमाल किया जाता है।गुलाब जल और गुलाब इत्र में काफी फर्क होता है।लेकिन दोनों को ही बनाने के लिए सबसे पहले घातुओ की बड़ी बड़ी डेग जिन्हे हम मटके भी कहते है। यह बर्त्तन लगभग 150 किलो तक के होते है।इन्ही बर्तनो के माध्यम से बनता है गुलाब का इत्र और गुलाब जल।न धातु के बने मटको में फूलो को डालते है और इसमें आनुपातिक रूप में पानी मिलाते है।इन दोनों के मिश्रण को अच्छी तरह एक बर्तन में डाल देने के बाद इसमें DOP का मिश्रण करते है और इत्र बनाते है।गुलाब जल या इत्र बनाने के लिए ठंडे और गर्म पानी का इस्तेमाल किया जाता है।दोनों पानी के लिए अलग अलग बर्तन होते है।सबसे पहले बड़े बर्तन में हम गुलाब और पानी की आनुपातिक मात्रा डाल देते है।इसके बाद निर्धारित किया जाता है की इसको किस तरह में लाया जाएगा। also read : शिवराज सरकार ने पशुओं के लिए शुरू की एम्बुलेंस सेवा, अब किसान आसानी से करवा सकेंगे अपने बीमार पशुओं का इलाज
अगर यह गुलाब जल की तरह इस्तेमाल में लाने के लिए बनाया जाएगा तो इसके बाद ही प्रक्रिया को शुरू कर सकते है।लेकिन आप इस इत्र के रूप में बनाना चाहते है तो आपको इसमें DOP के तेल का इस्तेमाल करना होगा। इसी तेल के इस्तेमाल से गुलाब से इत्र का निर्माण किया जाता है।अब बड़े बर्तन को मिटटी से अच्छी तरह से बंद कर दिया जाता है साथ ही एक धातु की नाली जो बड़े बर्तन के मुँह से होते हुए छोटे बर्तन के मुँह में खोली जाती है।छोटे बर्तन को ठंडे पानी में रखा जाता है और बड़े बर्तन को हल्की आग में लकड़ी और गोबर के उपलों की मदद से उबला जाता है।इसकी भाप धीरे धीरे बर्तन में द्रव के रूप में एकत्र होती है। इस पूरी प्रक्रिया में वाष्पीकरण में माध्यम का इस्तेमाल किया जाता है।
काफी ज्यादा अंतर् होता है डोप और संदल के तेल में
ये दोनों ही तेल इस्तेमाल किया जाते है जब हम किसी फूल को इत्र बाने के लिए इस्तेमाल करते है।लेकिन दोनों में ही बहुत बड़ा अंतर् होता है। इसमें डोप आपको बाजार में मात्र 150 रूपये से 200 रूपये किलो के भाव में मिल जाता है वही संदल का तेल 90000 से 100000 रूपये किलो में भाव में आता है।आज कल बाजार में मिलने वाले इत्र में DOP का इस्तेमाल किया जाता है।सामान्य रूप से ये बिजनेस कनोज क्षेत्र में प्रचलित है। लोग यह बिजनेस करने आखो रूपये महीने की आय भी कर रहे है। इस व्यवसाय में एक बार सफलता मिलने के बाद पैसे की कभी कोई कमी नहीं रहती है।