Scheduled Caste List: हरियाणा सरकार ने अनुसूचित जाति के लोगों की सूची में शामिल तीन विवादित नामों को हटाने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की है. यह नाम जो समाज में नकारात्मक और उपहासपूर्ण अर्थ लिए हुए हैं, वे हैं चुरा, भंगी और मोची. केंद्र सरकार के पास इस सूची में बदलाव का अधिकार है और इसके लिए संसद में कानून में संशोधन आवश्यक है.
लिस्ट में बदलाव की आवश्यकता और प्रक्रिया
हरियाणा सरकार ने करीब 12 वर्षों के बाद सूची में बदलाव के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा है. इस पत्र में उन्होंने तीन जातिगत नामों को सूची से हटाने की मांग की है, जिन्हें समाज में गाली के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. इस बदलाव की पहल हरियाणा सरकार ने की है, लेकिन इसका प्रभाव पूरे देश में देखा जा सकेगा.
विवादित नामों का समाज पर प्रभाव और हटाने की मांग
हरियाणा सरकार ने जिन तीन नामों को हटाने की मांग की है, वे लंबे समय से सामाजिक विभाजन का कारण बन रहे हैं. ये नाम अनुसूचित जाति की सूची में विशेष स्थानों पर अंकित हैं और सामाजिक समूहों के पारंपरिक व्यवसायों से जुड़े हुए हैं. इन नामों को अपमानजनक माना जाता है और इनका इस्तेमाल अक्सर जातिगत भेदभाव को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है.
केंद्र सरकार को भेजा गया पत्र और उसकी प्रतिक्रिया
हरियाणा सरकार ने केंद्र को भेजे गए पत्र में यह तीनों नामों को न केवल आपत्तिजनक बताया है बल्कि यह भी संकेत दिया है कि ये अपनी प्रासंगिकता खो चुके हैं. इस पत्र के जवाब में केंद्र सरकार से सकारात्मक कदम उठाने की उम्मीद की जा रही है, जिससे समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव को कम किया जा सके.
सामाजिक न्याय और अधिकारिता की दिशा में हरियाणा सरकार की पहल
हरियाणा सरकार की यह पहल सामाजिक न्याय और अधिकारिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है. इससे अनुसूचित जातियों के बीच सम्मान और समानता की भावना मजबूत होगी और समाज के अन्य वर्गों के साथ उनके संबंध और भी सुधरेंगे. इस पहल के फलस्वरूप देश में समानता और एकता को बल मिलेगा.
इस मामले पर ताजा अपडेट
हरियाणा सरकार ने हाल ही में एक निर्णय लेने का प्रयास किया, जिसमें ‘चूरा’, ‘भंगी’ और ‘मोची’ जैसी जातियों के नामों को अनुसूचित जाति की सूची से हटाने और उन्हें’ बाल्मीकि’ और ‘चमार’ के नाम से पहचाने जाने का प्रस्ताव था. इस प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य था इन जातियों के सदस्यों को अपमानजनक नामों से मुक्ति दिलाना. हालांकि केंद्र सरकार ने इस निर्णय पर असहमति जताई है और हरियाणा सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए कहा है.