मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के बारे में
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में द्वतीय स्थान पर है। यह आन्ध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल नाम के पर्वत पर स्थित है। इस मंदिर को दक्षिण का कैलाश पर्वत कहा गया है। महाभारत में दिए वर्णन के अनुसार श्रीशैल पर्वत पर भगवान शिव का पूजन करने से अश्वमेध यज्ञ करने के सामान फल प्राप्त होता है। माता पार्वती का नाम ‘मल्लिका’ है और भगवान शिव को ‘अर्जुन’ कहा जाता है। इस प्रकार सम्मिलित रूप से वे श्रीमल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के नाम से यहाँ निवास करते है। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग देवी का महाशक्तिपीठ भी है। यहाँ माता सती की ग्रीवा (गरदन या गला) गिरी थी।
श्रीशैलम मंदिर / मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग कैसे पहुचें?
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग पहुचने के लिए हमें पहले हैदराबाद पहुँचना होगा। हैदराबाद से मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की दूरी 213 किमी है। यहाँ से बस टैक्सी या अन्य साधनों से मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग पहुँच सकते है। हैदराबाद में 3 बस स्टैंड है। श्रीशैलम जाने वाली बसें JBS (Jubilee Bus Station) बस स्टैंड और MGBS (MAHATMA GANDHI BUS STATION) बस स्टैंड से जाती है। आप www.tsrtconline.in वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन बस टिकट बुक भी कर सकते है। यदि आप तिरुपति बालाजी भी जा रहे है, तो तिरुपति से मल्लिकार्जुन की दूरी 369 किमी है। तिरुपति से श्रीशैलम जाने के लिए बस आसानी से मिल जाती है।
हवाई मार्ग द्वारा श्रीशैलम कैसे पहुंचे?
श्री शैलम में एयरपोर्ट नहीं है, इसलिए आपको श्री शैलम जाने के लिए हैदराबाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट आना होगा। हैदराबाद में स्थित राजीव गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट हमारे देश और अंतरराष्ट्रीय स्थलों से जोड़ता है। यहाँ के लिए जेट एयरवेज, एयर इंडिया, इंडिगो और स्पाइसजेट जैसी प्रमुख एयरलाइंस देश के सभी प्रमुख शहरों से उड़ान भरने के लिए संचालित हैं। शहर से लगभग 30 किमी दूरी पर स्थित इस एयरपोर्ट से श्रीशैलम जाने के लिए टैक्सी आसानी से उपलब्ध है।
श्री श्रीशैलम कैसे जाएँ रेल द्वारा?
श्रीशैलम मंदिर का निकटतम रेलवे स्टेशन रेलवे स्टेशन कंबम है, जो श्री शैलम से 60 किमी दूर है। यहाँ बहुत कम ट्रेन रूकती है। दूसरा निकट रेलवे स्टेशन मार्कापुर श्रीशैलम से 90 किलोमीटर की दूर है। यहाँ दक्षिण भारत के शहरों से कई ट्रेन चलती है। हिंदीभाषी राज्यों के लिए सबसे सुविधा जनक तीसरा रेलवे स्टेशन हैदराबाद है। हैदराबाद में तीन मुख्य रेलवे स्टेशन हैदराबाद रेलवे स्टेशन, सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन और कचिगुडा रेलवे स्टेशन है। हैदराबाद रेलवे स्टेशन से सबसे पास MGBS बस स्टैंड है, जो 3 किमी की दूरी पर स्थित है। यहाँ से श्रीशैलम जाने के लिए टैक्सी, कार और बसे उपलब्ध हैं।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग कैसे जाएँ सड़क द्वारा
सड़क मार्ग से से यात्रा करने पर सड़क के साथ बहती नदी, बड़े-बड़े पहाड़, गहरी घाटियाँ, जगह-जगह बहते झरने देखना बहुत रोमांचकारी होता है। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग सड़क मार्ग से देश के सभी हिस्सों अच्छी तरह से जुड़ा है। यहाँ जाने के लिए कई शहरों से डायरेक्ट बस उपलब्ध है। आप बस या टैक्सी के माध्यम से मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग पहुँच सकते है। यदि आपके शहर से डायरेक्ट बस नहीं है, तो आप हैदराबाद आ सकते है। हैदराबाद में 3 बस स्टैंड है। श्रीशैलम जाने वाली बसें JBS बस स्टैंड और MGBS बस स्टैंड से जाती है।
श्रीशैलम मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग कब जाएँ?
भगवान शिव के मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए आप साल में कभी भी जा सकते हैं। मौसम के अनुसार श्रीशैलम मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से फरवरी के बीच का हैं। मार्च, अप्रेल से वहाँ गर्मी बढ़ने लगती है।
श्रीशैलम में कहाँ रुके?
श्रीशैलम में रुकने के लिए सबसे अच्छा स्थान मल्लिकार्जुन स्वामी देवस्थान के भक्त निवास है। यहाँ ऑनलाइन रूम बुक करने के लिए ( 2 महीने पहले ) देवस्थान की वेबसाइट www.srisailamonline.com पर विजित करें। देवस्थान भक्ति निवास में नॉन एसी रूम का किराया 300 से 700 तक और एसी रूम का किराया 700 से 1200 तक है। चेक इन चेक और आउट टाइम सुबह 8 बजे है।
श्रीशैलम में देवस्थान के भक्त निवास की लिस्ट नीचे दी गई है।
गंगा सदनम
गौरी सदनम
चण्डीश्वरा सदनम
अन्नपूर्णा सतराम
बालिजा सतराम
काकतिया कम्मवारी सतराम
नयी ब्रह्मणा चौल्ट्री
पद्मशालियुला सतराम
रेड्डी सतराम
श्रीविद्या पीठम
वासवी विहार
वेलमा सतराम
इसके अलावा आंध्रप्रदेश टूरिस्म की होटल और अन्य कई होटल उपलब्ध है। पाताल गंगा रोड पर श्री धाम राम्बिका और नील कन्ठेश्वरा डोरमेट्री हाल बने है। यहाँ पर एसी बेड 250 रूपये और नॉन एसी बेड 150 रूपये में उपलब्ध है। 30 रूपये में मेट भी मिल जाती है। जिसे हाल में बिछा कर सो सकते है।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर की संरचना
मल्लिकार्जुन मंदिर परिसर 2 हेक्टेयर की जगह में एक विशाल परिसर के रूप में स्थित है। यह 28 फीट लम्बी और 600 फीट ऊँची दीवारों से घिरा हुआ है। जिसमे मुख्य मंदिर श्री मल्लिकार्जुन और माता भ्रामराम्बा के है। मंदिर के गर्भगृह में लगभग आठ उंगल ऊंचा शिवलिंग स्थापित है। इन मंदिरों के साथ कई अन्य मंदिर जैसे वृद्ध मल्लिकार्जुन, सहस्त्र लिंगेस्वर, अर्ध नारीश्वर, वीरमद, उमा महेश्वर और ब्रह्मा मंदिर आदि बने हुए हैं। इस मंदिरों में खम्भे, मंडप और झरने बनाएं गए है। मंदिरों की दीवारों पर कई अद्भुत मुर्तियां बनी हुई है, जो लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती है।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास
पुरातत्व विभाग के अनुसार इसका निर्माण कार्य लगभग दो हज़ार वर्ष पुराना है। इस ऐतिहासिक मंदिर के निर्माण में कई बड़े-बड़े राजा-महाराजा का योगदान रहा है। इस मंदिर का इतिहास दूसरी शताब्दी से मिलता है। इस मंदिर में पल्लव, चालुक्य, काकतीय, रेड्डी आदि राजाओं ने विकास कार्य करवाए थे। 14वीं सदी में प्रलयवम रेड्डी ने पातालगंगा से मंदिर तक सीढ़ीदार मार्ग का निर्माण करवाया था। विजयनगर साम्राज्य के राजा हरिहर ने मंदिर के मुख्यमंडपम और दक्षिण गोपुरम का निर्माण करवाया था। 15वीं शताब्दी में कृष्णदेव राय ने राजगोपुरम का निर्माण करवाया था। इसके साथ ही उन्होंने यहाँ एक सुन्दर मण्डप का भी निर्माण कराया था, जिसका शिखर सोने का बना हुआ था। सन 1667 में छत्रपति शिवाजी महाराज ने इस मंदिर के उत्तरी गोपुरम का निर्माण करवाया और उन्होंने मन्दिर से थोड़ी ही दूरी पर यात्रियों के लिए एक उत्तम धर्मशाला भी बनवायी थी।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की कहानी
पौराणिक कथानक के अनुसार शिव पार्वती के पुत्र कार्तिकेय और गणेश भगवान दोनों में विवाह करने हेतु इस बात पर विवाद हुआ कि पहले किसका विवाह होना चाहिए। इस विवाद को समाप्त करने के लिए दोनों अपने माता-पिता के पास पहुँचे। उनके विवाद का समाधान करने के लिए माता पार्वती और भगवान शिव ने कहा कि तुम दोनों में जो भी इस पृथ्वी की परिक्रमा करके पहले यहाँ आ जाएगा, उसी का विवाह पहले होगा। माता पिता की शर्त को पूरा करने के लिए स्वामी कार्तिकेय जी अपने वाहन मोर पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा करने के लिए चल दिए। श्रीगणेश जी स्थूल शरीर के है, पर महा बुद्धिमान है। उन्होंने अपनी माता पार्वती तथा देवाधिदेव महादेव को एक आसन विराजमान होने को कहा और उनकी सात परिक्रमा कर ली।
शिव और पार्वती उनकी चतुर बुद्धि को देख कर अति प्रसन्न हुए और उन्होंने श्रीगणेश का विवाह करा दिया। इस बात से दुखी होकर भगवान कार्तिकेय कैलाश छोड़कर क्रौंच पर्वत पर आकर निवास करने लगे। इधर कैलाश पर माता पार्वती का मन पुत्र स्नेह में व्याकुल होने लगा। वे भगवान शिव जी के साथ क्रौंच पर्वत पर पहुँच गईं। क्योकि स्वामी कार्तिकेय जी को पहले ही अपने माता-पिता के आगमन की सूचना मिल गई थी, इसलिए वे वहाँ से तीन योजन अर्थात् छत्तीस किलोमीटर दूर चले गये। कार्तिकेय भगवान के चले जाने पर भगवान शिव उस क्रौंच पर्वत पर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हो कर स्थापित हो गए। “मल्लिका” अर्थात माता पार्वती और “अर्जुन” अर्थात भगवान शिव, इस प्रकार शिव और शक्ति दोनों की दिव्य ज्योति के सम्मिलित रूप में वे श्रीमल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रसिद्ध हुए। हमारे धर्म शास्त्रों के अनुसार पुत्र स्नेह के कारण भगवान शिव और माता पार्वती प्रत्येक पूर्णिमा और अमावस्या के पर्व पर पुत्र से मिलने यहाँ आते हैं।
श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग में दर्शन के लिए ड्रेस कोड
यहाँ समान्य दर्शन के लिए पुरुषों व महिलाओं के लिए कोई ड्रेस कोड नहीं है। अभिषेक व अन्य पूजा करने के लिए पुरुषों को केवल धोती या लुंगी पहन कर और ऊपर के शरीर में बिना वस्त्र पहने प्रवेश करना आवश्यक है और महिलाओं को साड़ी पहनना अनिवार्य है।
श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग दर्शन
मंदिर के पास पहुचने पर आपको अलग अलग दर्शन लाइन दिखती है। आपको टिकट काउंटर से फ्री दर्शन का टिकट लेना होगा। यदि आप जल्दी दर्शन करना चाहते है, तो शीघ्र दर्शन का 150 रूपये का टिकट ले सकते है। मंदिर के पास ही क्लॉक रूम बने है, जहाँ आप मोबाइल, कैमरा व अन्य सामान जमा कर सकते है। इन सब कार्यों से फ्री होकर आप लाइन में लग जाइये। लाइन में लगने के बाद इधर उधर की बातें ना करें। मन में माता पार्वती और भोलेनाथ का ध्यान करें। मन ही मन ॐ नम: शिवाय का जाप करते रहें।
मंदिर के अंदर प्रवेश करने पर पहले आप नंदी मंडप में पहुचेंगे। वहाँ विशाल नंदीजी के दर्शन करके, आप मंदिर में गर्भगृह के पास पहुचेंगे। इस गर्भगृह का शिखर सोने से बना है। गर्भगृह में अब आपको भगवान शिव के मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग स्वरुप में दर्शन होंगे। भगवान के इस रूप के देखकर आपका ह्रदय आनंद से परिपूर्ण हो जायेगा। भोलेनाथ के ज्योतिर्लिंग रूप को अपने ह्रदय में विराजमान करके मंदिर के बाहर आजाइए।
माता भ्रमराम्बा देवी शक्ति पीठ मंदिर
मल्लिकार्जुन मंदिर के पीछे कुछ सीढ़ियां चढ़ने पर आदिशक्ति देवी भ्रमरम्बा का मंदिर है। बावन शक्तिपीठों में से एक इस पवित्र धाम में सती माता की ग्रीवा (गला या गरदन) गिरी थी। यहाँ इस मंदिर में शक्ति को देवी महालक्ष्मी के रूप पूजा जाता है। माता के दर्शन के साथ साथ गर्भगृह में स्थापित श्रीयंत्र के दर्शन और सिन्दूर से उसका पूजन अवश्य करें।
प्राचीन काल में ‘अरुणासुर’ नाम के राक्षस ने संपूर्ण विश्व पर विजय प्राप्त कर ली थी। उसे ब्रम्हा जी से यह वरदान प्राप्त था कि कोई भी दो पैरों या चार पैरों वाला जीव उसका वध न कर सके। उस अत्याचारी राक्षस का अंत करने के लिए माँ आदि शक्ति ने भ्रामरी (भ्रमराम्बिका) का रूप धारण कर लिया। भ्रमराम्बा का अर्थ है, ‘मधुमक्खियों की माता’। उन्होंने असंख्य छह पैरों वाली मधुमक्खियों को उत्पन्न किया और उन सारी मधुमक्खियों ने कुछ ही क्षणों में अरुणासुर का वध करके उसकी पूरी सेना का भी विध्वंस कर दिया।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर में आरती और दर्शन का समय
मल्लिकार्जुन मंदिर सुबह 5:30 से दोपहर 01:00 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है। इसके बाद शाम को 06:00 से 10:00 बजे तक खुला रहता है। इस मंदिर में आरती प्रात: 05:15 से 06:30 तक होती है। संध्या आरती शाम को 05:20 से 06:00 तक होती है। यहाँ पर प्रसाद के रूप में लड्डू का प्रसाद अर्पित किया जाता है।
श्रीशैलम के दर्शनीय स्थल
Srisailam Tourist Places In Hindi – श्रीशैलम के कुछ दर्शनीय स्थल आप स्वयं घूमने जा सकते है। शिखरेश्वर महादेव को छोड़कर बाकि सभी श्रीसैलम के पर्यटक स्थल मुख्य सड़क के आस पास ही स्थित हैं। इन सभी स्थलों को घूमने के लिए यहाँ ऑटो का किराया 500-600 रूपये है।
श्रीशैलम पातालगंगा, श्रीशैलम
श्रीशैलम का प्रमुख पर्यटन स्थल कृष्णा नदी को पाताल गंगा कहा जाता है। पाताल गंगा जाने के दो रास्ते है। एक जिसमे नदी तक पहुंचने के लिए लगभग 500 सीढिया उतरकर नीचे जाना पड़ता है। दूसरा रास्ता रोप से जाता है। रोपवे से जाना बहुत रोमांचकारी अनुभव होता है। बहुत ऊंचाई से कृष्णा नदी, हरे-भरे घने जंगल और श्री शैलम डेम का अद्भुद प्राक्रतिक नजारा दिखाई देता है। पाताल गंगा में डुबकी लगाने पर पुण्य की प्राप्ति होती है।
श्रीशैलम डैम, श्रीशैलम
श्रीशैलम में घूमने के लिए श्रीशैलम डैम बहुत एक खूबसूरत स्थान है। पाताल गंगा पहुचने के बाद आप बोट से नदी और डैम की सैर कर सकते है। बोट से श्रीशैलम डैम धूमते समय नल्लमाला पहाड़ियों की खूबसूरत हरियालियों के बीच कृष्णा नदी का विहंगम द्रश्य बहुत खूबसूरत लगता है। कृष्णा नदी पर स्थित श्रीशैलम बांध देश में दूसरी सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना है। दिन के उजाले में डैम की 290 मीटर की ऊंचाई से गिरते पानी के द्रश्य आपको रोमांचित कर देता है।
साक्षी गणपति मंदिर, श्रीशैलम
साक्षी गणपति मंदिर श्रीशैलम से 3 किमी की दूरी पर स्थित है। श्रीशैलम के धार्मिक स्थलों में से एक साक्षी गणपति मंदिर का दर्शन करना हर भक्त के किये अनिवार्य है। यदि आप साक्षी गणपति मंदिर नहीं जाते है, तो आपकी यात्रा पूरी नहीं होती है। भगवान गणेश आपकी यात्रा के साक्षी होते है। वे मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की यात्रा करने करने वाले सभी लोगों का रिकॉर्ड रखते है। यह रिकॉर्ड भगवान शिव के पास पहुचता है।
चेंचू लक्ष्मी जनजातीय संग्रहालय, श्रीशैलम
श्रीशैलम के पर्यटन स्थलों में एक चेंचु लक्ष्मी जनजातीय संग्रहालय, श्रीशैलम के प्रवेश द्वार के निकट स्थित है। इस संग्रहालय में श्रीसैलम के जंगलों में निवास करने वाले लोगों के जीवन की एक झलक दिखाई देती है। इस संग्रहालय में माता चेंचु लक्ष्मी की मूर्ति भी दर्शनीय है। इस जनजातीय संग्रहालय में विभिन्न जनजातियों से संबंधित कलाकृतियाँ, उनके हथियार, दैनिक उपयोग की वस्तुओं, संगीत वाद्ययंत्र और कई अन्य बस्तुएं शामिल हैं। इस संग्रहालय में जनजातियों के सदस्यों द्वारा जंगलों में उत्पन्न प्राक्रतिक शहद को एकत्रित करके शहद बेचा जाता है।
पालधारा पंचधारा, श्रीशैलम
श्रीशैलम से 4 किमी दूर पालधारा पंचधारा श्रीशैलम का आकर्षक पर्यटन स्थल है। यह स्थान एक संकीर्ण घाटी में स्थित है। जहाँ 160 सीढिया चढ़कर जाना पड़ता है। इस जगह पर भगवान आदि शंकराचार्य ने तपस्या और प्रसिद्ध ‘शिवानंदलाहारी’ की रचना की थी। यहाँ पर साल भर पहाड़ियों से जल की धारा निरंतर गिरती रहती है। आगे जाकर यह धारा कृष्णा नदी में सम्मलित हो जाती है। इस धारा के जल में कई प्रकार के औषधीय गुण है, इसलिए कई लोग इसका जल अपनी बीमारियों को ठीक करने के लिए ले जाते हैं।
हटकेश्वर मंदिर, श्रीशैलम
श्रीशैलम से 5 किमी की दूरी पर स्थित हाटकेश्वर मंदिर श्रीशैलम के प्रसिद्ध मंदिरों में एक हैं। ‘हटका’ का अर्थ सोना (गोल्ड) होता है। इस मंदिर में स्वर्ण का शिवलिंग स्थापित है। इस मंदिर के सामने एक तालाब स्थित है। जिसे हाथकेस्वर तीर्थ कहा जाता है।
अक्क महादेवी गुफाएं, श्रीशैलम
श्रीशैलम से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अक्क महादेवी गुफ़ाएँ श्रीशैलम में देखने लायक स्थल हैं। ये प्राचीन गुफाएं कृष्णा नदी के पास स्थित हैं। अक्कमाहदेवी भगवान मल्लिकार्जुनस्वामी की भक्त थी। उन्होंने इस गुफाओं में तपस्या की थी इसलिए इन्हें अक्कमाहदेवी गुफा कहा जाता है। ये गुफाएं बहुत ही आकर्षक और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर हैं। अक्क महादेवी गुफ़ाएँ जाने के लिए पाताल गंगा रोपवे से टिकट लेनी होती है। फिर स्टीमर के माध्यम से आप वहा घूमने जा सकते है।
मल्लेला तीर्थम जल प्रपात, श्रीशैलम
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग से लगभग 58 किमी की दूरी स्थित मल्लेला तीर्थम जल प्रपात श्रीशैलम का एक खूबसूरत स्थान है। यह अद्भुत झरना नल्लामाला के शांत घने जंगल के बीच स्थित है। घने जंगलों के बीच में स्थित इस झरने तक पहुंचने के लिए 350 कदम नीचे उतरना पड़ता है। यह स्थान प्रकृति प्रेमियों के लिए एक रोमांच से भरा अनुभव है।
शिखरेश्वर मंदिर, श्रीशैलम
श्रीशैलम की सर्वोच्च चोटी पर स्थित शिखरेश्वर मंदिर श्रीशैलम का लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। यह मंदिर सिखाराम के नाम से भी प्रसिद्ध है। सन 1398 में बना यह प्राचीन मंदिर भगवान शंकर को समर्पित है। इस मंदिर से खड़े होकर श्रीशैलम मंदिर और कृष्णा नदी का विहंगम दृश्य दिखाई देता है। यहाँ की मान्यता के अनुसार इस मंदिर में स्थापित नंदी जी के सींगों के मध्य से श्रीशैलम मंदिर के दर्शन करने से जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है।
श्रीशैलम अभयारण्य, श्रीशैलम
श्रीशैलम से 30 km दूर स्थित श्रीशैलम टाइगर रिजर्व भारत में सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व है। यह श्रीशैलम के प्रसिद्ध स्थानों में से एक है। यह 3568 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्रफल में तेलंगाना के पांच जिलों तक फैला हुआ है। इस खूबसूरत अभयारण्य के अंदर आप बाघ के साथ साथ कई अन्य जानवर जैसे लकड़बग्घा, तेंदुआ, चीतल, चिंकारा, चौसिंघा, पाम सिवेट, जंगली बिल्ली, भालू, हिरण आदि देख सकते है। इन वन्य जीवों के अलावा मगरमच्छ, भारतीय अजगर, किंग कोबरा और भारतीय मोर भी यहाँ पाए जाते हैं। श्रीशैलम बाघ अभयारण्य आपकी मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग यात्रा को यादगार बना देता है।
जीप सफारी का समय :- सुबह 7 बजे से शाम 4 बजे तक
श्रीशैलम के प्रसिद्ध भोजन
पवित्र धार्मिक स्थल होने से यहां शाकाहारी भोजन ही उपलब्ध है। यहाँ के स्थानीय भोजन में चावल – सांभर और अन्य दक्षिण भारतीय व्यंजन शामिल है। ये दक्षिण-भारतीय स्वादिष्ट व्यंजनों एक अलग स्वाद का अनुभव कराते है।
श्रीशैलम में शॉपिंग
श्रीशैलम में खरीदारी करने ले लिए कोई मॉल या बड़ा बाजार नहीं है। यहां की जनजातियों के सदस्यों द्वारा, जंगलों में उत्पन्न प्राक्रतिक शहद को एकत्रित करके शहद बेचा जाता है। यह शुद्ध शहद आपको बहुत पसंद आएगा।