पशुओं को गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए सही समय पर करवाएं टीकाकरण,

 
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पशु हो या फिर मनुष्य हर किसी में रोज नई नई बीमारियां सामने आती है। बीमारी से हर कोई परेशान होता है। ऐसे में इसका  “सावधानी इलाज से बेहतर है”। इस पोस्ट के जरिए में हम पशुओ को बीमारियों से बचाव के लिए टिकराकरण की बात करने जा रहे है। अगर आप समय रहते रोगो का बचाव नहीं करते है तो पशुओ के लिए खतरा हो सकता है। पशुओ को समय पर टिके लगाए जाने चाहिए। और उन्हें बीमारी से भी बचाया जा सकता है। 

विशेषज्ञों के अनुसार जानवरों में खुरपका और मुंहपका सबसे गंभीर बीमारी हैं, इसमें मुंह व खुर में छाले निकलते हैं। जिससे पशु को काफी परेशानी होती है। इस रोग में पशु इतनी तकलीफ़ में होता है कि वो चारा-पानी लेना छोड़ देता है। एंथ्रेक्स नाम की बीमारी भी जानवरों में देखने को मिलती है। इनके अलावा एचएसबीक्यू यानी लंगड़ा बुखार, ब्रूसेल्लोसिस, और गलघोंटू रोग जैसी ख़तरनाक और जानलेवा बीमारियां भी हैं। 

जानवरों को जानलेवा रोगों से बचाने के लिए पशुपालन विभाग ने उनके टीकाकरण की सलाह देते हुए कहा है कि, “टीकाकरण पशु रोग को रोकने, खाद्य उत्पादन की दक्षता बढ़ाने व लोगों में खाद्य जनित संक्रमण को रोकने का सबसे प्रभावी साधन है”। विभाग की ओर से कुछ गंभीर प्रकृति के रोगों और उनके टीकाकरण का ज़िक्र किया गया है-

रोग का नाम- खुरपका-मुंहपका रोग
पहली खुराक में उम्र- 4 महीने और उससे अधिक
बूस्टर खुराक- पहली खुराक के एक महीने बाद
अगली खुराक- छः मासिक

रोग का नाम- गलाघोंटू
पहली खुराक में उम्र- 6 महीने और उससे अधिक
बूस्टर खुराक- -----------------
अगली खुराक- वार्षिक रूप से स्थानिक क्षेत्रों में

रोग का नाम- ब्रूसेल्लोसिस
पहली खुराक में उम्र- 4-8 महीने की उम्र (केवल मादा बछड़े)
बूस्टर खुराक- ------------------
अगली खुराक- जीवन में एक बार

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