देश के करीब सभी राज्यों में अब धीरे धीरे सर्दी का मौसम बीत रहा है। अब गर्मी का मौसम आरंभ होने के साथ ही रबी की फसल का कटाई आरंभ हो जाएगा। हालांकि तकरीबन क्षेत्र में सरसों की कटाई का काम शुरू हो गया है। ऐसे में किसानों को आगामी गर्मी के मौसम में खेत खाली होने के बाद सूरजमुखी की खेती करने में कई तरह के लाभ मिलेगा।
Sunflower Farming Time
अभी किसानों के द्वारा बुवाई में जौ, आलू व सरसों की फसल का उत्पादन लेने के बाद अपनी जमीन में सूरजमुखी का फसल लगाया जा सकता है। जिसके चलते बेहतर लाभ प्राप्त होगा। इसकी खेती में कम की आवश्यकता के अलावा किसान शुष्क (सूखे) क्षेत्रों में भी खेती कर सकते हैं।
सूरजमुखी के फसल में पैदा होने वाले बीज का उपयोग तेल तेल को उपयोग में लिया जाता है। जिसका समय के अनुसार मांग अधिक बनी रहती हैं। इसके बीज से कई तरह के लाभ जिसके चलते किसानों को यह फायदे वाली खेती साबित होगी।
सूरजमुखी का पैदावार जायद सीजन में बेहतर
Sunflower Farming Time : किसान अपने खेतों में गर्मी के मौसम में सूरजमुखी के साथ सहफसली खेती के तौर पर उगा सकते हैं। जिसके बाद उनको अतिरिक्त लाभ होगा। किसानों के द्वारा सूरजमखी की खेती को जायद, खरीफ व रबी के सीजन में यानि कि 3 प्रकार के मौसम में किया जा सकता है।
लेकिन इसका खेती में सबसे अधिक उत्पादन जायद मौसम में होता है।। देश के जो किसान सूरजमलखी की फसल बुवाई करते हैं उसमें अधिकतर किसान जायद मौसम में खेती किया जाता है।
किसान सूरजमुखी फसल के साथ साथ मधुमक्खी पालन करने पर उनको अतिरिक्त लाभ ले सकते हैं। सरकार के द्वारा किसानों को सूरजमुखी के खेती को लेकर कई प्रकार की योजनाएं आरंभ किया गया जिसमें किसान फायदा उठा रहे हैं।
सूरजमूखी की फसल बुवाई के लिए सामान्य किस्में
Sunflower Modern Variety Details: बता दें कि सूरजमुखी की किस्म मॉडर्न को बुवाई के बाद यह करीब 75 से लेकर 80 दिन में पककर तैयार हो जाएगा। इस वैरायटी में पौधों का ऊंचाई की बात करें तो यह 80 से लेकर 100 सेंटीमीटर तक होती है। वहीं इसमें 12 से लेकर 15 सेंटीमीटर का व्यास तक होता है।
इस किस्म में किसानों को प्रति एकड़ उपज 7 से 8 और प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादन 10 से लेकर 12 क्विंटल का रहता है। वही 34 से 38% तेल की मात्रा पाया जाता है।
Sunflower Suraj Variety Details: सूरजमुखी की किस्म सुरज को पकने में समय की बात करें तो यह 80 से लेकर 85 दिन लगता है। इस वैरायटी के पौधो का ऊंचाई 110 से लेकर 150 सेंटीमीटर तक होती हैं। वहीं 12 से लेकर 15% सेंटीमीटर का व्यास होता है।
इस वैरायटी में 35 से लेकर 37% तेल का मात्रा पाया जाता है। इसके पैदावार की बात करें तो प्रति एकड़ में 6 और प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादन 12 से लेकर 15 क्विंटल का होता है।
सूरजमूखी बुवाई के लिए हाइब्रिड किस्में कौन कौन सी हैं?
Sunflower KVSH-1 Variety Details: सूरजमुखी फसल के लिए किस्म केवीएसएच-1 जो कि एक हाइब्रिड वैरायटी को पकने में 90 से 95 दिन का समय लगता है। इस किस्म के पौधों का ऊंचाई करीब 150 से लेकर 180 सेंटीमीटर तक होता है। जिसका 15 से लेकर 20 सेंटीमीटर का व्यास होता है।
इस किस्म में 43 से लेकर 45 प्रतिशत तक तेल का मात्रा पाया जाता है। जबकि इसके उत्पादन की बात करें तो यह प्रति एकड़ अधिकतम 12 क्विंटल तक है।
Sunflower SH-3322 Variety Details: सूरजमुखी का किस्म एसएच-3322 को 90 से लेकर 95 दिनों का समय पकने में लग जाता है। इस में 135 से 175 सेंटीमीटर पौधों की ऊंचाई होती है। जबकि इसका 15 से 20% का व्यास होता है। इस वैरायटी का प्रति एकड़ अधिकम उपज 11 क्विंटल और 40 से लेकर 42 % तेल होता है।
Sunflower MSFH-17 Variety Details: सूरजमुखी का किस्म एमएसएफएच-17 को 90 से लेकर 95 दिनों में पककर तैयार होगा। इस किस्म के पौधों में 140 से लेकर 150 सेंटीमीटर का ऊंचाई और 15 से लेकर 20 सेंटीमीटर का व्यास होता है। इस वैरायटी में 35 से 40% तेल का मात्रा पाया जाता है। इसकी प्रति एकड़ अधिकतम पैदावार 11 क्विंटल होती है।
Sunflower VSFH-1 Variety Details: सूरजमुखी का वैरायटी वीएसएफएच-1 जो कि 90 से लेकर 95 दिनों में पकने वाली है। इस वैरायटी में 140 से लेकर 150 सेंटीमीटर का ऊंचाई और 15 से लेकर 20 सेंटीमीटर का व्यास होता है। इस किस्म में किसानों को 35 से लेकर 40% तेल मात्रा रहेगी। वही प्रति एकड़ अधिकतम पैदावार 11 क्विंटल का होगा।
सूरजमुखी फसल की बुवाई कब और कैसे करें?
किसान सूरजमुखी की खेती में अगर जायद के मौसम में बुवाई करने से पहले खेत में पलेवा करने के बाद जुताई करना चाहिए। खेत में मिट्टी पलटने के लिए 1 जुताई और 2 से 3 जुटाई देशी हल से करना चाहिए। इस दौरान किसान सूरजमुखी की खेती के लिए सबसे बढ़िया समय जायद के लिए फरवरी माह के दूसरा पखवाड़े से शुरू होकर मार्च महीने के अंत तक किया जा सकता है।
सूरजमुखी खेती के लिए किसान बुवाई पंक्तियों में हल के पीछे 4 से लेकर 5 सेंटीमीटर गहराई तक करना चाहिए। इस दौरान पंक्ति से पंक्ति की दूरी के बारे में बात करें तो यह 45cm वहीं एक पौधे से दूसरे पौधे का दूरी 15 से लेकर 20cm रखना चाहिए।
इसकी बुवाई में प्रति एकड़ भूमि में संकुल या फिर सामान्य प्रजातियों में 5 से 6 किलो व संकर प्रजातियों में प्रति एकड़ जमीन में 2 से लेकर 3 किलो बीज की आवश्यकता होती है।
सूरजमुखी खेती में खाद व पानी की आवश्यकता
किसानों को अपनी भूमि में अच्छी पैदावार के लिए सही समय पर सिंचाई के साथ साथ खाद की आवश्यकता होती है। जिसके लिए किसानों को सूरजमुखी खेती में उर्वरकों का प्रयोग करने से पहले मिट्टी परीक्षण के आधार किया जा सकता है।
वही आमतौर पर इसमें खाद की आवश्यकता के अनुसार बता करें तो 32 KG नाइट्रोजन, 24 KG फास्फोरस, 16 KG पोटाश प्रति एकड़ पर्याप्त रहता है। इसकी बुवाई करने के बाद पहला सिंचाई में 20 से 25 दिन के समय पर करें। इसके अलावा किसानों को 10 से लेकर 15 दिन के अंतराल पर आवश्यकतानुसार सिंचाई करना चाहिए। फसल में फूल आना आरंभ व दाना भराव के समय पर हल्की सिंचाई की आवश्यकता होती है।