किसान साथियो चार दिन की छुट्टी के बाद जब बाजार खुला तो बाजार में तेजी की रौनक देखने लायक थी। हमने पहले ही बताया था कि जिस तरह से विदेशी बाजारों में तेजी आयी है उसे देखते हुए सरसों के भाव में 100 से लेकर 200 रुपए तक की तेजी बन सकती है । बाजार में ठीक ऐसा ही देखने को मिला भी। बाजार खुलते ही हाजिर मंडियों से लेकर प्लाटों तक बाजार में तेजी ही तेजी देखने को मिली। हाजिर मंडियों में जहां बाजार 200 रुपये तक उछला वहीं सलोनी प्लान्ट ने एक कदम आगे जाकर बाजार को 400 रुपये तक तेज कर दिया। दोस्तो अगर बाजार में आयी इस तेजी का आपको फायदा उठाना है तो इस तेजी के माहौल में एक दो बातें ऐसी भी हैं जिन पर आपको गौर करनी चहिये। आज की रिपोर्ट में हम बाजार में आयी तेजी का घरेलू पटल पर रखकर विश्लेषण करेंगे और यह जानने की कोशिश करेंगे कि यहां से आगे बाजार में तेजी की कितनी और मंदी की कितनी गुंजाईश है।
ताजा मार्केट अपडेट
सबसे पहले जान लेते हैं मेन बाजारों में सरसों कितनी तेज हुई है। जयपुर में सरसों के भाव जो की 30 तारीख को 6625 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा था। कल यानी कि सोमवार को बाजार बंद होने के समय 6825 रुपये तक पहुँच गया। इसी तरह से भरतपुर का बाजार भी 6286 से उठकर 6550 रुपये हो गया है। बात दिल्ली के बाजार की करें तो यहाँ भी बाजार 6450 से उठकर 6725 तक दौड़ लगाता नजर आया। अन्य मुख्य व्यापारिक केदो की बात करें तो चरखी दादरी में सरसों का रेट 6700, अलवर ₹6600, बरवाला ₹6550, हिसार ₹6900, मुरैना मंडी ₹6750, ग्वालियर ₹6800, खैरथल मंडी ₹6550 से ₹6600, टोंक मंडी ₹6480, निवाई ₹6500, और सिवानी मंडी में सरसों ₹6265 तक बिकी है। सोमवार को सरसों की कुल आवक 2 लाख बोरी की रही
प्लांटों पर सरसों 400 रुपये तक तेज
विदेशी बाजार में आई तेजी का सबसे बड़ा प्रभाव प्लांट पर ही देखने को मिला सलोनी प्लांट पर सरसों के रेट जो की 29 तारीख को 7250 के चल रहे थे वह कल सोमवार को ₹400 तेज होकर 7650 के हो गए। काफी लंबे समय बाद सलोनी प्लांट में सरसों के भाव में इतनी बड़ी तेजी की है। अन्य प्लांट की बात करें तो शारदा और बीपी प्लांट पर भी सरसों के भाव ₹400 उछलकर 7200 के स्तर पर पहुंच गए। गोयल कोटा पर जहां 6350 का भाव चल रहा था अब वहां नया रेट 6600 का हो गया है। अडानी अलवर और बूंदी प्लान्ट पर भी सरसों के भाव 250 रुपये तेज होकर क्रमशः 6800 और 6900 रुपये के हो गए ।
हाजिर मंडियों में क्या रहे टॉप रेट
हाजिर मंडियों में तेजी तो आयी है लेकिन प्लांटों के मुकाबले उतना उठाव नहीं दिखा। मुख्य मंडियों के भाव को देखें तो बीकानेर अनाज मंडी: सरसों भाव 5200 से 5701 रुपए, श्री गंगानगर मंडी: सरसों रेट 5700 से 6040 रुपए, आदमपुर मंडी: सरसों रेट 6150 रुपए, घड़साना अनाज मंडी: सरसों रेट 5180 से 6142 रुपए, अनूपगढ़ मंडी: सरसों रेट 5385 से 5811 रुपए, सिरसा मंडी: सरसों रेट 5500 से 6000 रुपए, ऐलनाबाद मंडी: सरसों रेट 5700 से 6000 रुपए, नोहर मंडी: सरसों रेट 5900 से 6400 रुपए, देवली मंडी: सरसों रेट 5000 से 6400 रुपए, सरसों 42% रेट 6350 रुपए, भट्टू मंडी: सरसों रेट 6171 रुपए, गोलूवाला मंडी: सरसों रेट 5878 रुपए, संगरिया मंडी: सरसों रेट 5171 से 5955 रुपए, गजसिंहपुर मंडी: सरसों रेट 5300 से 5861 रुपए और जैतसर मण्डी में सरसों का रेट 5828 रुपए प्रति क्विंटल तक दर्ज किया गया।
विदेशी बाजारों में तूफानी तेजी
पिछले हफ्ते की तूफानी तेजी के बाद सुबह जब मलेशिया डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (बीएमडी) खुला तो बाजार पर मुनाफावसूली का दबाव दिख रहा था लेकिन कमजोर उत्पादन, घटते स्टॉक aur बढ़ते निर्यात के अनुमानों के चलते बाजार फिर से रिकवरी मोड में आ गया। KLC वायदा बाजार में जनवरी का पाम तेल वायदा 23 रिंगिट यानी 0.47 % की तेजी के बाद 4,891 रिंगिट प्रति टन पर बंद हुआ। तेजी का दौर चीन और अमेरिकी बाजारों में भी जारी रहा और चीन के डालियान का सबसे सक्रिय सोया तेल वायदा अनुबंध 1.43 % तेज हुआ, जबकि पाम तेल वायदा अनुबंध में 1.46 % की तेजी दर्ज की गई। बात अमेरिकी बाजार की करें तो शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड पर सोया तेल वायदा अनुबंध में 0.32 % की तेजी रही। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इंडोनेशिया ने नवंबर के लिए अपने क्रूड पाम तेल के संदर्भ मूल्य को बढ़ाकर 961.97 डॉलर प्रति टन कर दिया है। अक्टूबर में यह 893.64 डॉलर प्रति टन था, अब निर्यात कर 124 डॉलर प्रति टन हो गया है।
तेल और खल के भाव
जयपुर में सरसों तेल कच्ची घानी और एक्सपेलर के भाव में ज़बरदस्त उछाल देखने को मिला। सोमवार को कच्ची घानी सरसों तेल के भाव 60 रुपये तेज होकर 1,411 रुपये प्रति 10 किलो पर पहुँच गए जो कि मंगलवार को 1351 रुपये पर बंद हुए थे। इसी तरह से सरसों एक्सपेलर तेल के दाम भी 60 रुपये की तेजी के साथ 1,401 रुपये प्रति 10 किलो बोले गए। हालांकि जयपुर में सरसों खल के भाव 2,485 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर रहे।
कब बेचें सरसों
दोस्तों फ़िलहाल सरसों में तेजी का माहौल तो बना हुआ है लेकिन आपको इस समय सावधान रहने की जरूरत है। किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले हम बाजार में तेजी और मंदी लाने वाले घटकों को देख लेते हैं। पॉजिटिव में देखें तो किसानों से बातचीत के बाद अनुमान लगाया जा रहा है कि सरसों बिजाई में इस साल कमी आ सकती है, खासकर राजस्थान में, जहां तापमान के कारण फसल उग नहीं रही है। किसान दो बार बुवाई कर चुके हैं लेकिन फिर भी उम्मीद के अनुसार सरसों नहीं उग रही है। कुछ किसान अब चना या गेहूं की ओर जा रहे हैं। इसलिए सरसों के बिजाई क्षेत्र में बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है। दूसरी तरफ, विदेशी तेलों में बड़ा उछाल है, जैसे कि मलेशिया और इंडोनेशिया में पाम का उत्पादन घटने की संभावना है और चीन की मांग भी उच्च बनी हुई है। थाईलैंड ने भी घरेलू जरूरतें पूरी करने के लिए पाम तेल के निर्यात पर बैन लगा दिया है। सरसों की आवक लगातार कमजोर चल रही है और पिछले साल का स्टॉक भी हमारे पास ज्यादा नहीं है। कई दिनों से चल रही बिकवाली के चलते सरकारी स्टॉक अब काफी कम हो गया है। हो सकता है सरकार जल्द ही सरसों की बिकवाली बंद कर दे। क्योंकि लगातार बिकवाली होती रही, आने वाले समय में तेजी को नियंत्रित करने के लिए सरकार के पास विकल्प सीमित हो सकते हैं।
दूसरे पहलू को देखें तो मलेशिया में पाम तेल के बाजार इतने तेज हो गए हैं कि अब वहां पर मुनाफा वसूली का डर बन गया है। व्यापारी मलेशिया पाम तेल बोर्ड के आंकड़ों का इंतजार कर रहे हैं जिसके बाद बाजार में परिवर्तन हो सकता है। आपने देखा ही होगा कि जब विदेशी बाजारों में पाम तेल का भाव 4000 रिंगिट के आसपास चल रहा था तब सरसों के भाव ने 7100 का आंकड़ा पार किया था, अब पाम तेल के भाव 5000 रिंगिट के पास पहुंच चुके हैं लेकिन सरसों का भाव अभी भी 6800-6900 की रेंज में अटका हुआ है। इससे पता चलता है कि विदेशी बाजारों की तेजी को घरेलू बाजार पूरी तरह से फॉलो नहीं कर रहा इसलिए बहुत बड़ी मजबूती आएगी ऐसा नहीं लगता। सोयाबीन की सप्लाई जबरदस्त चल रही है और ऐसा संभव है कि अगर सरसों की कमी होती है तो ग्राहक सोया तेल की तरफ मुड़ सकते हैं। किसान साथियों और व्यापारी भाइयों, अगर ओवरऑल पिक्चर को देखा जाए तो इस समय सरसों का बाजार संतुलित लग रहा है जहां से बहुत बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है और बहुत बड़ी मंदी के आसार भी नजर नहीं आ रहे। किसान साथियों अब वह समय आ गया है जब किसानों और व्यापारियों को स्टॉप लॉस की पॉलिसी को फॉलो करना चाहिए। जब तक बाजार तेज हो रहा है तब तक माल को होल्ड किया जा सकता है, जैसे ही बाजार स्थिर होकर नीचे की तरफ चलने लगे, तुरंत प्रभाव से अपना माल निकाल देना चाहिए। व्यापार अपने विवेक से करें।