भारत में अनुसूचित जातियों (SC) को सरकारी योजनाओं, शिक्षा और नौकरियों में विशेष अधिकार दिए गए हैं। लेकिन कौन-कौन सी जातियां इस सूची में आती हैं? जानिए केंद्र और राज्यों द्वारा मान्यता प्राप्त अनुसूचित जातियों की पूरी लिस्ट और इससे जुड़े फायदे!
अनुसूचित जाति (SC) एवं अनुसूचित जनजाति (ST) की श्रेणी में आने वाली जातियों को भारतीय संविधान में विशेष अधिकार प्रदान किए गए हैं। संविधान (अनुसूचित जातियाँ) आदेश, 1950 के अंतर्गत, विभिन्न जातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा प्राप्त हुआ है। ये जातियां भारत में सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ी मानी जाती हैं और उन्हें विभिन्न सरकारी योजनाओं और संरक्षण का लाभ मिलता है। यह लेख उन जातियों की सूची पर आधारित है, जिन्हें अनुसूचित जाति का दर्जा प्राप्त है और यह राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के हिसाब से विभाजित है।
SC कैटेगरी का दर्जा प्राप्त जातियाँ
देश के विभिन्न राज्यों में अनुसूचित जातियों की पहचान की गई है, जिनमें बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, झारखंड, आदि प्रमुख राज्य हैं। प्रत्येक राज्य में अलग-अलग जातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा दिया गया है। जैसे बिहार राज्य में वंतर, चमार, रजक, मेहतर, और मुसहर जैसी जातियाँ अनुसूचित जाति के तहत आती हैं। इसी प्रकार मध्य प्रदेश में भंगी, मेहतर, जाटव, चमार, और रैगड़ जैसी जातियाँ अनुसूचित जाति की सूची में शामिल हैं।
झारखंड राज्य में भी हलालखोर, मुसहर, नट, और रजवाड़ जातियाँ इस सूची में आती हैं। राजस्थान में बावरी, बागरी, और बेरिया जैसी जातियाँ अनुसूचित जाति के रूप में सूचीबद्ध हैं। उत्तर प्रदेश में बैसवार, बजनिया, और जाटव जातियाँ अनुसूचित जाति का दर्जा प्राप्त करती हैं। हर राज्य के हिसाब से अनुसूचित जातियों की अलग-अलग सूची है, जो संविधान के आदेश के तहत जारी की गई है।
चमार, मोची, रामदसिया, रवीदासी, रायदासी, रेहगढ़ या रायगढ़
26
मजहबी
27
मेघवाल
28
नरिबट
29
नट (राना), बाडी
30
पासी
31
परना
32
संसी या भेदकुट
33
सपेरा
34
सिक्लीगर
35
सिंगीवाल या कलबेलिया
36
सिक्रीबन्द
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989
इस अधिनियम का उद्देश्य अनुसूचित जातियों और जनजातियों के खिलाफ होने वाले अत्याचारों को रोकना और उन पर होने वाली हिंसा को कानून के तहत दंडनीय बनाना है। यह अधिनियम उन जातियों के अधिकारों की रक्षा करता है, जिन्हें ऐतिहासिक रूप से समाज में भेदभाव का सामना करना पड़ा है। इस कानून के तहत, अनुसूचित जाति और जनजाति के सदस्यों को विभिन्न प्रकार के संरक्षण मिलते हैं, जिनमें सरकारी नौकरियों में आरक्षण, शिक्षा में विशेष अवसर, और अन्य सामाजिक लाभ शामिल हैं।