पकी बिजाई अधिक पास-पास में हो गई है तो आप बीच में से कुछ पौधों को उखाड़कर निकाल सकते हैं जिससे आपके पौधों को फैलने के लिए पर्याप्त जगह मिल जाएगी और जितना आपके पौधों का फैलाव होगा उतनी ही उनकी ग्रोथ बढ़ेगी और उतना ही अधिक आपको उत्पादन मिलेगा। अगर आपके पौधे उचित दूरी पर होंगे तो उनकी शाखों की मात्रा अधिक होगी और अधिक शाखों पर अधिक फलिया आएंगी और फलियों में बनने वाला दाना भी मोटा और स्वस्थ होगा। पौधों के बीच उचित दूरी होने से आपके पौधों को अच्छी हवा मिलेगी जिससे बारिश के समय फसल के खराब होने का खतरा कम हो जाता है।
बढ़िया सिंचाई प्रबंधन
किसान भाइयों सरसों की फसल एक ऐसी फसल है जिसमें अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती अगर बीच में एक दो बारिश हो जाती है तो आपको सरसों में सिंचाई करने की आवश्यकता भी नहीं पड़ती, लेकिन अगर आपको सरसों में सिंचाई करने की आवश्यकता हो तो आप सरसों में पहली सिंचाई 30 से 35 दिन के मध्य कर सकते हैं, और दूसरी सिंचाई 60 से 70 दिन के बीच कर सकते हैं। आपको सिंचाई करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना है कि पहली सिंचाई आप 30 से 35 दिन के बीच ही करें, क्योंकि अगर आपने पहले सिंचाई कर दी तो आपके पौधों के गिरने का भय बना रहता है और दूसरी सिंचाई आप सरसों में फूल और कलियां आने से पहले ही कर दें। अगर आपने अपने खेत में सिंचाई सही समय पर और विधि के अनुसार की है तो यह आपके उत्पादन के लिए काफी लाभदायक सिद्ध हो सकती है। इसके लिए पहली सिंचाई फसल के हिसाब से बहुत ही महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि पहली सिंचाई के बाद ही पौधे की ग्रोथ बढनी शुरू होती है जिससे पौधे का फूटाव अधिक से अधिक होता है और उसकी टहनियों पर फलियों की मात्रा बढ़ जाती है।
उर्वरक खाद की संतुलित मात्रा
किसान भाइयों सरसों की फसल में खाद का भी अपना एक अलग महत्व होता है वैसे तो सरसों की फसल मे अधिक रासायनिक खादो की आवश्यकता नहीं होती लेकिन कुछ किसान भाई अधिक उत्पादन लेने के लिए और सरसों में तेल की मात्रा को बढ़ाने के लिए कुछ रासायनिक खादो का प्रयोग करते हैं। इसके लिए आप पहली सिंचाई से ठीक पहले एक बैग यूरिया और उसके साथ में 3 किलो सल्फर ,90% वाली को मिलाकर प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव कर सकते हैं और छिड़काव के बाद आप उसमें सिंचाई कर सकते हैं। अगर आप अपने खेत में सल्फर की मात्रा नहीं डालना चाहते हैं तो आप यूरिया का छिड़काव सिंचाई के बाद भी कर सकते हैं, लेकिन अगर आपने बेसल डोज में सल्फर नहीं दिया है तो आपको पहली सिंचाई के साथ खेत में सल्फर जरुर डालना चाहिए क्योंकि सल्फर आपकी फसल में तेल की मात्रा को बढ़ाता है जो आपको बाजार में फसल की क्वालिटी के आधार पर अत्यधिक मुनाफा दिलाने में मदद करता है। अगर आपने बेसल डोज में सिंगल सुपर फास्फेट नहीं डाला है तो इसे भी आप सिंचाई के समय डाल सकते हैं। पहली सिंचाई के लगभग 10 से 12 दिन बाद आपको एनपी के 19-19 की स्प्रे कर देनी चाहिए। इससे आपकी फसल के उत्पादन पर बहुत बढ़िया असर दिखाई देगा। एनपी की स्प्रे करने के बाद आप देखेंगे कि आपका पौधे का रंग अलग ही चमकने लगता है और पौधे की शाखाएं भी बढ़ने लगती हैं और उन शाखोंऔ पर फलियों की संख्या भी अधिक हो जाती है और उन फलियां में बनने वाला दाना भी अधिक मोटा और वजनदार होता है।
रोगों से बचाव
किसान भाइयों सरसों की फसल में खेत में दीमक, चितकबरा और अन्य कीटो के प्रकोप से बचना हो तो,नियंत्रण के लिए अन्तिम जुताई के समय क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण 10 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से अंतिम जुताई के साथ खेत में मिलना चाहिए, जिससे आपकी फसल का जर्मिनेशन अच्छे से हो सके और आगे जाकर आपकी फसल रोगों से बची रहे। सरसों की फसल की जड़ों को सड़ने से बचाने के लिए बीज को बुवाई के से पहले फफूंदनाशक बाबस्टीन वीटावैक्स, कैपटान, थिरम, प्रोवेक्स में से कोई एक 3 से 5 ग्राम दवा प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें। फसल को कीटो से बचाने के लिए आपको ईमिडाक्लोरपीड 70 डब्लू पी, 10 मिलीलीटर प्रति किलोग्राम बीज दर से बीज को उपचरित करें। कीटनाशक उपचार के बाद मे एज़ेटोबैक्टर और फॉस्फोरस घोलक,जीवाणु खाद दोनों की 5 ग्राम मात्रा से प्रति किलो बीजो को उपचारित करके ही बोएं।
खरपतवार नियंत्रण
किसान भाइयों सरसों की बिजाई के बाद सरसों के साथ-साथ अनेक प्रकार के खरपतवार भी जर्मिनेट हो जाते हैं, लेकिन खरपतवार का सबसे अधिक प्रकोप पहली सिंचाई के बाद दिखाई देता है, इसके बचाव के लिए आपको बिजाई के लगभग 20 से 25 दिन के बाद खेत में निराई गुड़ाई का कार्य शुरू कर देना चाहिए। यह क्रिया आप फूल आने की अवधि से पहले दो-तीन बार अवश्य करें। जिससे न सिर्फ आपकी फसल को मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों की सही मात्रा की प्राप्ति होगी बल्कि आपकी फसल की ग्रोथ भी बहुत ही बढ़िया तरीके से बढ़ेगी। अगर आप रासायनिक विधि के द्वारा खरपतवार नियंत्रण करना चाहते हैं तो अंकुरण से पहले बुवाई के तुरंत बाद खरपतवारनाशी पेंडीमेथालीन 30 ईसी रसायन की 3.3 लीटर मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से 800 से 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर सकते हैं।
उत्पादन
किसान भाइयों अगर आप सरसों की बिजाई ,निराई गुड़ाई ,खेत की तैयारी, खाद की सही मात्रा, खरपतवार नियंत्रण ,और रोगों से बचाव के लिए सही समय पर सही उपचार करते हैं और बीजों का चयन उत्तम क्वालिटी का करते हैं तो आप सरसों की फसल से अपनी उम्मीद से अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। जिसके लिए आपको फसल को समय-समय पर आवश्यकता अनुसार जरूरी पोषक तत्व और समय पर सिंचाई करने की आवश्यकता होगी। अगर आप सही तरीके और सही विधि के अनुसार सरसों की खेती करते हैं तो आप 30 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से सरसों का उत्पादन ले सकते हैं। सही विधि के अनुसार की गई खेती से आप फसल की क्वालिटी को भी बेहतर बना सकते हैं। अगर आपकी फसल की क्वालिटी उत्तम प्रकार की होगी तो उसमें आपको तेल की मात्रा 40 से 42% तक मिल सकती है जो आपको बाजार में अधिक मूल्य दिलाने में सहायक हो सकती है।
नोट:- दोस्तों रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी हमारे अपने निजी विचारों और इंटरनेट के माध्यम से इकट्ठा की गई है। कृषि संबंधित किसी भी जानकारी के लिए कृषि वैज्ञानिकों या कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें, और कोई भी कार्य अपने विवेक और समझ से करें।