संजय मल्होत्रा ने भारतीय रिजर्व बैंक के 26वें गवर्नर के रूप में कार्यभार संभाला है। सार्वजनिक नीति में तीन दशक का अनुभव रखने वाले मल्होत्रा नई इनकम टैक्स व्यवस्था लागू करने के लिए प्रसिद्ध हैं। वह ऐसे समय में RBI की बागडोर संभाल रहे हैं जब भारत की अर्थव्यवस्था उच्च महंगाई और धीमी वृद्धि दर जैसी चुनौतियों का सामना कर रही है। उनकी कुशल नेतृत्व क्षमता से आर्थिक स्थिरता की उम्मीद की जा रही है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का नेतृत्व ऐसे व्यक्तित्व के हाथों में सौंपा गया है, जो नीति निर्माण और प्रशासन में गहरी समझ रखते हैं। संजय मल्होत्रा ने 11 दिसंबर को RBI के 26वें गवर्नर के रूप में कार्यभार संभाला। तीन दशकों से अधिक के व्यापक अनुभव और विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता के साथ, वह आर्थिक स्थिरता और सुधारों की दिशा में कई महत्वपूर्ण पहल करने के लिए तैयार हैं।
शिक्षा और प्रशासनिक अनुभव
राजस्थान के मूल निवासी और 1990 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी संजय मल्होत्रा की शैक्षणिक पृष्ठभूमि बेहद प्रभावशाली है। उन्होंने प्रतिष्ठित आईआईटी कानपुर से कंप्यूटर साइंस में स्नातक किया और प्रिंसटन विश्वविद्यालय, अमेरिका से सार्वजनिक नीति में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की।
अपने करियर की शुरुआत में ही, उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभालीं। राजस्थान में उन्होंने वित्त, खनिज, ऊर्जा और कराधान जैसे प्रमुख विभागों में अपनी छाप छोड़ी। इसके अलावा, केंद्र सरकार में केंद्रीय विद्युत मंत्रालय और वित्त मंत्रालय जैसे विभागों में भी उन्होंने उल्लेखनीय कार्य किए।
करियर की मुख्य उपलब्धियां
केंद्र में योगदान
संजय मल्होत्रा ने 2000 में केंद्रीय मंत्री के निजी सचिव के रूप में अपनी सेवाएं दीं। इसके बाद, 2020 में वह केंद्रीय विद्युत मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव के रूप में लौटे। यहां उन्होंने आरईसी (REC) के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक के रूप में एक वर्ष से अधिक का कार्यकाल पूरा किया। फरवरी 2022 में उन्हें वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग में सचिव नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने व्यापक सुधार किए।
राजस्थान में योगदान
मल्होत्रा ने राजस्थान में अपने प्रशासनिक कार्यकाल के दौरान खनिज और ऊर्जा जैसे विभागों में अपनी नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन किया। उनके नेतृत्व में वाणिज्यिक कराधान और वित्तीय नीतियों में पारदर्शिता और सरलता को बढ़ावा मिला।
नई इनकम टैक्स व्यवस्था लागू करने में अग्रणी भूमिका
संजय मल्होत्रा का नाम नई आयकर व्यवस्था के शिल्पकार के रूप में लिया जाता है। राजस्व सचिव के रूप में, उन्होंने प्रत्यक्ष कराधान में सुधार के साथ-साथ वेतनभोगी वर्ग के लिए टैक्स प्रणाली को सरल और प्रभावी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- प्रत्यक्ष कर सुधार: उनके कार्यकाल में आयकर अधिनियम को सरल बनाने और आयकर व्यवस्था को और अधिक अनुकूल बनाने की दिशा में कदम उठाए गए।
- जीएसटी और अप्रत्यक्ष कराधान में सुधार: ऑनलाइन गेमिंग, कच्चे तेल और ईंधन निर्यात जैसे मुद्दों पर कराधान को स्पष्ट किया गया।
इन सुधारों ने राजस्व विभाग में एक नई दिशा प्रदान की और भारत की कर प्रणाली को आधुनिक और प्रभावी बनाया।
मौजूदा आर्थिक परिदृश्य
मल्होत्रा ऐसे समय में RBI का नेतृत्व संभाल रहे हैं जब देश की अर्थव्यवस्था दो प्रमुख चुनौतियों से जूझ रही है:
- धीमी आर्थिक वृद्धि: जुलाई-सितंबर तिमाही में GDP वृद्धि दर 5.4% तक गिर गई, जो पिछले 7 तिमाहियों में सबसे कम है।
- उच्च महंगाई दर: अक्टूबर 2024 में खुदरा महंगाई दर 6.21% तक पहुंच गई, जो पिछले 14 महीनों का उच्चतम स्तर है।
इन चुनौतियों के बीच, संजय मल्होत्रा से उम्मीद है कि वह मौद्रिक नीतियों को इस तरह से संचालित करेंगे, जिससे आर्थिक स्थिरता और वृद्धि के बीच संतुलन बनाए रखा जा सके।
मौद्रिक नीतियों में संतुलन की आवश्यकता
महंगाई को नियंत्रित करने के लिए मौद्रिक नीति समिति ने पिछले दो वर्षों में रेपो दर को लगभग स्थिर रखा। हालांकि, अब देश में ब्याज दरों में कटौती का दबाव बढ़ रहा है।
मल्होत्रा का दृष्टिकोण
- वह मानते हैं कि मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए केवल RBI के प्रयास पर्याप्त नहीं हैं; इसके लिए सरकारी नीतिगत समर्थन भी आवश्यक है।
- उनकी सहमति बनाने की क्षमता और टीम वर्क की शैली से उम्मीद है कि वह मौद्रिक और राजकोषीय नीतियों को एक समान दिशा में ले जाने में सफल होंगे।
वित्त मंत्री और मल्होत्रा के अच्छे संबंध
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और पीयूष गोयल जैसे वरिष्ठ नेताओं के साथ उनके अच्छे संबंध, नीतिगत निर्णयों को प्रभावी ढंग से लागू करने में सहायक होंगे। वित्त मंत्री ने हाल ही में ब्याज दरों में कटौती की वकालत की थी, ताकि उच्च ब्याज दरों के कारण अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सके।