new-variety-of-mustard: हर साल किसान सरसों की बुवाई को लेकर कई चुनौतियों का सामना करते हैं, जिसमें सबसे बड़ी समस्या सही बीजों की ज्यादा जरूरत होती है. इसी कड़ी में चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (CSA University) के वैज्ञानिकों ने सरसों की एक नई किस्म की खोज की है, जिसे नवंबर के अंत तक बोया जा सकता है. इस नई किस्म के आने से किसानों को अधिक उत्पादन की उम्मीद है.
नई सरसों की किस्म की विशेषताएं
इस नई किस्म का नाम ‘गोवर्धन’ (KMRAL 17_5) रखा गया है और यह तेल देने की क्षमता में उच्च है. गोवर्धन किस्म 120 से 130 दिनों में परिपक्व हो जाती है और इसमें 39.6% तक तेल की मात्रा होती है. इस किस्म के उत्पादन में 4.9% की वृद्धि देखी गई है जो कि राष्ट्रीय औसत से अधिक है.
ज्यादा उत्पादन और कीट प्रतिरोधक क्षमता
गोवर्धन प्रजाति न सिर्फ उच्च तेल देने में सक्षम है बल्कि इसमें कीट और रोगों का प्रकोप भी कम होता है. इससे किसानों को कम लागत में बेहतर परिणाम मिलने की संभावना है.
नोटिफिकेशन और आगे की योजनाएं
इस किस्म को जल्द ही कृषि मंत्रालय द्वारा नोटिफाई किया जाएगा, जिसके बाद यह व्यापक रूप से उपलब्ध होगी. इस किस्म के विकास से न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश के सरसों किसानों को लाभ होगा.
गोवर्धन प्रजाति का भविष्य
वैज्ञानिकों का मानना है कि गोवर्धन किस्म का विकास किसानों को बेहतर उत्पादन और उच्च लाभ प्रदान करेगा. यह किस्म नवंबर के अंत में बोई जा सकती है और इससे किसानों को मौसमी चुनौतियों से निपटने में भी मदद मिलेगी.