Mustard Oil : इस बात में कोई दौराय नहीं है कि भारत देश के हर घर की रसोई में सरसों तेल का इस्तेमाल किया जाता है। बाजार जानकारों के अनुसार भारत में रोजाना 13,000 टन सरसों तेल की आवश्कता होती है और सालाना करीब 3-3.5 मिलियन टन सरसों तेल की खपत (Consumption of mustard oil) होती है। दरअसल, देश के घरेलू उत्पादन में सरसों तेल का हिस्सा 40 प्रतिशत है। क्योंकि सरसों तेल को स्वास्थ्य के लिए सबसे अच्छा माना गया है। इसमें कई सारे औषधीय गुण होते हैं।
आजकल रसोई में खाना पकाने के लिए कई तरह के तेल इस्तेमाल होते हैं, जैसे सरसों का तेल, ऑलिव ऑयल, नारियल तेल, मूंगफली का तेल आदि। लेकिन भारत समेत दुनिया के कई देशों में लोग सरसों तेल का इस्तेमाल करते हैं। क्योंकि सरसों तेल (mustard oil use) स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है। यह न केवल खाना बनाने के लिए बल्कि पारंपरिक औषधीय गुणों के लिए भी लोकप्रिय है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि अमेरिका और यूरोपीय देशों में सरसों के तेल (mustard oil) से खाना पकाने पर प्रतिबंध लगा हुआ है। यहां तक कि ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में भी लोग सरसों तेल का यूज नहीं कर सकते हैं। अब सवाल ये उठता है कि आखिर ऐसा क्यों है, क्या सरसों तेल सुरक्षित नहीं? आखिर किस तेल में अमेरिका-यूरोप के लोग खाना पकाते हैं? क्या उसे खाना पकाने के लिए सबसे अच्छा तेल माना जाता है। आईये नीचे खबर में जानते हैं –
यहां सरसों तेल पर लगा बैन
सरसों का तेल अनेकों औषधीय (Mustard oil benefits) गुणों से भरपूर होता है। इसमें एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल और एंटी-वायरल गुण होते हैं, जो शरीर को टॉक्सिन्स से छुटकारा दिलाने में मदद करते हैं। यह सूजन और दर्द कम करने में भी प्रभावी है। जोड़ों के दर्द के लिए सरसों तेल में कपूर मिलाकर गर्म करके लगाने से राहत मिलती है। इसके अलावा, यह तेल हेल्दी बालों और त्वचा के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। डॉक्टर द्वारा भी कई बार खाने में सरसों तेल का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। भारत में सरसों का तेल स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित और उपयोगी माना जाता है। यही कारण है कि देश के अधिकांश घरों में यह खाना पकाने में इसका सबसे अधिक उपयोग किया जाता है।
हालांकि, अमेरिका और यूरोपीय देशों में सरसों के तेल से खाना पकाने पर बैन (Mustard oil banned) है। इन देशों में सरसों के तेल के पैकेट पर यह साफ लिखा होता है कि इसे खाने में इस्तेमाल न करें। इसका कारण तेल में मौजूद एरुसिक एसिड है, जिसे वहां स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है। इसके बावजूद, भारत में इसका पारंपरिक और औषधीय महत्व इसे खास बनाता है।
विदेशों में क्यों लगा सरसों तेल पर प्रतिबंध?
गौरतबल है, कि अमेरिका की फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने सरसों के तेल को खाद्य तेल के रूप में इस्तेमाल करने पर रोक लगा रखी है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है सरसों के तेल में एरुसिक एसिड (Erucic Acid) की अधिक मात्रा का होना। यह एक प्रकार का फैटी एसिड होती है, जिसे शरीर ठीक से मेटाबोलाइज़ नहीं कर पाता।
विशेषज्ञों का मानना है कि एरुसिक एसिड मस्तिष्क की कोशिकाओं के लिए नुकसानदेह हो सकता है। यह याददाश्त को कमजोर कर सकता है और शरीर में कई प्रकार की बीमारियां हो सकती है। यदि इसकी अधिक मात्रा लंबे समय तक शरीर में बनी रहे, तो इससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं, यहां तक कि अपंगता का खतरा भी हो सकता है।
विदेशों में किस तेल में पकाया जाता है खाना?
अमेरिका में सरसों के तेल (mustard oils) के सभी डिब्बों पर “External Use Only” लिखा होता है, जिसका मतलब होता है कि इसे केवल बाहरी उपयोग के लिए ही अनुमति दी गई है, खाने के लिए नहीं। अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि वहां लोग खाना किस तेल में पकाते हैं? अमेरिका और यूरोप के अधिकतर देशों में खाना पकाने के लिए सोयाबीन तेल का इस्तेमाल किया जाता है। सोयाबीन तेल (soybean oil ) को स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है, क्योंकि इसमें ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड प्रचुर मात्रा में होते हैं। ये तत्व कोलेजन को बढ़ावा देते हैं, जिससे शरीर और त्वचा में लचीलापन आता है और झुर्रियां कम होती हैं।
इसके अलावा, सोयाबीन तेल मस्तिष्क के विकास में भी मदद करता है और इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन ई पाया जाता है, जो त्वचा और बालों की सेहत के लिए बेहद जरूरी है। यही वजह है कि अमेरिका और यूरोप में सोयाबीन तेल खाना पकाने के लिए प्राथमिक पसंद बना हुआ है।