School Closure: राजस्थान के सरकारी स्कूलों में नामांकन कम होने पर उन्हें बंद करने या नजदीकी स्कूल में मर्ज करने की प्रक्रिया फिर से शुरू हो सकती है। शिक्षा विभाग ने इस दिशा में जिला शिक्षा अधिकारियों को आवश्यक सूचनाएं भेजने के निर्देश दिए हैं। इस कवायद के चलते प्रदेश की हजारों स्कूलों के समायोजन की संभावना प्रबल हो गई है।
0 से 10 नामांकन वाले स्कूलों की होगी समीक्षा
शून्य से 10 छात्रों के नामांकन वाली प्राथमिक व उच्च प्राथमिक सरकारी स्कूलों की सूची तैयार की जा रही है। शिक्षा विभाग ने शाला दर्पण पोर्टल के आधार पर इन स्कूलों की पहचान कर ली है और उनसे संबंधित नजदीकी उच्च स्तर की सरकारी स्कूलों की जानकारी मांगी है। इस प्रक्रिया का मकसद ऐसे स्कूलों को नजदीकी स्कूलों में समायोजित करना है जहां संसाधन बेहतर हों और छात्र लाभान्वित हो सकें।
छुट्टियों में भी मांगी गई रिपोर्ट, 26-27 मई की डेडलाइन
इस कार्य को इतना तत्कालिक और प्राथमिकता वाला माना जा रहा है कि शिक्षा विभाग ने इसे गर्मियों की छुट्टियों के दौरान ही पूरा करने का आदेश दिया है। 26 और 27 मई को व्यक्तिगत रूप से रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि यह प्रक्रिया नए सत्र से पहले पूरी हो सकती है।
क्या-क्या मांगी गई है जानकारी?
प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय द्वारा भेजे गए प्रपत्र में निम्नलिखित विवरण मांगे गए हैं:
- संबंधित स्कूल का पूरा पता और नामांकन संख्या
- सबसे नजदीकी उच्च स्तर की सरकारी स्कूल की जानकारी
- दोनों स्कूलों के बीच की दूरी
- सड़क, नदी, नाला, रेलवे लाइन, जंगल, पहाड़ी या अन्य भौगोलिक बाधाओं की जानकारी
- भवन की स्थिति व विद्यार्थियों की आवाजाही की व्यवहारिकता
किन स्कूलों को नहीं किया जाएगा मर्ज
इस प्रस्तावित समायोजन में कुछ विशेष श्रेणी की स्कूलों को बाहर रखा गया है, जैसे:
- संस्कृत विद्यालय
- महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल
- आवासीय विद्यालय
इन स्कूलों को मर्ज नहीं किया जाएगा, जबकि अन्य सभी 0 से 10 नामांकन वाली सरकारी स्कूलें इस प्रक्रिया के दायरे में आएंगी।
यदि दो स्कूलों की दूरी बराबर हो तो?
यदि किसी स्कूल के आसपास एक से अधिक समान दूरी वाले स्कूल हैं, तो ऐसे में प्राथमिकता उच्चतम स्तर वाले स्कूल को दी जाएगी। यदि उच्चतम स्तर के भी एक से अधिक विकल्प हों, तो फिर सह-शिक्षा वाले स्कूल को प्राथमिकता दी जाएगी।
रिपोर्ट नए जिलों के आधार पर देनी होगी
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि शाला दर्पण को नए जिलों की संरचना के अनुसार अद्यतन किया गया है। इसलिए रिपोर्ट भी नई जिला सीमाओं के आधार पर तैयार कर जिला स्तर पर भेजी जानी है। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि भौगोलिक और प्रशासनिक आधार पर समायोजन प्रक्रिया व्यावहारिक हो।
सीकर जिले की स्थिति गंभीर, 219 स्कूलों पर संकट
सीकर जिले में 0 से 10 नामांकन वाले प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों की संख्या 219 बताई जा रही है। यदि यह समायोजन नीति लागू होती है, तो संभवतः यह सभी स्कूल बंद कर दिए जाएंगे या फिर उन्हें नजदीकी स्कूलों में मर्ज कर दिया जाएगा। इससे सैकड़ों शिक्षकों और हज़ारों ग्रामीणों की शैक्षणिक व्यवस्था प्रभावित हो सकती है।
शिक्षक संगठन ने जताई आशंका
राजस्थान शिक्षक संघ (शेखावत) के प्रदेश महामंत्री उपेंद्र शर्मा ने कहा, “प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी यह प्रपत्र यह स्पष्ट संकेत देता है कि शून्य से 10 नामांकन वाली स्कूलों का समायोजन तय है। यह भी संभव है कि इन स्कूलों में कार्यरत अधिशेष शिक्षकों को जरूरत वाले स्कूलों में स्थानांतरित कर दिया जाए।”