Sanchar Saathi Portal : आपके किस काम आएगा, कैसे इस्तेमाल होगा अगर आप अभी भी फोन खोने या चोरी होने पर पुलिस के पास जाते हैं तो यकीन मानिए आप बिल्कुल आम जिंदगी जी रहे हैं लाइफ को थोड़ा सा मेंटस स्टाइल में बनाना चाहते हैं तो एक नाम याद रख लीजिए संचार साथी पोर्टल क्योंकि अब यह नाम आपके बहुत काम आने वाला है मोबाइल फोन को ब्लॉक और ट्रैक करने की बात हो या फिर चोरी किए गए मोबाइल फोन के मिसयूज को रोकने की बात हो या फिर नाम आपका और सिम कोई और चला रहा है और आपको इसकी भनक तक नहीं है मतलब केवाईसी के साथ फर्जीवाड़ा हो गया है तो आप की हर ऐसी समस्या का समाधान यह पोर्टल करेगा।
Sanchar Saathi Portal
इसी संचार साथी पोर्टल की यह काम कैसे करता है और पहले से जो पोर्टल चल रहे थे। सरकार के उससे यह पोर्टल अलग कैसे है तो सबसे पहले बात करते हैं संचार साथी पोर्टल की वर्ल्ड टेलीकॉम डे से एक दिन पहले यानी 16 मई को टेलीकॉम मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने संचार साथी पोर्टल यानी sarathi.gov.in को लॉन्च किया उन्होंने बताया कि 117 करोड़ सब्सक्राइबर्स के साथ भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा टेलीकॉम इकोसिस्टम के रूप में उभरा है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस पोर्टल का उद्देश्य मोबाइल कनेक्शन और दूर संचार से संबंधित विभिन्न सुधार और सेवाएं प्रदान करना है आप कहेंगे यह जानकारी तो ठीक है लेकिन ये काम कैसे आएगा तो।
संचार साथी पोर्टल की प्रक्रिया
इसके तीन जरिए हैं एक-एक करके आपको समझाते हैं पहला है, सीई आईआर यानी सेंट्रल इक्विपमेंट आइडेंटिटी रजिस्टर हिंदी में कहे तो केंद्रीय उपकरण पहचान रजिस्टर मतलब फोन खो जाने की कंडीशन में इस्तेमाल आने वाला टूल हालांकि यह पोर्टल पिछले काफी महीनों से लाइव है लेकिन इसका दायरा सिर्फ कुछ शहरों तक सीमित था अब यह देश भर में काम करेगा इसे आप ऐसे समझ सकते हैं अगर आपका मोबाइल फोन गुम हो जाता है तो आप इस पोर्टल पे आपको जाना होगा लेकिन उससे पहले आपको मोबाइल चोरी होने की एफआईआर दर्ज करानी होगी यह काम चाहे तो आप थाने जाकर कर सकते हैं। या फिर ऑनलाइन भी एफआईआर दर्ज करवा सकते हैं।
संचार साथी पोर्टल के बारे मे
अब वापस आपको पोर्टल पर आना है। फोन चोरी होने की एफआईआर अगर ये एफआईआर आपके पास नहीं है तो पोर्टल आपके किसी काम का नहीं है आपने एफआईआर दर्ज करा दी उसके बाद आप सीईआईआर पर आ जाइए यहां पर आपको तकरीबन बहुत सारे डिटेल भरना होंगे जैसे कि मोबाइल नंबर, दूसरा मोबाइल नंबर, आईएमआई नंबर जो आपको फोन के बॉक्स में मिल जाएगा या फोन में मिल जाएगा उसके बाद उसका ब्रांड डिवाइस का मॉडल यह सारी चीजें भरने के बाद कुछ बेसिक जानकारी जो आपको एफआईआर में मिलती हैं। कि फोन कहां से चोरी हुआ कौन से स्टेट से चोरी हुआ किस शहर से चोरी हुआ यह सब भरने के बाद आपको आप जो एफआईआर की कॉपी है।
उसको इस पोर्टल पे अपलोड करना होगा जैसे ही आप एफआईआर की कॉपी अपलोड करेंगे तो जो संबंधित एजेंसियां हैं वो टेलीकॉम प्रोवाइडर्स के साथ मिलकर आपका फोन ढूंढने की कोशिश करेंगी कोशिश शब्द का इस्तेमाल मैं इसलिए कर रहा हूं क्योंकि अभी भी ऐसे हो सकता है ना कि किसी ने फोन चुराया और चुरा कर के उसने फेंक दिया अगर इस्तेमाल नहीं किया तो पता नहीं कि शायद क्या होगा हां लेकिन यह प्रोसेस आपको आपका चोरी हुआ या खोया हुआ मोबाइल ढूंढने में मदद जरूर कर सकती है।